Friday, May 28, 2010

हां मैं झारखंड हूं।

झारखंड का दर्दमैं झारखंड हूं। आओ सब मुझे लुटो। बिहार से काटकर अलग इसीलिए तो बनाया गया था। ताकि बिहार में जो सहा अब ना सहा जाएगा। लेकिन जिन सम्राटों ने मुझ पर राज्य किया। सबने दिनदहाड़े लूट मचाई। बंदूक की नोंक पर वो मेरी इज्जत लुटते रहे। केन्द्र में बैठी सरकार चुपचाप सब देखती रही। अलग-अलग पार्टियों के नेता मुझे कैसे-कैसे, कब लुटना है इसकी योजना बनाते रहे। रांची से लेकर दिल्ली तक प्लानिंग बनती-बिगड़ती रही। जिन्हे वोटरों ने लूटने का मौका नहीं दिया उन्होने भी जमकर मुझे लूटा। अब तो लूट जाने का ही दिल करता है। आओ इस बार फिर आओ जिसे लूटना है आ आओ। मुझे तुम्हारा बेसब्री से इंतज़ार है। सबने लूटा ही तो है। पहले से लेकर अब तक के सब ने। मधु कोड़ा को तो आप पहचानते ही होंगे। उसे लूट की जल्दी थी। उसने तो मेरा दिल ही लूट लिया। अब वो लूट भी जाए तो क्या मैं तो लूट चुका। बीजेपी पार्टी विद ए डिफरेंस....गुरुजी के साथ हाथ मिलाकर आ गई थी मुझे लूट से बचाने। लेकिन ऐसा मेरी किस्मत में क्या। वो तो गडकरी की किस्मत में थी कि पार्टी की कमान संभालते ही एक राज्य बीजेपी के खाते में शामिल हो रहा था। सीना बहतर का हुआ जा रहा था बीजेपी नेताओं का। वाह झारखंड में बाजी मार ली है। कांग्रेस के मुंह से जीत छीन लाए है। जैसे हम लाए तूफान से किस्ती निकालकर ....इस राज्य को रखना मेरे नेताओं संभाल कर। गुरुजी को पहले भी राज्य की जनता ने ठुकरा दिया था। तमाड़ से राजा पीटर ने करारी मात दी। लेकिन फिर गुरुजी के हाथ कमान आ गई। राजनीति इससे निचले स्तर पर नहीं जा सकती। वो कहते है मुझे कौन हटा सकता है? मैं चुनाव भी नहीं लड़ूंगा और मुख्यमंत्री भी बना रहूंगा। काश संविधान संशोधन विधेयक पास कराकर इसे लागू कर दिया जाता तो ये लेखक भी किसी राज्य का सीएम बनने के बारे में सोचता। कटौती प्रस्ताव पर शिबू ने यूपीए का साथ दिया तो बीजेपी तिलमिला उठी। दो दिन की खुशी और फिर जीवन भर का गम लेने का काम खुद ही तो किया था तो अब लो संभालो गुरुजी को। समर्थन वापसी का फैसला आनन-फानन में आ गया। लेकिन गुरुजी इतने माहिर खिलाड़ी है इसका अंदाजा अब बीजेपी एंड कंपनी को लग गया है। एक से बड़े एक शूरवीर योद्धा पार्टी में है। कांग्रेस को गरियारे रहते थे शिबू के साथ को लेकर। अब खुद ही शिबू के साथ थे और बचाव में भी। एक महीने से ज्यादा चले ड्रामा के बाद आखिरकार बीजेपी ने समर्थन वापस ले ही लिया। गुरुजी ने बीजेपी को इसके अलावा और कुछ कर सकने लायक भी तो नहीं छोड़ा था। एक खबर ये भी आई कि केन्द्र में शिबू को मंत्री पद का ऑफर आया है। खैर कहां से आया किसने दिया कुच पता नहीं। ऑफर आते-जाते रहते है। अब क्या होगा झारखंड का। अब कौन लुटेरा आकर रांची का दिल लूट ले जाएगा। सोनिया ने कांग्रेसियों की दिल की मुराद पूरी करते हुए हरी झंडी तो दे दी है। तो क्या फिर शिबू साथ होंगे। या बाबूलाल मरांडी को कमान मिलेगी। आजसू बीजेपी छोड़ मरांडी के समर्थन में खड़ा होगी? जेएमएम के कुछ विधायक मंत्री पद को लेकर टूट जाएंगे। खरीद-बिक्री मंडी में होगी या बंद कमरे में। क्या होगा? आइए, आ भी जाइए...आप भी लूट लीजिए। मेरी तो किस्मत में यहीं है। मैं झारखंड हूं। जहां लोग झंझट और झमेला जैसे शब्द इस्तेमाल करते है। मुझे तो लुटेरा अच्छा शब्द लगता है। झारखंड का लुटेरा। विकास लूटा, खनिज संपत्ति लूट ली, सड़क लूट लिए, गरीबी लूट ली, बेरोजगारी लूट ली, नक्सलवाद लूट लिया, किस-किस ने ना लूटा। अब कुछ नहीं बचा है। मैं बर्रबाद हो गया हूं कि खुद को नीलाम करने की सोच रहा हूं। हां मैं झारखंड हूं।

Wednesday, May 12, 2010

धोनी या टीम की हार

सो टीम इंडिया हार गई है। टी-२० विश्व कप के अंतिम चार में भी पहुंचना संभव नहीं हो पाया। सुपर एट के तीनं मुकाबले में बुरी तरह पिट गई माही की सेना। माही आईपीएल फाइनल जीतने के बाद शायद थोड़ा दंभी हो चले थे।इसका खामियाजा भारत को उठाना पड़ा। वैसे महिला टीम ने कमाल कर दिया है।महिला टीम विश्व कप टी-२० के सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है। तो विश्वनाथ आनंद एक बार फिर शतरंज के बादशाह साबित हुए।टोपालोव को आखिरी बाजी में बेहतरीन तरीके से हराकर उन्होने विश्व चैंपियन का खिताब बरकरार रखा है। कमाल के खिलाड़ी है आनंद। अंतिम बाजी काले मोहरो से और टोपालोव सफेद से। ग्यारह बाजी तक दोनों बराबर थे। आनंद चाहते तो ड्रा के लिए जा सकते थे और फिर रैपिड राउंड में टोपालोव को धो सकते थे। लेकिन आनंद ने यही जीत के लिए जाना बेहतर समझा क्योंकि टोपालोव जीत के साथ टूर्नामेंट खत्म करना चाहते थे वो रैपिड राउंड में आनंद से खेलने को लेकर मुश्किलों में थे। वेल डन आनंद,वेल डन महिला टीम। और हां हॉकी टीम भी आजकल अजलान शाह ट्राफी में कमाल कर रही है। विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को धो दिया है तो पाकिस्तान को भी हरा दिया है। लेकिन हम भारतीयों को ये सब चीजें कहां अच्छी लगती है। हम तो टीम इंडिया क्रिकेट टीम को ही मानते है। वो जीते तो मजा आ जाए। हॉकी हारे या जीते क्या फर्क पड़ता है। आनंद विश्व चैंपियन बने या हारे क्या फर्क पड़ता है। महिला क्रिकेट टीम विश्व कप जीत भी ले तो क्या फर्क पड़ता है। इन्ही चीजों ने धोनी को दंभी बना दिया तो क्या गलत किया। अफगानिस्तान और साउथ अफ्रीका को हराकर जब आगे बढ़े तो लगा कि सेमीफाइनल में तो पहुंच ही गए। लेकिन ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के खिलाफ टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला क्यों हुआ पता ही नहीं चला। तेज पिच पर मुकाबला था। पहले अपने तेज गेंदबाजों को मौका देना था और फिर आठ बल्लेबाजों के सहारे बाजी मार लेते। आइडिया तो सही था लेकिन क्या उसके लायक टीम बनाई गई थी, वैसी रणनीति थी...तेज गेंदबाजों की मददगार पिच पहला ओवर हरभजन सिंह लेकर आ रहे है.....है ना कमाल....हरभजन बेहतरीन गेंदबाज है इसमे तो किसी को शक नहीं....लेकिन पहले तेज गेंदबाज क्यों नहीं....भारत के नंबर एक गेंदबाज को छठे ओवर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गेंदबाजी के लिए बुलाया जाता है.....कितने काबिल कप्तान है हमारे महेन्द्र सिंह धोनी....कहते है वो जो छुते है सोना हो जाता है.....अब वक्त गया....अब सोना तो क्या....? खैर हरभजन से पहले ही गेंदबाजी करा ली...चलिए...आगे क्या हुआ...हरभजन को ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज ने आराम से खेल दिया....क्योंकि विकेट लेने के लिए नहीं पावरप्ले में रन रोकने वाली गेंदबाजी कर रहे थे.....रन तो कुछ देर के लिए रूक गया लेकिन विकेट नहीं मिला....और फिर ना तेज गेंदबाज चले औऱ ना ही रविन्द्र जडेजा जिन्हे पता नहीं इतना महत्व क्यों दिया जाता है.....जडेजा एक ओवर में तीन छक्के खा चुके थे लेकिन धोनी की महानता देखिए फिर जडेजा से एक ओवर...कितना साहसी कप्तान है हमारा....कमाल के शांत रहते है वो मैदान पर....आखिरी सुपर एट मैच में भी वो शांत ही रहे थे....दस ओवर में ९० रन और २० ओवर में १७० भी नहीं...कमाल की बैटिंग की...अंत तक नाबाद रहे...जुझते रहे....वाह.....मैच के बाद कहते है कि मैं इन सबसे चीजों से ज्यादा परेशान या दुखी नहीं हूं..........................क्या बात है माही साहब.........आप तो वाकई काफी शांत स्वभाव के है....बड़ा मैच, टॉस जीतो और बैट करो....इतनी मजबूत बैटिंग लाईन अप है १८०से २०० तक बना डालो....और फिर आगे पार्ट टाइमर की गेंद ही अचानक खतरनाक दिखने लगेगी जब विरोधी टीमों पर रिक्वार्यड रन रेट का दबाव बढ़ेगा....लेकिन नहीं डर था कि कही शार्ट गेंदों से पहले ही हाफ में मैच ना ख्तम हो जाए...थोड़ा सस्पेंस बना कर रखो....लोगों को थोड़ा और इंतज़ार कराओ....वो गम ही क्या जिसके लिए इंतज़ार ना किया.....वाह माही वाह.....मुंबई के खिलाफ क्यों टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की थी....डर था ना कि मुंबई पहले बल्लेबाजी करते हुए १८० से ज्यादा रन बना गई तो फिर तो कप दूर ही रह जाएगा...तो भारत के लिए खेलते वक्त ये सोच क्यों नहीं आई भाई......सारी सोच और सारी उर्जा आईपीएल में भी लगा डाली....हार के बाद शर्मनाक बयान ना देते, माफी मांग लेते तो क्रिकेट के दीवाने दिल को थोड़ी सी राहत तो मिलती...रात के दो बजे तक जगकर जो मैच देख रहे थे जरा उनका भी तो ख्याल कर लेते.....माफ करिएगा धोनी अभी बहुत कुछ सीखना है आपको....आपकी टीम को.....ये हमारी बेहतरीन टीम नहीं है।

टीआरपी के लिए समिति

टीआरपी के लिए सरकार ने समिति बनाने का फैसला किया है ..टामियों के दिन लदने वाले हैं। टैम और एमैप जैसी एजेंसियों के हांथ से टीआरपी नापने का काम छिनने वाला है. सरकार टीआरपी को लोकहित से जुड़ा मुद्दा मान रही है। इसीलिए टीआरपी मैकेनिज्म डेवलप करने के लिए सरकार ने उच्च स्तरीय समिति बनाने का फैसला किया है. इस समिति में आठ लोग होंगे. इस प्रकार अब तय हो गया है कि टीआरपी के मामले में सरकार गंभीर है और न्यूज चैनलों का उद्धार करने के लिए शुरुआत हो चुकी है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जिस उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाएगा वह मौजूदा टीआरपी सिस्टम पर नजर रखने के साथ साथ इस बात की जांच भी करेगी कि क्या सरकार को कोई कानून बनाकर एक ऐसा मैकेनिज्म तैयार करना चाहिए जो टीआरपी रेटिंग सिस्टम में खुद शामिल हो सके या फिर निजी हाथों में रहते हुए ही इस पर नजर रखी जा सके। समिति के चेयरमैन फिक्की महासचिव अमित मित्रा बनाए गए हैं. अब कुछ सही हो रहा है ...बढ़िया है ....