Thursday, November 25, 2010

बिहार के वोटरों को सलाम

सबसे पहले बिहार के वोटरों को सलाम कीजिए। विकास के लिए तड़पते बिहार के एक-एक वोट का मतलब समझिए। आखिर कैसे एनडीए २०६ सीटों पर जीत गई। विरोधियों को कुछ भी नहीं मिला। अगले पांच साल तक सरकार चलाने का जनता ने आदेश दे दिया है। आप काम करते रहिए हम आपको मौका देते रहेंगे। बिहार का जनादेश २०१० यही कहता है। नीतीश एंड सुशील मोदी कंपनी ने ऐसा क्या कमाल किया जो वोटरों ने दिल खोलकर उन्हे वोट किए। तो इसका एक ही जवाब है विकास की राह दिखाई। विकास के मार्ग पर चल पड़ा है बिहार। अब इसे रोकना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन दिखाई दे रहा है। वोटरों में उम्मीद जगी। बहुत हुआ पिछड़ा राज्य का टैग। अब इसे हटाना ही नहीं होगा। अभी नहीं तो कभी नहीं। लालू एंड कंपनी को वोट देने का मतलब होता फिर बिहार को पीछे ले जाना। अब बिहार के वोटर पीछे जाने को कतई तैयार नहीं है। सबसे आगे होंगे बिहारी की भावना वोटरों में मन में बैठ गई और ये परिणाम इसी ओर इशारा करते है। जेडीयू को ११५ सीटें और बीजेपी को ९१ सीटें। २४३ में से २०६ सीटें। ३७ सीटें दूसरे दलों को। वाह कमाल है। कमल भी खूब खिला और तीर का निशाना भी सही बैठा। लालटेन बुझ गयी तो बंगला में किसी ने उसी लालटेन से आग लगा दी। हाथ का साथ भी नहीं चाहिए क्योंकि बिहार में ये हाथ कमजोर है। २००५ में जेडीयू को ८८ सीटें थे अब ११५ पर। २७ सीटों का फायदा। जेडीयू अकेले बहुमत से सिर्फ ७ सीटें दूर रह गई। बीजेपी ने तो सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उन्हे वोटर इतने पसंद करेंगे। ५५ से ९१ पर ला दिया। ३६ सीटों का फायदा। और स्ट्राइक रेट करीब ९० का। १०२ सीटों में से ९० सीट पर पार्टी जीत गई। लालू की पार्टी तो खत्म ही हो गई। २२ सीटों पर जीत हासिल हुई। ५४ से २२ पर आ गई है पार्टी। लोकसभा में ४ सासंद है। राहुल से करिश्मे की उम्मीद कर रही कांग्रेस चौथी बड़ी पार्टी बन कर खुश तो नहीं ही होगी। चार विधायक है उसके पूरे राज्य में। रामविलास जिनका लोकसभा चुनाव में खाता भी नहीं खुला था....खाता तो खुल गया लेकिन तीन सीटें मात्र। विधानसभा में तो विरोधियों की आवाज भी नहीं सुनाई देगी। वोटरों का फैसला है कि इनकी आवाज नहीं सुनी जानी चाहिए। नीतीश की विकास के काम में जो भी अड़चने है सबको दूर कर दीजिए। नीतीश जी नंबर के पीछे नहीं भागते। जीत के बाद सबसे वे यहीं कह रहे थे। जीत को जनता की जीत बताया। उन्हे इस प्रचंड बहुमत का मतलब भी समझ आ रहा है। अब जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है। बिहार को विकसित प्रदेश बनाने की जिम्मेदारी आ गई है। ये काम आसान नहीं है नीतीश जी को भी पता है। लालू को इस नतीजे में कुछ रहस्य नजर आता है। ऐसा कहकर लालू बिहार के वोटरों का ही अपमान करते दिखे। ये लालू की अपनी स्टाइल है। लेकिन वोटरों को अब ये स्टाइल रास नहीं आ रही है...लालू जी को ये समझ लेना चाहिए। ओपिनियन पोल और एक्जिट पोल...बताते रहे कि नीतीश एंड कपनी फिर सत्ता में आने वाले है। सीटों को लेकर ऐसा अनुमान नहीं था कि २०६ सीटें एनडीए को आएंगी। ऐसा खुद नीतीश-बीजेपी के नेता भी नहीं सोच रहे थे। शायद यहीं मजा है एक्जिट-ओपनियन पोल और वोटरों के पोल का। इस लंबे चुनावी प्रक्रिया के दौरान महुआ न्यूज़ में काम करते हुए मैं चुनाव से संबंधित खबरों और एक्जिट पोल को करीब से देखता रहा है। महुआ न्यूज़ पर एक्जिट पोल दिखाया गया जिस टीम में मैं भी शामिल था। हमारी टीम में कई बेहतरीन लोग थे और हम एक-एक सीट के नतीजे को दिखाने की तैयारी में थे। एक-एक सीट का हाल शायद पहली बार किसी भी एक्जिट पोल में बताया गया। काफी मुश्किल काम था। हमारे एक्जिट पोल में एनडीए के खाते में १४७ सीटें जा रही थी। जेडीयू को ८३ और बीजेपी को ६४, आरजेडी को ५१, एलजेपी को १७ और कांग्रेस को ११। कई चैनलों और एजेंसियों का ऐसा ही आकंडा था। वहां बीजेपी की सीटें कम थी लेकिन गठबंधन में इसी के आसपास का स्कोर था। चुनावी विश्लेषक योगेन्द्र यादव एनडीए को २०० के करीब सीटें दे रहे थे। हालाकि बीजेपी की सीटें उनके पास भी कम ही थी। हमारे एक्जिट पोल में बीजेपी को सीटें बढ़ रही थी। लेकिन इतनी नहीं ९१ जैसी तो नहीं। एक-एक सीट का नतीजा टीवी पर दिखाना बड़ा मुश्किल था और काफी समय लेने वाला था। खैर इसके बाद लालू की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई और उन्होने सबसे पहले महुआ न्यूज के एक्जिट पोल पर अपने अंदाज में राय रखी। इस दौरान कई लोगों के फोन भी आते रहे है। आपने हमे कैसा हारता हुआ दिखा दिया...वगैरह..वगैरह। ये सब हर विधानसभा सीट के अलग-अलग तबके के ५० लोगों की राय पर बनाई गई थी। वोटरों की सही राय जानना बड़ा मुश्किल काम है और ऐसे में सटीक पूर्वानुमान भी लगाना मुश्किल। फिर भी योगेन्द्र यादव एंड टीम का काम ज्यादा बेहतर रहा इसमें कोई दो राय नहीं। एक्जिट पोल में एक बात ये भी सामने आ रही थी लोग विकास के नाम पर वोट कर रहे थे। जाहिर है इससे एनडीए को फायदा होने वाला था। दूसरी बात थी कि लोगों जाति और धर्म के बंधन को तोड़ने को तैयार थे इसका फायदा भी एनडीए को होने वाला था। राहुल फैक्टर की बात भी सामने आ रही थी जिसमें अधिकतर लोग कह रहे थे कि राहुल के दौरे से कांग्रेस को कोई ज्यादा फायदा नहीं होने वाला। क्योंकि राज्य में कांग्रेस की हालत बहुत ही खराब है। यूपी जैसे चमत्कार की उम्मीद किसी को नहीं थी। बेहतर मुख्यमंत्री की रेस में भी नीतीश सबसे आगे थे। लोगों की पसंद में एनडीए गठबंधन सबसे आगे था। एक और खास बात महिलाओं का वोट करने के लिए मतदान केन्द्रों पर आना। २००५ और लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार ज्यादा महिलाओं ने वोट किया। और ये वोट सुशासन के लिए था, पंचायतों में महिलाओं के लिए रिजर्वेशन पर था और लड़कियों के लिए साइकिल योजना के नाम पर था।नरेन्द्र मोदी-वरुण गांधी को ना बुलाना एनडीए के लिए बेहतर रहा। परिणाम से साफ है। इन दोनों के आने से मुस्लिम वोट के बंटने की ज्यादा संभावना थी। एक बात और है ये कि ये पूरा चुनाव नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द लड़ा गया। नीतीश पर विरोधियों के वार लोगों को सही नहीं लगे। चाहे वो लालू-रामविलास हो या फिर सोनिया-राहुल। केन्द्र बनाम राज्य के विवाद में वोटर ज्यादा नहीं पड़े। किसका पैसा है और किसका नहीं...ये सब जानते है।
फिलहाल चुनाव के बाद नीतीश कुमार से लोगों की उम्मीदें और ज्यादा बढ़ गयी है। अब उन्हे और बेहतर करना ही होगा। आगे भी जारी है......

Wednesday, November 10, 2010

ना जा...अभी ना जा....ओ ओबामा.....

दुनिया का दबंग जा चुका है। उसके आने पर तो हमारी दिवाली इस बार खास हो गई थी। भले ही ये ओबामा मैनिया दिवाली के बाद आया...दिवाली से पहले छोटी दिवाली भी मनाई थी कि ओबामा आ रहे हैं। यहीं सोच सोचकर पगलाता जा रहा था कि ओबामा क्या-क्या गिफ्ट ला रहे होंगे। बस गिफ्ट पाने की ख्वाहिश थी कि दिवाली भी शानदार तरीके से मना ली। और बचा खुचा तेल,पटाखा और कैंडल दीवाली के अगले दिन के लिए रख ली।ये सुरेश कलमाडी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की दिवाली सेलेब्रेशन की एक झलक है। सबसे पहले हम ये स्टोरी ब्रेक कर रहे है। अनाम न्यूज चैनल के रिपोर्टर ने ये एक्सक्लुसिव स्टोरी ब्रेक की है। एक ब्रेक लेते है और इस दुनिया की सबसे बड़ी खबर पर हम बने हुए हैं। अब आपको थोड़ा पास्ट में लिए चलते हैं...ज्यादा नहीं....आदर्श घोटालों की सरकार के मुखिया अशोक चव्हाण को दिवाली गिफ्ट तो पहले ही मिल गया था। कुछ दिनों तक सीएम बने रहने के आदेश के बाद । ओबामा उनके लिए सांता क्लोज बन कर आ रहे थे। दिवाली पर मेरी क्रिसमस कहने। चव्हाण की खुशी छिपाए नहीं छिप रही थी। चलो तीन दिन की मोहलत के बाद शायद सब का दिल पसीज जाए या फिर कुछ ऐसा जादू हो जाए कि आदर्श घोटाला आदर्श बन जाए। तीन दिन इसी सोच-विचार में निकल गए।इधर कलमाडी एंड कंपनी भी दिवाली आने पर खुश थी। जांच हो रही है होने दो....धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। अब तो चीन भी जाना है एशियाई खेलों के लिए। दिवाली पर कलमाडी भी मूड में थे। खूब मस्ती की। पता नहीं अगली दिवाली कैसी मनेगी सो मना लो भईया। अब ओबामा के जाने का वक्त हो चला था। ९ नवंबर सुबह के ८ बजकर ५५ मिनट। कलमाडी और चव्हाण ने अपने आदमियों को दिल्ली भेज दिया था। ओबामा के विशेष विमान एयरफोर्स वन का टायर पंचर करने के लिए ताकि ओबामा उड़ान ना भर सके। भारतीय एजेंसियों को इसकी कानों-कान खबर नहीं हो पाई...लेकिन ओबामा के विशेष विमान के विशेष खुफिया कर्मचारी को इसकी भनक लग गई। विमान को निश्चिति समय से पहले ही उड़ान भरने का आदेश दे दिया गया। विमान उड़ चुका था। इधर कलमाडी और चव्हाण के घर मोबाइल पर रिंग शुरू होता है। ब्रेक के बाद आगे क्या हुआ हम बने हुए हैं इस बड़ी खबर पर। रिंग शुरू होने के साथ दोनों की खुशी का ठिकाना नहीं था। यस वी कैन। दोनों यहीं सोच रहे थे कि ओबामा के विमान को पंचर कर दिया गया और उनका काम हो गया। लेकिन....लेकिन....लेकिन। पहले चव्हाण को फोन....हैलो हां काम हो गया ना...... हां, काम हो गया है क्या हां शुक्रिया मैं बहुत खुश हूं अच्छा बहुत अच्छा आपका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है क्या............ फोन कट जाता है। ओह नो..............अब कलमाडी को फोन................. कलमाडी......हां,हां....बोलो बहुत अच्छा जी,जी बहुत अच्छा चलो अब मैं चीन जाने की तैयारी कर रहा हूं अच्छा है.....जाइए......ओबामा का विमान उड़ चुका है फोन कट जाता है.........क्या..........व्हाट द... यू आर
इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कलमाडी और चव्हाण आपको चिंतित मुद्रा मे दिख रहे है...कुछ सोच रहे हैं दोनों....ये एक्सक्लुसिव तस्वीरें है हमारे पास जो आप इस वक्त देख रहे है....आखिर क्या सोच रहे हैं दोनों.........एक छोटे से ब्रेक के बाद............सबसे बड़ी खबर पर हम बने हुए हैं...................बड़ा सवाल यहीं है कि ये दोनों आखिर क्या सोच रहे हैं............चलिए हम आपको बताते हैं..................जय हिंद कहते होतो फिर क्यों अमेरिका जाते होकाश तुम गांधी के देश के ही हो जातेमैं कलमाडी और अशोक चव्हाणपचास हजार क्या सारी नौकरीही अमेरिका के लिए ले आता यहीं नहीं तेरे लिए कुछ भी कर जाताकुछ भी... घोटालों का विश्व रिकॉर्ड बना देता
.....................अब तेरे जाने का गम हमे खाए जा रहा है................आ लौट के आजा मेरे ओबामा......कि तुझे कलमाडी और चव्हाण बुलाते हैं.........आ लौट के आजा.............................