Friday, March 18, 2011

गीतों की होली

कुछ होली के ऑल टाइम हिट गाने। होली आई रे कन्हाई" में अनुराग और खुशियों के कितने एहसास दिखाई पड़ते हैं। दूसरी तरफ "नवरंग" के गीत में नायक को नायिका उलाहना देती है- "अरे जा रे हट नटखट, ना छू रे मेरा घूंघट, पलट के दूंगी, आज तुझे गाली रे, मुझे समझो ना तुम, भोली भाली रे", तो नायक खिलंदड़ भरे स्वर में पलटकर गाता है, "आया होली का त्योहार , उड़े रंग की बौछार, तू है नार नखरेदार, मतवाली रे, आज मीठी लगे रे तेरी गाली रे"। "बिरज में होरी खेलत नंदलाल" भी ब्रजभूमि की लट्ठमार होली की याद दिलाती है।"कोहिनूर" के गाने "तन रंग लो जी आज मन रंग लो" में प्रेम में डूबने और प्रेम को बांटने की कल्पना की गई है, वहीं "फूल और पत्थर" में शकील बदायूंनी की ही कलम से निकला "लाई है हजारों रंग होली, कोई तन के लिए, कोई मन के लिए" का संदेसा गूंजा। फिल्म "कटी पतंग" में "आज ना छोड़ेंगे बस हमजोली, खेलेंगे हम होली" में हमजोलियों का मस्तीभरा अंदाज उदास नायिका आशा पारेख को भी लुभाता है। "फागुन" में "पिया संग खेलो होली" की चाहत में नायिका, रंगों के खेल में मगन है, तो उधर "जख्मी" का नायक होली गीत गाते हुए बेहद विचलित नजर आता है, तभी तो वह कहता है, "दिल में होली जल रही है"। फिल्म "शोले" का गीत "होली के दिन दिल खिल जाते हैं, रंगों में रंग मिल जाते हैं" में एक अलग ही रूमानियत है। फिल्म "आपबीती" में हेमामालिनी ने "नीला, पीला, हरा, गुलाबी, कच्चा पक्का रंग, रंग डाला रे मेरे अंग अंग" गाया, तो जैसे परदे पर होली के कई रंग बिखरकर निखर गए। हेमा को अपने रील और रीयल लाइफ पार्टनर धर्मेद्र के साथ "राजपूत" के गीत "भागी रे भागी रे बृज बाला, कान्हा ने पकड़ा, रंग डाला" में फिर होली की मस्ती उभारने का मौका दिया गया, पर यह "शोले" के होली गीत जैसा रंग नहीं जमा पाया। "आखिर क्यों" के गीत "सात रंग में खेल रही है, दिलवालों की होली रे" में भी होली का सामूहिक उत्साह देखते ही बनता है। फिल्म "कामचोर" में जयाप्रदा ने मांग की, "मल दे गुलाल मोहे कि आई होली आई रे" और "धनवान" में "मारो भर भर के पिचकारी" की पुकार हुई, तो "इलाका" में माधुरी दीक्षित ने भी यह गाकर इस रंग उत्सव का एलान किया कि "आई है होली"।"मशाल" में "होली आई, होली आई, देखो होली आई रे", "डर" में "अंग से अंग लगाना सजन, मोहे ऎसे रंग लगाना" और "मोहब्बतें" में "सोहनी सोहनी अंखियों वाली...-"सिलसिला" का "रंग बरसे भीगे चुनर वाली", जिसमें होली की मस्ती और शरारत का दिलचस्प तालमेल है।"गाइड" के हिट गीत "पिया तोसे नैना लागे रे" में कुछ लाइनें होली पर भी शामिल की गई हैं- "आई होली आई, सब रंग लाई, बिन तेरे होली भी ना भाए"। "आप की कसम" का गीत "जय जय शिव शंकर, कांटा लगे ना कंकर, एक प्याला तेरे नाम का पिया" जिसमें राजेश खन्ना और मुमताज भंग के रंग में नाचते-झूमते-गाते, इधर-उधर भागते खूब धूम मचाते हैं। अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गीत "खई के पान बनारसवाला" भी होली के त्योहार की मस्ती का एक अनूठा रंग लिए हुए है।"बागबान" में अमिताभ बच्चन और हेमामालिनी पर फिल्माया गीत "होली खेले रघुवीरा, "मंगल पांडे" के गीत में आमिर खान और रानी मुखर्जी ने भी होली जमकर लुत्फ उठाया है। इधर, फिल्म "वक्त" में मौजूदा युवा पीढ़ी के सितारों अक्षय कुमार और प्रियंका चोपड़ा पर फिल्माया गीत "डू मी ए फेवर, लेट्स प्ले होली" रंग उत्सव को 21वीं सदी के मुहाने पर ले आया है। -लावण्य शर्मा

Thursday, March 10, 2011

हे धोनी के धुरंधरो....२८ साल से हम सपना सजाए है....देश के अधिकतर युवाओं ने ८३ का विश्व कप जीतते कपिल एंड कंपनी को नहीं देखा था। तब से जब-जब विश्व कप होता हम सब टीवी सेटों पर चिपक जाते है..कि इस बार...इस बार। ८७ में कुछ करीब पहुंचे लेकिन फिर दूर हो गए। ९२ भी ज्यादा खुशी लेकर नहीं आया। तब पड़ोसी पाकिस्तान ने जीत हासिल की। ९६ में घर में खेल रहे थे...काफी उम्मीदें थी...हम सेमीफाइनल में हार गए....सबका दिल टूट गया। तब पड़ोसी लंका ने बाजी मारी...९९ भी कुछ नहीं रहा। २००३ में फाइनल में हारना तो देश को गम के माहौल में डुबो गया था। फिर चार साल का इंतज़ार किया। लेकिन २००७ में तो बांग्लादेश ने पहले ही दौर में काम तमाम कर दिया।अब और इंतज़ार नहीं होता.....दुनिया की सबसे खतरनाक बल्लेबाजी लाइन अप हमारे पास है। जिस टीम में रैना जैसे खतरनाक बल्लेबाज को मौका नहीं मिल पा रहा है। लेकिन इस बार भी शुरुआत दिल तोड़ने वाली ही है। ऐसे खेलोगे तो कैसे जीतोगे? कमजोर टीम से भी कड़ी टक्कर मिल रही है। बांग्लादेश, आयरलैंड और हॉलैंड को हराने में ही हमारे दम निकल गए। इंग्लैंड से भी पार नहीं पा सके। अच्छी बात ये है कि हम क्वार्टर फाइनल में है...और उससे पहले दो बड़े मैच है। अफ्रीका और वेस्टइंडीज़ से। क्वार्टर फाइनल में भी आसान टीम नहीं मिलने वाली। करीब-करीब दोनों ग्रुप से वहीं टीम पहुंचेंगी जिनकी उम्मीद थी। हां, कौन किस स्थान पर होगा ये कहना मुश्किल है। दोनों ही ग्रुप की जो हालत है तो क्वार्टर में आपकी किसी से भी भिड़ंत हो सकती है। ऑस्ट्रेलिया, लंका, पाकिस्तान या न्यूजीलैंड। सभी बराबर की टीमें है। लेकिन जिस तरह से हम खेल रहे है क्या हम जीत पाएंगे। गेंदबाजी पर तो भरोसा नहीं ही है,,,,फील्डिंग के क्या कहने...अब अगर बल्लेबाज भी दगा देने लगे तो कैसे होगा? बस तीन मैच और जीतना है और विश्वकप हमारा है। क्वार्टर,सेमी और फ़ाइनल। लेकिन अब तक जिस तरह की टीम धोनी ने उतारी है...उससे पता चलता है धोनी के कदम इन दिनों जमीन पर नहीं है। वो मनमर्जी टीम को चला रहे है। पियूष चावला को लगातार खेलाने की बात किसी को समझ नहीं आ रही। युवराज पिछले दो मैचों में ना होते तो पता नहीं आयरलैंड और हॉलैंड से भी पिट गई होती टीम इंडिया। कल भी हॉलैंड के खिलाफ हमारी आधी टीम लौट गई और आखिरी बल्लेबाजों की जोड़ी मैदान पर आ गई थी। १९० रन बनाने में ये हालत है वो भी कमजोर गेंदबाजी आक्रमण के सामने। आगे क्या होगा? ऐसे तो विश्व कप नहीं ही जीत सकते। धोनी की गलती....तीन कमजोर टीमों से मुकाबले के बाद भी हमारे सभी खिलाड़ी टेस्ट नहीं किए गए....अब क्वार्टर से पहले दो मजबूत टीमों से मुकाबला है तो हम अब भी अपने बेस्ट ११ का चयन नहीं कर पाए हैं। गेंदबाजी में जहीर को छोड़ कोई उम्मीद नहीं जगाता। युवराज ने गेंद से भी कमाल किया है आगे भी उनसे उम्मीद रहेंगी। लेकिन हरभजन को क्या हो गया है? ऐसा लगता है वो विकेट लेने के लिए नहीं खेल रहे। वो रन रोकने के चक्कर में लगे रहते है। जबकि टीम के वे नंबर वन स्पिन गेंदबाज हैं। दुख नहीं होता जब दूसरे देशों के भी स्पिनर नहीं चल रहे होते। लेकिन दूसरे देशों के स्पिनर तो थोक के भाव विकेट ले रहे हैं फिर भज्जी को क्या हो गया? कम ऑन माही के महारथियों....ऐसी टीम फिर कहां मिलेगी....इस बार नहीं तो पता नहीं ये इंतज़ार और कितने साल तक बढ़ जाएगा। अभी भी कुछ गलत नहीं हुआ...जागो और जुट जाओ मिश्न विश्व कप पर क्योंकि इस बार ये विश्व कप हमारा ही है।