
एक पत्रकार के जाने का गम....इस पर हम मीडिया वाले भी कभी नहीं सोचते....शायद यही प्रोफेशनलिज्म है....किसी के भी जाने का गम बहुत बड़ा सदमा होता है...अपनों के जाने का....डर लगता है अपनों के खोने का...लेकिन बेहतर लोग जल्दी क्यों चले जाते है....फिर कभी ना आने के लिए
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