Wednesday, December 30, 2009

रुचिका+आराधना=स्टेफी+सेलेस

वो स्टेफी ग्राफ बनना चाहती थी...स्टेफी टेनिस की बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक...स्टेफी-सेलेस का मैच देखना अपने आप में गजब का रोमांच था...स्टेफी-नवारीतोलवा का भी मैच तनाव पैदा करता था...टेनिस का हर खिताब स्टेफी ने अपने नाम किया...उसे पसंद करना और उसके जैसा बनने की कोशिश किसी ने आज से 20 साल पहले किया था...रुचिका गिरहोत्रा....अपने दोस्त आराधना के साथ वो प्रैक्टिस करती थी...एक मोनिका सेलेस और वो स्टेफी...काश ये मैच हम भी देख पाते...लेकिन अब स्टेफी नहीं रही और मोनिका का रोल भी बदल गया...एक ऐसा अधिकारी मिला जिसने ना सिर्फ इनके खेल के साथ खिलवाड़ किया बल्कि हमारे सिस्टम में अंदर तक जम चुकी अनैतिक कार्यों की पोटली खोल दी...राठौर ने क्या-क्या ना किया...स्टेफी को स्टेफी नहीं बनने दिया...उसके साथ छेड़छाड़ की...मामला दर्ज नहीं करवाने दिया...भाई को गलत मामले में फंसाया...हत्या की साजिश रची....परिवार का जीना दुभर कर दिया...बदनाम करने की हर कोशिश की...भाड़े के गुंडे भेजे...बदनाम कराया...पुलिस के गुंडों की मदद ली...सीबीआई को रिश्वत की पेशकश की...राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल किया...गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करवाई...स्कूल से बाहर निकलवाया...उसी स्कूल से जहां उसकी बेटी भी पढ़ती थी...शायद वो रुचिका की दोस्त रही हो....या फिर कम से कम उसे जानती तो होगी ही...अपनी बेटी की उम्र की लड़की के साथ......ऐसा करने की सोची...आखिरकार स्टेफी ने दम तोड़ दिया...टेनिस को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह दिया...भारत में कोई स्टेफी ग्राफ नहीं बन सकती....बड़े भरे मन से उसने दुनिया छोड़ा होगा...19 साल से मामला चल रहा है...स्टेफी की पार्टनर सेलेस ने भी अपना टेनिस करियर छोड़ दिया...शायद उसे कुछ और बनना था...उसकी भूमिका अलग तय थी...अपने स्टेफी को न्याय दिलाने का जिम्मा उसने अपने कंधे पर उठाया....उसने भी अपने इस अलग करियर के 19 साल पूरे कर लिए है....लंबे संघर्ष में बाद वो तब हारती हुई दिखी जब राठौर कोर्ट से मुस्कराते हुए बाहर निकल रहा था....लेकिन इस हार ने सेलेस की जिंदगी बदल दी...और राठौर की भी...अब तो राठौर का बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है....सेलेस जीत के करीब है....अब उसका जीतना तय है...सामने वाला वॉक ओवर नहीं देगा तो क्या....इतने लंबे संघर्ष ने मोनिका सेलेस को इतना तैयार कर दिया है कि अब इस मुकाम पर वो तो नहीं ही हार सकती है...अपना ग्रैंड स्लैम उसे जीतना है....राठौर को हरा कर...और ये ट्रॉफी होगी स्टेफी के नाम...वेल डन सेलेस...क्या हुआ हमने सिंग्लस में ग्रैंड स्लैम नहीं जीता...ये जीत स्टेफी ग्राफ के कई ग्रैंड स्लैम से बड़ी जीत है...ये बदलाव शानदार होगा....राठौर को सज़ा मिलते ही फिर कोई राठौर किसी स्टेफी ग्राफ के सामने नहीं आएगा...मोनिका सेलेस हैं ना... आराधना है ना.....

Tuesday, December 29, 2009

एक पत्रकार का जाना...































एक पत्रकार के जाने का गम....इस पर हम मीडिया वाले भी कभी नहीं सोचते....शायद यही प्रोफेशनलिज्म है....किसी के भी जाने का गम बहुत बड़ा सदमा होता है...अपनों के जाने का....डर लगता है अपनों के खोने का...लेकिन बेहतर लोग जल्दी क्यों चले जाते है....फिर कभी ना आने के लिए





Sunday, December 27, 2009

फेसबुक,दोस्त और समय

साभार-बीबीसी
फ़ेसबुक पर समय बर्बाद करते कर्मचारी

एक सर्वेक्षण के अनुसार फ़ेसबुक जैसी वैबसाईटों पर कर्मचारी रोज़ कम से कम एक घंटा बर्बाद करते हैं
एक सर्वेक्षण के अनुसार विभिन्न कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी अपने काम के समय में से लगभग 12.5 प्रतिशत हिस्सा व्यर्थ गंवा देते हैं.
ये समय वो बरबाद करते हैं सोशल नेटवर्किंग वैबसाइटों पर...जैसे फ़ेसबुक, ऑर्कुट, माईस्पेस आदि.
भारतीय कंपनियों के संगठन, एसोचैम के इस सर्वेक्षण के अनुसार लगभग हर कंपनी के कर्मचारी कम से कम एक घंटा रोज़ इस तरह की वैबसाइटों से चिपके रहते हैं. इसका मतलब ये हुआ कि कंपनियों मे काम के घंटे होते हैं आठ लेकिन कर्मचारी काम करते हैं सिर्फ़ सात घंटे.
यह सर्वेक्षण दिल्ली, चंडीगढ़, अहमदाबाद, कोच्चि, देहरादून और कई दूसरे शहरों में अलग अलग 4000 कर्मचारियों से बातचीत पर आधारित है. जिन लोगों से बातचीत की गई उनमें 21 वर्ष की उम्र से लेकर 60 वर्ष तक की उम्र के लोग शामिल हैं.
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने इस बाबत एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा है कि अधिकतर कंपनियों में कर्मचारी इस तरह की वैबसाइटों पर समय बर्बाद करते हैं. वो इसे ख़तरनाक भी मानते हैं.
उनके अनुसार इससे कंपनियों की उत्पादकता बुरी तरह से प्रभावित हो रही है.
सोशल नेटवर्किंग साईटों की वजह से अधिकतर कंपनियों के कर्मचारी लगभग 12.5 प्रतिशत समय बर्बाद करते हैं. सोशलनेटवर्किंग साईटों का बढता चलन कंपनियों की उत्पादकता के लिए ख़तरनाक़ हो सकता है.
डीएस रावत, महासचिव असोचैम
रावत कहते हैं कि कुछ दूरसंचार कंपनियों ने इस तरह की वैबसाइटों पर समय बर्बाद करने वाले कर्मचारियों पर नज़र रखने के लिए सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने शुरु कर दिए हैं.
सर्वेक्षण के अनुसार लगभग सभी कंपनियों के 82 प्रतिशत कर्मचारियों का फ़ेसबुक पर एकाउंट है.
सर्वेक्षण का निष्कर्ष है कि इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में से 84 प्रतिशत लोग इसके इस क़दर आदी हैं कि अगर उन्हे इंटरनेट इस्तेमाल करते हुए कोई किसी वजह से टोक दे तो वे भड़क जाते हैं.

Saturday, December 26, 2009

ALWIDA ASHOK JI


THIS IS SAD NEWS. I JUST GOT AND CANNOT BELIEVE THAT. BUT NO ONE CAN DO ANYTHING.I REMEMBER WHEN I WAS IN ETV NEWS. I WORKED THEIR ON BIHAR DESK,SPORTS DESK AND OTHERS. BOTH BIHAR AND SPORTS DESK ARE INFRONT OF RAJSTHAN DESK WHERE HE WORKED MOST OF HIS TIME IN ETV . WHEN WE MEET HE ALWAYS HAS A SMILE ON HIS FACE.THOSE WHO ARE IN TROBULE THEY BECOME VERY HAPPY AFTER MEETING HIM.EVERYBODY HAS A LOT OF RESPECT FOR HIM. YOU CAN HARDLY FIND HIM SPEAKING LOUDLY.HE HAD DONE MANY ROLE SUCESSFULLY IN ETV NEWS.NO MATTER WHAT HAS BEEN GIVEN TO HIM. WHEN HE IS INFRONT I HARDLY LOVE TO GIVE OTHER MY SCRIPT FOR VOICE OVER. HE HAS NEVER SAID NO.NO MATTER HE HAS JUST FINISHED HIS BULLETIN. I LAST MET HIM ON PANAMA BUS STOP IN HYDERABAD.WHEN HE HAD LEFT ETV NEWS AND CAME TO DELHI IN VOI. I FIRST SEE SOME LESS SMILE ON HIS FACE.TILL THEN WE CAME TO KNOW WHAT IS HAPPENING IN VOI. WHEN HE LEFT ETV NEWS IT WAS A BIG ISSUE AMONG OUR FRIENDS. AND NOW HE HAS LEFT I DONOT KNOW THE REASON BUT WHAT IS BEING SAID MUST BE RIGHT. IT IS REALLY SORRY THAT MANDI HAS TAKEN LOT IN MEDIA IN OUR COUNTRY.I JUST PRAY FOR HIS FAMILY TO GIVE THEM STRENGTH TO COME OVER THIS. I KNOW IF IT IS BECOMING HARD FOR ME TO GET OVER THIS, HOW HARD IT WOULD BE FOR THEM. I WISH IF I COULD NOT HAVE HEARED THIS NEWS….

Thursday, December 17, 2009

PAA,POLITICS AND MEDIA

THIS IS SOME THING MIX OF ALL. POLITICS, MEDIA,CORRUPTION AND PROGERIA A RARE DISEASE.HOW POLITICIAN USED VOTERS FOR THEIR PERSONAL INTEREST. WE ALL KNOW IN ELECTION TIME OUR LEADER IS EASILY AVAILABLE, TOUCHING VOTERS LEG, NAMSTE-NAMSTE KARTE, AND JUST AFTER WINNING YOU CAN NOT FIND WHERE HE IS. NEITHER IN PARLIAMENT NOR IN FIELD. WELL. NOW ABOUT MEDIA…I AM IN THIS FIELD…NOT A BIG NAME ALSO, WORKING IN THIS FIELD FOR ALMOST SIX YEARS. BEFORE COMING IN THIS FIELD I WAS ALWAYS UP TO DATE WITH HAPPENINGS AROUND. MY THEN FRIENDS SAY ME GK MASTER..AND I HAVE TO WIN A GK AWARD FOR THEM BEATING ONE OF MY FRIEND IN FINAL IN FACT WE WERE IN TIEBREAKER IN THAT QUIZ COMPETITION.RIGHT. IN THESE SIX YEAR IN INSIDE OF MEDIA WHAT I FOUND IS SUCH..IT SEEMS GREAT FROM OUT SIDE. PEOPLE SAY O MEDIA..WELL…SOME RESPECT AND SOME HATE…OUTSIDER. OK WHATEVER THE NEWS YOU ARE WATCHING ON SCREEN IT IS ALL IN OUR FIELD AS WELL…RIGHT…I DONOT FEEL SORRY FOR SAYING THIS. SINCE IN WHICH SOCIETY WE ARE LIVING WE GET AFFECTED BY THAT. WE SEE OTHER IS GROWING UP BY TAKING WRONG MEANS…THEN SOME OF US THINK WHY CANNOT WE USE THIS FOUMULA….RIGHT…WE SEE NETA JI IS TAKING MONEY FOR ASKING QUESTION WHY CAN NOT WE TAKE MONEY FOR RUNNING OR NOT RUNNING A NEWS….SOME JODTOD AND POLITCS WHICH YOU SEE IT IS INSIDE MEDIA AS WELL….AGAR MAHANGAI SE AAM JANTA PARESAN HAI TO PATRKAR BHI HAI…AGAR MANDI NE KAIYO KI NAUKRI CHHINI HAI TO PATRKARO KI BHI NAUKRI GAYI HAI….MATLAB YE BAHAR JO KUCH BHI HOTA HAI MEDIA ME BHI HOTA HAI….RIGHT…BUT IF YOU SAY MEDIA IS NOT REQUIRED…YOU ARE IN WRONG SIDE…MANMOHAN SINGH JAISE SADGI PASAND LOG YAHA BHI HAI….APNE SUBJECTS KE JANKAR YAHA BHI HAI….TALENTED LOG YAHA BHI HAI, CORRUPT LOG BHI HAI AUR RAHENGE BECAUSE WE LIVE IN THE SAME SOCIETY….
ANY THING YOU CAN DO BUT YOU CAN NOT IGNORE MEDIA. REMEMBER SOME OF CASES IN RECENT TIME….BMW CASE, JESSIKA LAL,MANNU OR PAROLE AND MANY MORE IN THE LIST…MANY VICTIMS COULD NOT GET INSAAF IF IT WAS NOT MEDIA. WE DO MISTAKE AS ALL OF YOU DO. WE DID WRONG IN AARUSHI MURDER CASE AS NOIDA POLICE AND CBI.SOME MEDIA MEN SAID SORRY FOR THAT.SOME CHANNEL
‘NDTV INDIA ON PRIME TIME 9PM ANCHOR NIDHI KULPATI SAID WE HAVE REOMOVED OUR REPORTER FROM AARUSHI’S HOUSE. WE WILL NOT COVER THIS STORY UNTILL SOME THING BIG HAPPENED.’
NO DOUBT THERE IS SOME CHANNEL WHICH SHOULD NOT BE…BUT DUE TO YOU THEY ARE….YOU ARE ENJOYING WATCHING THAT AND THEN SAYING MEDIA IS DOING THIS AND THAT…THEN WHY YOU SEE THAT CHANNEL….I REMEMBER WHEN I GO TO MY HOUSE IN CHHATH IN MUZAFFARPUR….THAT IS FOLLOW
‘ONE OF MY FRIEND SISTER..SHE IS MARRIED HAVING 3 CHILDREN..ALL ARE UNDER 2 TO 9 YRS. AFTER WATCHING WORLD WILL END IN 2012…THEY WERE WEEPING…CRYING….WHAT WILL HAPPEN TO THEIR 2 YEAR CHILD. WHEN I MET THEM THEY ASK ABOUT THAT NEWS. THEN I HAVE TO SAY HAVE THIS CHANNEL(NDTV) HAS SHOWN THE STORY..THEY SAID NO…THEN OK WHY YOU ARE THINKING LIKE THAT…DEAR READER REMEMBER I AM NOTAN NDTV- IAN . BUT TO SAY THIS IS THE BEST CHANNEL…AND I HAVE TO CONVINCE THE FAMILY FOR WHAT GROUND THEY PLAY THE STORY..AND TOLD THEM ABOUT MAYA CALENDER…’
RIGHT. WHAT WE ARE TOLD IN OUR FIRST CLASS IF A DOG HAS BIT A MAN IT IS NO STORY IF A MAN DID IT WITH DOG….THATS A STORY…..YOU KNOW UNDER WHICH PRESSURE MEDIA MEN WORK…YOU ARE ALL THE TIME ON TARGET…TO WORK OR TO GO…WHY MISS THIS STORY,,,WHY YOU ANGLED THAT THAT STORY, WHY YOU HAVE NOT BREAKED FIRST THIS STORY…WHY NOT TAKEN LIVE,WHY NOT PHONO…WHY PICK OLD STORY..WHY NOT MADE IT PKG AND MANY WHY NOT WHICH OUT SIDER DOES NOT….YOU HAVE TO DECIDE VERY QUICK….THAT CHANNEL IS BREAKING THAT STORY…GO FOR CONFIRMATIN AND AIRED THAT..TO BREAK FIRST OR NOT..FOR ME IT IS DEAD SITUATION IF A BIG NEWS IS BREAKING BY OTHER CHANNEL…WHY NOT ME? FIRST VISUAL ON OUR CHANNEL SHOULD BE WHAT REPORTER IS DOING? THIS IS EXCLUSIVE VISUAL…THERE IS A BIG FIGHT FOR THAT….AND THAT FOOLISH TRP SYSTEM YOU KNOW….WHICH STORY WILL FETCH TRP A LOVE TRIANGLE OR A MURDER MISTRY…
IF THERE WILL NOT BE MEDIA…CHALTA HAI TYPE WILL KHOOB CHALEGA॥NETA JI PAISA LEKAR SAWAL PUCHHENGE,,,SAWAL PUCCHKAR ABSENT RAHENGE, JANTA MARE TO MARE…।SARKAR SOI RAHEGI,,,,POLICE GUNDAGARDI KARNE LAGEGI,,,NAUKARSAH AARAM FARMANE LAGENGE,,,SARABI-MABALI AAPKE GHAR ME BABAL KARENGE…IT IS ALL HAPPENING THESE DAYS BUT IF THERE IS NO MEDIA IT WILL BE ON CHARAM.. WHAT MEDIA DOES IT GIVES YOU INFORMATION..MAY BE SOME TIME WRONG NOT ALL THE TIME. IT IS NOT FINAL ON YOU THAT WHAT THEY SAY YOU SHOULD ACCEPT THAT.WE DO MISTAKE…SOME TIME WE TAKE FAVOR OF SOME PEOPLE,SOME PARTY BUT WE DONOT SAY YOU DO IT TOO.

AND NOW ABOUT THE FILM…IT IS RAHUL BABA FILM? HIS DALIT PREM AND HIS TYPE OF THOUGHT IN POLITICS..I DONOT THINK ITS STORY ON RAHUL. IT IT WAS THE THOUGHT MAY BE AMAR SINGH HAS OPPOSED THAT.SO I HAVE NO DOUBT IN MIND IT IS NOT THE CASE. OK MAY BE THE WRITER HAS FOLLOWED THIS SEQUENCE…IT WAS MAKE UP MAN IN THAT FILM SHOULD BE CREDITED. ONCE IT SHOULD BE SEEN. THIS IS NOT THAT BACCHAN SAHEB DONE EXTRA ORDINARY WELL. SUBJECT WAS DIFFERENT AND IS RARESST OF RARE CASE.SO SHOULD BE SEEN. AGAIN MAKE MAN ALL THE CREDIT. AGAIN YOU CAN SAY THAT A SIXTY PLUS MAN HAS DONE 12 YRS BOY ROLE…OK.
WHAT HAS THIS FILM DONE TO SHOW MEDIA IS BAD AND POLITICIAN ARE GREAT.KAS AISA HOTA.BOTH POINT IS WRONG. NO DOUBT MEDIA DOES WRONG AND AT THE SAME TIME POLITICIAN IS NOT SO GREAT AS PAA DIRECTOR WANT TO SAY….MAY BE HE WANTED THAT POLITICIAN WILL SEND HIS FOLLOWERES TO HALL TO MAKE FILM HIT. AND HIT IT OUT MEDIA SO THAT YOU WILL BE IN NEWS AND IT GIVES YOU THAT FOOLISH TRP THAT ANY FILM DIREECTOR AND ITS UNIT WANTS. IF ANY DOUBT SEE AAMIR KHAN WHAT IS HE DOING?

ARUNA TERI KAISI KAHANI….

SHE IS DEAD FROM 36 YRS STILL ALIVE JUST LIVE SHOULD BE SAID. WHAT TO SAY WHATEVER YOU SEE YOU CAN NOT SAY ANYTHING ABOUT HER. SHE IS A RAPE VICTIM AND GETTING PUNISHMENT OF OTHER FAULT FOR MORE THAN 3 DECADES…THIS TYPE OF CASE SOMETIME PROVOKE YOU TO WRITE RAPIST SHOULD BE HANGED. YOU CANNOT SUPPORT RAPE AT ANY COST.BUT WHAT IS THOUGHT THAT ONE SHOULD BE GIVEN A CHANCE TO RECTIFY HIS MISTAKE….ALAS IT COULD HAVE BEEN. SHE IS FROM MUBAI. SHE WAS A BEAUTIFUL WOMAN AND WAS DOING BEAUTIFUL WORK. SHE WAS WORKING IN KEM HOSPITAL MUMBAI AND GIVING LIFE TO MANY PATIENT.HOW GOD CAN BE SO CRUEL TO SOME ONE? SHE WAS BEATEN AND RAPED AN EMPLOYEE WORKING WITH HER.HE DID IT IN REVENGE OF WHAT ARUNA COMPLAINED ABOUT HIS THIEFING…MAN NAMED SONELAL…KAS HIS HEART BHI SONE JAISA HOTA… HE HAS GOT HIS SEVEN YRS PUNISHMENT AND NOW OUT.MAY BE ENJOYING HIS LIFE OR …..BUT ARUNA IS IN BRAIN DEAD CONDITION FOR SO LONG..NOW SC HAS TO DECIDE WHERE ARUNA ALLOWED TO LIVE OR NOT. IT IS NOT ARUNA WISH…O TO KUCH BOL BHI NAHI SAKTI, KUCH SOCH BHI NAHI SAKTI…THIS IS ARUNA WELL WISHER DESIRE TO GRANT HER GO OUT OF THE WORLD.THE WORLD WHICH HAS GIVEN HER NOTHING…ARUNA RELATIVES HAVE THEIR OWN PROBLEM,,,HOW LONG TO LIVE WITH A RAPE VICTIM ALSO ONE WHO CAN NOT COME IN A GOOD STATE AT ALL. I SALUTE THE WORKERS OF THAT HOSPITAL WHO STILL HELP HER..AND BEYOND DOUBT WITHOUT HER SUPPORT ARUNA COULD NOT HAVE LIVE SO LONG….A DOCTOR WAS THERE..BOTH OF THEM WERE GOING TO MARRY SOON THEN..BUT AFTER THIS HAPPENING ITS ALL OVER….I WANT TO WRITE HERE FILM PAA BUT I THOUGHT IT IS BIGGER ISSUE THAN MY COMMENT ON FILM….WHO KNOWS THERE WILL BE MANY MORE ARUNA. BECAUSE RAPE DOES NOT HAPPEN ONCE IN 10 MILLION. IN OUR COUNTRY .HOW MANY TIME HAVE TAKEN TO WRITE THIS PAGE THEIR MAY HAVE SOME CASES OF RAPE IN OUR COUNTRY…..HOPE SUPREM COURT NOT ONLY DECIDE THE FATE OF ARUNA BUT ALSO COME SOMETHING HIGH ON THE RAPIST THOSE ILL MINDED PEOPLE……….

DEN ME TIGER

TOP GOLFER TIGER WOOD IS NOW IN NEWS FOR BAD REASONS. HE IS REGULARLY IN THIS…WHAT HAPPENS TO THEIR FAMILY,THEIR FRINDS
AND THEIR FOLLOWERS.WHAT THEY WILL BE THINKING RIGHT NOW. TO WHOM WE PRAISE,ADORE AND MANY MORE…HOW A PERSON LIKE THIS CAN BE SUCH…HE IS STILL THE BEST PLAYER CHOOSEN BY US. NO DOUBT AS A PLAYER HE IS GREAT.WHY MANY PEOPLE OF DIFFERENT FIELD LIKE,RESPECT AND WORSHIP SACHIN TENDULAKR. IT IS JUST HIS PLAYING MANNER AND WHAT HE DOES OFF THE FIELD.THE WAY HE BALENCES, NO VIVAD AT ALL OF ANY TYPE…FORGET THAKREY FOOLISH COMPANY…HAVE YOU REMEMBERANY SUCH? THAT IS WHERE HE BECAME OR HE OVERTOOK OTHER GREAT…MARADONA,PELLE, AGASI AND MANY MORE IN THE LIST. SOME ARE FOR KOKIN,SOME ARE FOR AFFAIRS AND SOME ARE FOR OTHER REASON. SO IN WHICH DEN THESE DAY TIGER IS? HIS RELATIONSHIP WITH HIS WIFE ALMOST BROKEN IF BELIEVE MEDIA SOURCES. AND MANY MORE NAME OF HIS AFFAIRS IN THE LEAST…IT IS ALSO SAID TIGER SENDS MONEY TO THE ALL WITH WHOM HE MADE RELATION SO THAT THEY SHUT THEIR MOUTH….PAISE SE KYA NAHI HO SAKTA…AB ISI PAISE SE UTNE TITLE BHI KHARID LO TIGER……….

MAHNAGAI AND POLITICIAN

MAHANGAI HAS BROKEN ALL THE RECORD. THERE WAS HUGE HUNGAMA ON LOKSABHA LAST DAY ON THIS. BUT WHEN DEBATE ON THIS MATTERWAS ABOUT TO START ONLY 47 MEMBERS WERE PRESENT OUT OF 50 MINIUM REQUIRED. SHARM KARO GOVT AND OPPOSTION. DIL KARTA HAI KI YA TO APNA YA PHIR UNKA MATHA PHOR DALOO…..INHE SHARM KUIN NAHI AATI…KISE FOOLISH BANATE HAI LOGO KO YA PHIR YE KHUD AISE HI HAI….YE TO BHAR PET,5 STAR KA KHANA KHA KAR SADAN ME HUNGMA KARTE HAI UNKA KYA JO BHUKE PET INSE UMMIDLAGAI BAITHE HAI…..TELL THE GOVT YOU SHOUL DO THIS TO CUT SHORT MAHANGAI…HAVE ANY BODY ANY IDEA HOW TO OVERCOME THIS. ITS OK OURS ARE VERY LUCKY TO HAVE A ECONOMIST PM. ITS OK WHOLE WORLD IS FACING SUCH PROBLEM. VERY HARD TO DO ANYTHING.BUT AT LEAST YOU CAN SIT,CAN TALK,CAN SUGGEST,CAN DEBATE HOW TO TACKLE THIS.ONLY CRYING,DOING HUNGAMA, GOING ON TO THE ROAD IS NOT GOING TO SOLVE THE PROBLEM..THEN WHAT PEOPLE SHOULD DO AT THIS TIME…HOW THEY CAN GET RICE AND NAMAK,FORGET OIL, FORGET NON-VEG WHEN VEG IS HITTING THE RATE.
ONE CHANNEL NDTV HAS A REPORTER WHO COVERS STORY ONLY ON THIS AND ALMOST EVERY DAY HE HAS A REPORT. HE HAS GOT SOME RESULT THOUGH AND DID WELL TO SEE THE MIRROR TO DELHI GOVT.MANY CHANNELS HAVE DONE THAT.BUT SOME HAVE THEIR OWN STORY..IS SABJI KO MAT KHANA….
NO DOUBT THIS IS THE BIGGEST PROBLEM WE ARE FACING.AS WHAT IS HAPPENING IN KOPENHEGEN SUCH IS THE CASE WITH THIS DANGEROUS DISEASE….

Monday, December 7, 2009

ITS LIBRAHAN Vs ALL….

EVERYBODY IS HITTING LIBRHAN..WHY 17 YRS, WHY CRORE OF RS AND WHY BASELESS AND FOOLISHFUL REPORT…WHY WHY WHY..C.RY..CRY AUR JOR SE…SO IS THE CASE…WHY IT HAS LEAKED FIRST…TELL ME AND CRY FOR SOME DAYS…AND THEN WHY ATAL AND WHY HE WHY RAO CLEAN CHEATED? WHY A COMMENT ON POLITICAL PARTY..WHY A COMMENT ON ADWANI..AND WHY A COMMENT ON SO MANY THING…THEN WHY WE WERE WAITIN FOR THIS REPORT AND WHY WE ARE THINKING THAT GUNAHGARO KO SAJA MILEGI…AAJ SANSAD ME YE BHI SUNA ..HUM LAYA HAI TOOFAN SE KISTI NIKAL KE…IS DESH KO RAKHNA MERE BACCHO SAMBHAL KE….KAUN RAKHEGA? SADIYO NE SAJA PAAI HAI…AND SUCH…WELL…WHEN THESE WHOLE REPORT IS A BOX OF BLUNDER THEN WHY ARGUMENT IS GOING ON…WHY COUNTRY MORE MONEY IS BEING WASTED ON THAT…6DEC HAS GONE…TIGHT SECURITY ARRANGMENT..AND HOPE THERE WAS NOTHIN WRONG HAPPENED…REACTION FROM AYODHYA IS THAT THE POLITICS IS BEING DONE FROM 17 YRS AND IT WILL GO ON..BUT THIS IS SURE NOW YOU CAN NOT TAKE VOTE ON THAT…IT YOU TAKE SOME BUT IT IS NOT GOING TO GIVE YOU VICTORY…WHY NOT DO SOME THING WHICH REALLY REMEMBERD FOR LONG-LONG TIME…THIS WRITER WILL NOT BE THERE..YOU WILL NOT BE THERE..BUT A STORY WILL BE TOLD…THERE WAS A TIME..THERE WAS KING AND THERE WAS A MOSQUE AND TEMPLE…NOW BOTH ARE PRAYING…CHALO KABHI AYODHYA..DEKHE IS JAGAH KO…PEHLE TEMPLE ME JAYE YA MOSQUE ME…MAKE THIS HARD QUESTION TO DECIDE FOR FUTURE..CAN WE SO SECULAR…BJP PRESIDENT RAJNATH SINGH WAS SUGGESTING WHAT IS SECULARISM AND HINDUISM AS IF HE IS THE ONLY WHO KNOW ABOUT THIS? SOME BODY WAS TRYING TO SCORT MUSLIM VOTE…SOME FIGHTING FOR DALIT….VOTE BANK WAS THERE FOR EVERY SPEECH MAKER MIND….SO RAJNATH ENDED WITH THAT WE WILL BE DOING THIS…NO BODY IS SAYING I HAVE DONE THIS BLACK DAY…REPORT IS WRONG…BASELESS AND SO MANY THING…I AM PROUD TO BE ASSOCIATED WITH THAT MOVEMENT…BUT COME ON MAN AND SAY I DID IT..NOW DO WHAT YOU CAN..PUNISH ME OR YOU CAN NOT PUNISH ME…DO THIS…WANT TO WRITE MORE ON THIS BUT FOR THE MOMENT STOPPING….IT IS CONTINUE FROM 17 YRS AND LET IT GO MORE……..

Thursday, November 26, 2009

26/11 MUMBAI ATTACK

Today India is paying homage to those due to which we are here after 1 year. Today we have completed one year of that unforgettable Mumbai terror attack. Just one year back it was hard to believe thing like such can happen on our soil. But it is true, it happened and we were totally taken aback. Now the best homage to those who killed is that we do something that this type of attack never happen. I will there on this after sometime. ONLY to say we can never forget those hero. They will remain in our heart for ever.

Wednesday, November 25, 2009

बाबरी के कातिलों को मिलेगी सज़ा?

6 दिसंबर 1992 का सच सामने है। लेकिन क्या ये ऐसा सच है जिसे हम नहीं जानते थे। कोई नहीं जानता था। 17 साल की मशक्कत के बाद लिब्रहान आयोग ने रिपोर्ट पेश कर दी। करीब 48 एक्सटेंशन और 8 करोड़ हमारे-आपके खर्च के बाद। रिपोर्ट संसद में पेश होने से पहले ही लीक हो गयी। सड़क से संसद तक मच गया बवाल। बाद में सरकार ने संसद में रख दिया। तेरह पन्नों का एटीआर भी..लेकिन अब आगे क्या होगा। चर्चा होनी है गुरुवार को लेकिन इससे क्या होगा। आम आदमी को इससे क्या फायदा होने जा रहा है। उनके तो मुद्दे ही खत्म हो गए। गन्ना किसानो का अध्यादेश भी कही खो गया। ना महंगाई, ना बेरोजगारी और ना ही मधु कोड़ा या फिर शिवसैनिकों के तांडव की चर्चा है। क्या संघ और बीजेपी के लिए ये रिपोर्ट फायदेमंद है। इसका वे लाभ उठा सकते है। रिपोर्ट में 68 लोगों को दोषी ठहराया गया है। इस पूरे मामले में आरएसएस और तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की भूमिका पर गंभीर सवाल है। ये सब जानते है। इन 68 लोगों में एक नाम ख़ास है वो है अटल जी का। इनके अलावा आडवाणी,जोशी,बाल ठाकरे,उमा भारती,विनय कटियार,अशोक सिंघल.साध्वी ऋतंभरा,के.एस.सुदर्शन,प्रवीण तोगड़िया को सब जानते है। कुछ सरकारी अफसरों पर भी सवाल है। तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की गलती ये थी कि उन्होने कल्याण पर भरोसा किया। ये सब जानते है। जो हुआ वो भारतीय इतिहास का काला दिन था इसमें किसी को भी शक नहीं होना चाहिए। भले ही किसी के लिए ये गर्व की बात हो...मुबारक हो उन्हे इस पर गर्व होना। देश को शर्मसार कर आपको गर्व होता है तो हो। आप देश के गुनहगार है। अब संघ –बीजेपी की दोस्ती अपने बेहतर दिनों में लौट जाएगी? जिन्हे लोगों ने ठुकरा दिया कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, बाल ठाकरे उन लोगों की दुकान फिर चल पड़ेगी। सुषमा स्वराज से घटिया वक्ता कोई नहीं दिखता। एक बार एक जगह बड़ी ख़बर देख रहा था। बहुत बड़ी ख़बर जो आई मध्यप्रदेश से। सुषमा ने कहा कि आडवाणी विपक्ष के नेता बने रहेंगे। हालाकि उस चैनल ने इस बड़ी ख़बर पर कोई रिपोर्ट पेश नहीं की थी। अब सुषमा रिपोर्ट लीक मामले पर गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग करती है। शर्म नहीं आती इन्हे किस आधार पर। अगर जरा सी भी नैतिकता अरे छोड़िए कहां बची है इन बाबरी के गुनहगारों में। अमर सिंह और एस.एस अहलूवालिया राज्यसभा में भिड़ गए। वोट बैंक की खातिर। आगे भी ऐसे दृश्य सड़क से संसद तक दिखे तो आश्चर्यचकित मत होइएगा। आडवाणी संसद में इस बात पर भड़क गए कि इसमें अटल जी का नाम क्यों आया। क्या वो अटलजी को इसका जरा सा भी क्रेडिट नहीं देना चाहते। मंदिर का सारा श्रेय खुद ही ले लेना चाहते है उस मंदिर का जो बना ही नहीं है। आडवाणी जी का करियर एक बार फिर ऊपर जाएगा। उन्हे फिर मौका मिलेगा। जैसे अंपायर ने आउट देकर फिर से बल्लेबाजी के लिए बुला लिया है। लेकिन इस बारे सारे फील्डर तैयार है वो गेंदबाजी भी कसी हुई हो रही है। सो बेहतर हो आप पवेलियन लौट जाए दूसरी इनिंग और ज्यादा खराब होने वाली है। ले लीजिए संन्यास नहीं तो कोई नाम लेने वाला भी नहीं होगा। इसी उम्मीद के साथ कि फिर कोई 6 दिसंबर ना हो, फिर कोई गुजरात दंगा ना हो, फिर कोई सिक्खों का कत्लेआम ना हो। लोकतंत्र जिंदाबाद। धर्मनिरपेक्षता जिंदाबाद।

Wednesday, November 18, 2009

THIS IS MY FIRST CENTURY

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WELL I HAVE SCORED CENTURY TODAY IN MY BLOGS. WHAT YOU CAN THINK ABOUT THE MAN WHO HAS SCORED 87 100’S FOR HIS COUNTRY. NOT EASY TO DESCRIBE. I FIRST WRITTEN ON MY THIS BLOG IN 11 TH NOV 2008.THAT MEANS I TOOK MORE THAN A YEAR TO MAKE FIRST HUNDRED IN MY CARRIER.OK. WHAT TO WRITE TODAY WHEN IT IS MY 100th ONE. FIRST I AM SORRY I AM NOT GOING TO WRITE IN HINDI. THIS IS A TOUGH TIME. MANDI AND MAHANGAI TO JAN HI LE LEGI. TERRORISM IS AGAIN ON PICK AND IT IS HARD TO KNOW WHOM I TALKING IS A TERRORIST OR NOT. HAS HE ANY DEADLY PLAN LIKE THE HEADLEY.THERE WAS A RICHARD HEADLY THE MAN WHO PICKED UP 431 TEST WICKETS IN 86 TESTS MEANS IN ONE MATCH MORE THAN 5 WICKETS. THAT WAS ONCE A DREAM TO REACH THERE. AND NOW THIS DEADLY MAN. HIS PLAN WAS HARD TO BELIVE. HOW MUCH DANGEROUS A MAN CAN BE, AS MUCH AS THE INFORMATION IS COMING ABOUT HIM, DIL KANP UTHTA HAI. BHANAK MANDI DEKHI. 2012 KA DAR BHI DEKHA. OBAMA KA UDAY BHI DEKHA, PAK KI KICHKICH DEKHI, CHINA KI NAUTANKI DEKHI, IRAQ-AFGHAN-SWAT ME QUYAMAT BHI DEKHI. KYA-KYA NA HUMNE DEKHA. OLYMPIC ME GOLD MEDAL BHI DEKHA, OSCAR ME JAY HO BHI SUNA, CHAND PER DAG TO HAI LEKIN PANI BHI DEKHA, ADWANI KA JINNAH PREM BHI DEKHA, PM IN WAITING AND KARIB-KARIB RETIRE HOTE BHI DEKHA,LALU-MULAYAM KO AST HOTE DEKHA, TO UP ME RAHUL KA JALWA BHI DEKHA, MANMOHAN SINGH JAISE SIMPLE MAN KA PM HONA BHI DEKHA, AB GADKARI KA BJP PRESIDENT BANNA BHI DEKH HI LUNGA, RAJ KI NITI BHI DEKHI, THAKREY KO CLEAN BOWLED HOTE BHI DEKHA, AZMI KA HINDI PREM BHI DEKHA, MNS KI GUNDAGARDI BHI DEKHI, PAES-BHUPATI KA US FINAL ME EK DUSRE KE KHILAF KHELNA BHI DEKHA, RAKHI KA SWAYMBAR BHI DEKHA, COLOURS PE BIG BOSS BHI DEKHA,KAMAL KHAN KI GALI BHI DEKHI,VOTERS KE MOOD BHI DEKHE, CHANNELS KI BADH BHI DEKHI,KHABRO KE LIYE MARAMARI BHI DEKHI,NAUKRI JANE-AANE KI TAKLIF BHI DEKHI,SADAK PER AAYE LOGA KA DARD BHI DEKHA, COMMON WEALTH SE KAHI NAK NA KAT JAY ISKI CHINTA NE BHI SATYA,T-20 CHAMPION KA MAJA BHI UTAHAYA TO NO. ONE KA LUTF BHI UTHAYA, SONA KITNA SONA HAI YE BHI DEKHA, 100 RS DAL BHI DEKHA, LACHAR KRISHI MANTRI KO BHI DEKHA TO KAPIL SIBBAL KI HIMMAT BHI DEKHI,,,KUCH BADLAV KARNE KI,,,UPA KA RAJ BHI DEKHA, SHIVRAJ PATIL JAISA HOME MINISTER BHI DEKHA, TO FINANCE EXPERT KO HOME MINISTER BANTE BHI DEKHA,,KYA-KYA NA DEKHA….MAMTA KI TUNAK MIJAJI BHI DEKHI, TO RAIL KE LIYE UNKA PYAR BHI DEKHA, LAL GARH KO DAHTE DEKHA, MAMTA KO LAL GARH ME SENDH LAGATE DEKHA, AB CM BANNE KI UNKI TAYIRI BHI DEKH RAHA…LEFT-RIGHT-CENTRE KA COMBINATION BHI DEKHA. SONIYA KI TAKAT BHI DEKHI, RAHUL KA DALIT PREM BHI DEKHA, MAYA KA MAYA AUR MURTI PREM BHI DEKHI, LEKIN USI MAYA RAJ ME HATI KO TADPATA HUA KAL KANPUR ME DEKHA TO SOCHA KI MYA KO SIRF MURTIYO SE PYAR HAI,,,LOGO,JIV-JANTUO SE NAHI…PRATIBHA PATIL KO PRESIDENT BANTE BHI DEKHA AB O SUKHOI ME BHI UDAN BHARENGI, YE BHI DEKHUNGA, LEKIN KOI BHI LADKI SUKHO KA SUKH NAHI UTHA SAKTI KYUNKI UNKE LIYE BACHHE KA SUKH JAYDA BADA HAI,,,O HUM MARDON KO DUNIYA ME JO LATI HAI,,,BHALA O KUIEN YE SUKH UTHAYE…SHARM AATI HAI MAGAR AAJ YE KAHNA HOGA…..KYA-KYA NA DEKHA,,MULAYAM KA KALYAN PREM BHI DEKHA…JAYA-AZAM KI AMAR KAHANI BHI DEKHI…SAMJAWAD KO JAMIN PER LANE KI AMAR KAHNI BHI TO SABNE DEKHI HI…BINA UP-BIHAR KE BHI CONGRESS KI SARKAR BANTE DEKHA…UP-BIHAR LUTNE KI ADA BHI DEKHI..IPL KI NAUTANKI BHI DEKHI…KYA-KYA NA DEKHA….TRP KI MARAMARI BHI DEKHI…O MODI KA ADHURA INTERVIEW BHI DEKHA…NITISH KA SUSASHAN BHI SUNA,,,DEKHA NAHI…RAMVILAS HO RECORD BANATE AUR SIKHAR SE SIFAR PER AATE BHI DEKHA…DHANYA HO HAJIPUR KI JANTA…SAT-SAT NAMAN…LEKIN PEHLE INDIAN HOON ISKA GARV HAI…HUM NAHI DARTE MNS KE GUNDO AUR BUDHA HO CHUKE SHER KI DAHAR SE…MAHILA KO BUSO ME TOKHAR KHATE BHI DEKHA, SHEILA KA KAHNA KI MAHILAYE APNI SURAKSHA KHUD KARE O BHI DEKHA-SUNA…KAI AACHI BATE SUNI DEKHI—KAI DUKH PAHUCHANE WALI…NEWS ROOM ME 820PM ME GANA CHALTE BHI SUNA THANK TO DUA SIR.ABHI BAHUT KUCH DEKHNA SUNANA HAI…O DUA SIR KAHTE HAI …NA KI ISI UMMID KE SATH KI HAMARA AANE WALA KAL AAJ SE BEHTAR HOGA…KAL PHIR MILENGE…NAMASKAR….JATE-JATE AAPKO CHOR JATE HAI APNI PEHLI BLOG KI YADO KE SATH….

journailst 11-11-2008WHY JOURNALISM? TO AUR PHIR KYA KARE. NETA BAN JAYE,CRICKETER BAN JAY KI BANK-RAILWAY ME CHALE JAYE. KAHI NAHI JA SAKTA. BUS AB TO ISI ME LIFE BITA DENA HAI YA PHIR ISE AISE KAHE LIFE ISI ME BITA DENA HAI. LEKIN KUCH LOGO KE CHERE PAR HANSI LAKAR,KUCH LOGE KE JEEWAN ME KUCH BHI POSITIVE BADLAV LA KER. AAMIN.

Tuesday, November 17, 2009

फांसी दे दिया जाए या देश से बाहर कर दिया जाए…

क्या करें इन देश के टूकड़े-टूकड़े करने के सपने देखने वालों को...शिवसेना को,एमएनएस को और मोदी टाइप लोगों को...क्या किए जाए आखिर इनका...जम्मू कश्मीर के अलगवादियों का...शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे महाराष्ट्र चुनाव में हार से इस कदर बौखला सकते है इसका अंदाजा उन्होने अपने संपादकीय में दिया...मैं पहले भारतीय हूं कहने पर सचिन को धमकी दे डाली अस्सी साल पार कर चुके ठाकरे ने...सचिन तू क्रिकेट पिच पर ही खेल राजनीति की पिच पर ना खेल..क्या राजनीति बाल ठाकरे और राज ठाकरे की बपौती है...पहले तो उन्हे ये पता ही नहीं है कि सचिन राजनीति से वनडे में 17 हजार से ज्यादा रन दूर है और टेस्ट में भी करीब तेरह हज़ार रन दूर...वैसे तो ठाकरे हमेशा गलत पिच पर बल्लेबाजी करते रहे है लेकिन इस पर पहली बार सामने कोई मजबूत शख्स सामने है...देश भर में बवाल...मीडिया से लेकर सड़क-बस-रेल सबमें यही सवाल...पहले भारतीय होने में क्या गलत है...खैर वहीं ठाकरे अपने संपादकीय के अंत में ये लिखते है जय हिन्द,जय महाराष्ट्रा...उनका हिंद से क्या मतलब है, देश है या कुछ और जो सिर्फ वहीं जानते है...लालू ने सच फरमाया उनके पैर कब्र में है और उन्हे अपनी सेहत पर ध्यान देना चाहिए...कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी सही लगी...मनीष तिवारी ने कहा कि ऐसे बयानों की सही जगह कूड़ेदान है...शायद वो भी नहीं...बीजेपी शिवसेना की सहयोगी पार्टी को भी सचिन के बयान में कुछ भी गलत नहीं दिखता...फिर ये शिवसेना को क्या गलत दिखा...अब वो अपनी ही चाल में फंस गए है...राज ठाकरे ने पहले से उनका सोना हराम कर रखा है अब गलत जगह उन्होने हाथ डाल दिया है...दिन भर के बवाल के बाद बैकफुट पर आ गई शिवसेना एंड कंपनी....उम्मीद थी कि बाल ठाकरे अगले दिन भी संपादकीय में माफी मांगेंगे लेकिन ऐसी हिम्मत ठाकरे में कहा होती है...शिवसेना के प्रवक्ता टेलीविजन पर दिन भर भौंकते रहे है...वे गली के कुत्तों से भी बदतर लग रहे थे.,...जब ये कह रहे थे कि हम पहले मराठी है फिर हिन्दुस्तानी...क्यों न इन्हे बैन कर दिया जाए....अस्सी साल पर कर चुके बुजुर्ग को फांसी भी तो नहीं दे सकते...हम भारतीय हैं ऐसा नहीं कर सकते....तो क्या इन्हे समाज से अलग-थलग कर दिया जाए...हम भारतीय ऐसा नहीं कर सकते...तो क्या इन्हे देश से निकाल दिया जाए...अरे,जब हम दूसरे देशों के लोगों को अपने यहां शरण देते है तो ऐसा कैसे कर सकते है...लेकिन इतना तया है ENOUGH IS ENOUGH. कुछ करना ही होगा...इन जैसे लोगों का...राज्य सरकार,केन्द्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में कुछ करना ही होगा...खासकर आम लोगों को आने आना होगा...ताकि ऐसे लोग देश को बांटने की कोशिशों में सफल ना हो पाए...

HE IS IN HEADLINES FOR 20 YRS AND GO MORE…..

I THOUGT IN LAST 20 YRS WHICH MAN,WHICH ACCIDENT, WHICH EVENT WAS IN THE HEADLINES THE MOST. AND I CAME TO CONCLUSION THAT THIS IS NONE OTHER THAN MASTER BLASTER. HOW MANY TIMES HE WAS IN HEADLINES. NO ONE CAN MATCH HIM.NOT ANY US PRESIDENT, NOT THE BLASTS IN PAKISTAN, NOT THE TERROR ATTACK IN INDIA-IRAQ OR NOT RAIL ACCIDENT IN INDIA,NOT ANY GRANDSLAM WINNER OR A OLYMPIC CHAMPION.
MAKING HIS FIRST CENTURY, HITTING QADIR KHAN SIXES, MAKING FIRST ONE DAY CENTURY, GOING FIRST TIME AS OPENER IN ONE DAY AND BLASTED KIWIS,HITTING SHANE WARNE, MAKING TWO CENTURIES IN SHARJAH, MAKING 10 THOUSANDS IN ONE DAY,TEST, WHAT DON BRADMAN IS SAYING,HITTING SOHAIB FOR SIX,MAKING INDIA IN SEMIFINAL IN 1996, IN FINAL IN 2003, MAKING 186, MAKING 175,MAKING 248, BECOMING MAN OF THE MATCH MAX TIME,MAN OF THER TOURNAMENT MAX TIME, GETTING KHEL RATNA,ARJUNA AND MANY MORE, RECENTLY FROM MODI,MAKING 17 THOUSAND,MAKING MAX RUN IN WORLD CUP,MAX CENTURY IN WORLD CUP, GIVEN OUT WRONGLY BY UMPIERES MANY TIME,BECOMING FIRST MAN TO BE DISMISSED BY THIRD UMPIRE,SOME TAKE WRONG CATCH AND HE IS OUT, MAKING RUN IS HEADLINES,NOT MAKING RUN IS HEADLINES, GOING IM MASOORI IS HEADLINES, FATHER PASSES AWAY AND PLAYING AND MAKING 100 IS HEADLINES, HIS BIRTHDAY IS HEADLINE, MARRIAGE DAY IS HEADLINES,,WHO SAYS WHAT ABOUT HIM IS HEADLINES,GOING TO SEE WIMBELDON IS HEADLINES, WHAT HE SAYS IS HEADLINES AND NOT SAYING IS HEADLINES, SAYING I AM INDIAN FIRST IS HEADLINES AND WHAT BALA SAHEB IS SAYING ABOUT HIM IS HEADLINES.....AND MANY MORE......
CAN YOU IMAGINE I CAN NOT BE IN MANY TIMES TO MAKE THESE HEADLINES OR YOU WERE NOT TO READ MANY TIMES THAT HEADLINES BUT THIS MAN IS IN HEADLINES FOR LAST 20 YEARS AND WILL GO FOR MORE....

Sunday, November 15, 2009

कैसा बनना है?

ब्लॉग से....
सुधीश पचौरी न रवीश कुमार
बहुत दिनों से जो बात कहना चाह रहा था उसे किसी युवा पत्रकार ने कह दिया। साफ-साफ कह दिया कि हम किससे प्रेरणा लें। हिंदी में कोई नहीं है। न रवीश कुमार से प्रेरणा ले सकते हैं न सुधीश पचौरी से। मेरी तो अभी सीखने की उम्र भी खतम नहीं हुई है और जो काम किया है वो निहायत ही शुरूआती है तो प्रेरणा क्या दूंगा। खैर ये सफाई नहीं हैं। सहमति है। यही बात जब मैंने एनडीटीवी के मीडिया स्कूल में कही थी तो लगा था कि कुछ ज़्यादा बोल गया। अब कह सकता हूं कि कई लोग ऐसा ही सोचते हैं। एनडीटीवी के मीडिया स्कूल में नए छात्रों से मैं कहने लगा कि हिदी टीवी पत्रकारिता में ऐसा कोई भी नहीं है,जिसकी तरह आप बनें। हम सब औसत लोग हैं। औसत काम करते हुए बीच-बीच में लक बाइ चांस थ्योरी से कभी-कभार अच्छा भी कर जाते हैं। लेकिन हम सब टीवी के लिहाज़ से मुकम्मल पेशेवर नहीं हैं। मैं छात्रों से गुज़ारिश कर रहा था कि मेरी बात याद रखियेगा। किसी से न तो प्रभावित होने की ज़रूरत है न प्रेरित। आप अपना रास्ता खुद तय करें और तराशें। लौट कर आया तो लगा कि कहीं ये संदेश न चला गया हो कि बंदा निराश हताश टाइप का है। लेकिन जब एक लड़के ने खम ठोक कर यह बात कह दी तो लगा कि वाह। मूल बात तो यही है। दूरदर्शन के कार्यक्रम 'चर्चा में' की रिकार्डिंग चल रही थी। प्रभाष जोशी को याद किया जा रहा था। आईएमसी और अन्य पत्रकारिता संस्थान के छात्र थे। काफी जोश और ज़िम्मेदारी से बोले। उनकी बातों से हमारे पेशे में आए खालीपन को महसूस किया जा सकता था। वो अच्छा पत्रकार बनने के लिए बेचैन नज़र आए लेकिन वो सब वैसा ही क्यों बनना चाहते हैं जो पहले हो चुका है। वो किसी की तरफ देखते ही क्यों हैं। अगर यह नई पीढ़ी अपने जोश को बचा ले गई और मेहनत से काम को तराशती रही तो अच्छा कर जाएगी। दफ्तरी आशा-निराशा के चक्कर में फंस गई,छुट्टी लेने के लिए दादी-नानी को बीमार करती रही,वो नहीं करता तो मैं क्यों करूं टाइप की अकड़ पालती रही तो वही होगा जो हमारी पीढ़ी का हुआ। और ऐसा भी नहीं है कि हमारी पीढ़ी में लोगों ने साहसिक काम नहीं किये। बेहतर टीवी रिपोर्ट नहीं बनाई। बनाई। लेकिन जो हो रहा है उससे सबके किये कराये पर पानी फिर चुका है। बहरहाल नवोदित पत्रकारों की चिंताओं से लगा कि आज भी हिंदी का पत्रकार इसीलिए पत्रकार बनना चाहता है कि वो समाज में बदलाव चाहता है। गरीबों की आवाज़ उठाना चाहता है। कितनी बड़ी बात है। फिर ऐसा क्या हो जाता है कि नौकरी पाने के बाद कोई इस जुनून को साधता हुआ नज़र नहीं आता। यही प्रार्थना है कि इनका जुनून बचा रहे। यह कार्यक्रम शनिवार को आएगा। विद्रोही बुलंद पत्रकार को साधुवाद।

एक अच्छी बहस चल रही है। हालाकि कुछ लोगों की तर्कों से मैं सहमत नहीं हूं। मेरी नज़र में आज क्या पत्रकार कुछ ऐसे है। वो कोई भी ख़बर पहले ब्रेक करना चाहते है। और VISUAL सबसे पहले PLAY करना चाहते है...EXCLUSIVE TAG के साथ...वो ख़बरों से खेलना चाहते है। LIVE,PHONE,BREAKING,EXCLUSIVE. वो किसी चैनल पर ख़बर आने के बाद ब्रेक करने पर बहुल गुस्साते है। चीखते है, चिल्लाते है। हमें कोई नहीं पहले पता चला। कभी कभार इस जल्दबाजी में CONFIRM करने की भी जरूरत नहीं महसूस करते। JUST GO FOR THAT. बड़ी ख़बर के दूसरे चैनल पर आने के तुरंत बाद वो इसकी जानकारी FIELD से मांगते है। कभी मिलने पर और कभी उससे पहले ही शुरू हो जाते है। वो तुरंत प्रसिद्ध होना चाहते है। EXCLUSIVE ख़बरों के पीछे रहते है। भले ही इससे किसी का फायदा हो रहा हो या नहीं। हाल ही में SWINE FLUE का कहर देश ने झेला। इसी वक्त जामताड़ा,झारखंड में मौजूद एक पत्रकार से मेरी बात हुई। मैंने पूछा क्या कर रहे है आजकल। उन्होने कहा बस ऐसे ही है। छोटी जगहों से बड़ी ख़बर कहां से निकालू। फिर मैंने स्वाइन के बारे में बताया और पूछा कि वहां कोई मरीज मिला है क्या। उन्होने कहा अरे भाई क्या बात कर रहे हो। फिर मैंने पूछा भाई ऐसा क्यों कह रहे हो। कुछ महीने बाद उन्होने बताया कि उन्होने जामताड़ा में SWINE FLUE पर रिपोर्टिंग की और उनके चैनल में खूब चली। दरअसल उन्होने कुछ स्वास्थ्य अधिकारियों से बात कि जिन्हे ये पता नहीं था कि स्वाइन क्या बला है। वो बहुत खुश थे वो रिपोर्ट कर,कई बार फोनो चला था, जामताड़ा के दूसरे रिपोर्टर उनसे नाराज हो गए थे...बिना बताए स्टोरी कर डाली। इन्हे कोई चीज बेहतर चलाने से ज्यादा चिंता ख़बर को पहले चलाने से है। वो बड़ी ख़बर देखने को लालायित होते है...बिना देर किए तुरंत उस पर आगे बढ़ जाना चाहते है। ये हडबड़ी कभी-कभी खतरनाक होती है। हेडली-राहुल प्रकरण पर ही सोचिए। राहुल भट्ट का नाम आता है। क्या बिना राहुल के STAND जाने हमें ये ख़बर चलानी चाहिए? मैं चाहूंगा कि वरिष्ठ लोगों आज के इन युवा पत्रकारों की हडबड़ी पर कुछ बताएं।

Wednesday, November 11, 2009

SACHIN,SONA,SENSEX

IT IS A RACE AMONG SACHIN TENDULKER, GOD OF CRICKET, SENSEX AND GOLD…SENSEX HAD SCORED 17K BUT NOW IT IS IN 16 AND TENDULKER HAS REACHED IN 17 THE MAN WHO IS GOING TO COMPLETE 20 YRS OF INTERNATION CRICKET SOON. WHAT A MAN HE IS? HE IS HUMAN OR SOME THING ELSE. THEY SAY IF CRICKET IS RELIGION SACHIN IS GOD, RIGHTLY SO, IF YOU HAVE SEEN HIS LATEST HYDERABADI INNING…HE IS MORE OF THAT. 175 OF 141 BALLS WITH 19 BOUNDARIES AND 4 SIXES….KAPIL DEV ONCE PLAYED 175 AND THIS. THAT WAS WHEN INDIA FIRST BATTED,,,THIS ONE WHEN INDIA WAS CHASING A HUGE TARGET 351 RUNS TO WIN. THIS MAN WAS OUT OF TOUCH AS SOME STARTED TO SAY…BUT HIS TWO DISMISSALS BEFORE THAT WAS UNLUCKY RUN OUT AND OTHER IS UMPIRE MISTAKE THEN HOW YOU CAN SAY THE BIG MAN IS OUT OF FORM…RIGHT. IF INDIA COULD HAVE WON THE MATCH WHAT A MOMENT IT WOULD HAVE IN OUR LIFE..JUST THREE RUNS WAS SUCH A PAIN THAT WE WILL CARRY WHOLE LIFE AND THIS MAN TOO. IT REMINDS THAT INNING AGAINST PAKISTAN IN TEST MATCH. WHEN HE ALMOST SINGLE HANDEDLY WON TEST FOR US BEFORE HE GOT OUT AND WE LOSS. AND IT HAPPENS AGAIN….HERE 19 REQUIRE AND THERE 17 REQUIRED…OTHERS COULDNOT MANAGE….BIG BATTING LINE UP..WHEN THEY WILL KNOW HOW TO PLAY…SUCH A GREAT CALCULATION…HE IS MASTER IN MATHS…NO BIG RISK…WICKETS ARE FALLING FROM ONE END AND THIS MAN CARRY TILL 47 OVERS…AND AUSTRALIANS WERE ALMOST KNOW WE ARE IN LOOSING SIDE…BUT ALAS KAS OTHER BATSMEN HAVE PLAYED WITH SOME BRAIN AND WE COULD HAVE WON THE MATCH, WIN THE SERIES AND MORE IMPORTANTLY ONE OF THE GREATEST HINDI JOURNALIST PRABHAS JOSHI COULD HAVE WRITTEN IN NEXT DAYS NEWSPAPER ABOUT TENDULKER’S 17 THOUSAND…A GREAT INNING AND THE MAN WHO ALWAYS TALKS WITH BAT COULD HAVE BEEN WRITTEN IN WORDS ONCE AGAIN….BUT THIS IS LIFE THIS IS CRICKET….THIS IS SACHIN…LET HIM PLAY TILL HE WANTS DONOT SAY ANY WORDS AGAINST HIM…BECAUSE WHEN HE LEFT OUT YOU WILL HAVE NOTHING TO DO…AND WILL ALWAYS REMEMBER ALAS SACHIN COULD HAVE PLAYED WE COULD WIN…..WATCH HIM PLAY DONOT MISS ANY ACTION TILL IS IN THE FIELD….WHOLE WORLD IS THANKFUL FOR GOD WHO SEND SUCH A MAN ONCE IN A CENTURY OR LIFE TIME….

Sunday, November 8, 2009

भोजपुरी भी LIVE

महुआ के लोकप्रिय कार्यक्रम का फ़ाइनल। पटना का ऐतिहासकि गांधी मैदान ऐतिहासिक क्षण का गवाह बन रहा था। गांधी मैदान अपने में कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है और भोजपुरी की माटी से भोजपुरी कार्यक्रम LIVE. लोगों की भारी भीड़। दोनों ही प्रतियोगी के लिए समर्थन..देखने लायक माहौल था। और जब रविकिशन ये कह रहे थे कि आज बड़े गर्व की बात है। भोजपुरिया समाज के लिए गर्व की बात है। दुनिया ये कार्यक्रम LIVE देख रही है तो यकीन जानिए भोजुपरी जानने-समझने वाले लोग इस खुशी से पगला से गए होंगे। भोजपुरी गायकों की खोज श्रृंखला की शुरुआत हो चुकी है। काफी जदोजहद के बाद फ़ाइनल के लिए दो कलाकार बचे थे। फाइनल यूपी बनाम बिहार हो चला था। उत्तर प्रदेश के मोहन राठौर और बिहार के आलोक कुमार दोनों ही सामान्य परिवार से आते है। करीब चार घंटे तक चले मैराथन फाइनल कार्यक्रम से दर्शकों का ध्यान जरा भी नहीं हट रहा था। गांधी मैदान में लाखों की भीड़ के अलावा देश भर में लाखों लोग टेलीविजन सेट से चिपके रहे।यूपी और बिहार के नेताओं ने भी अपने राज्य के गायक के लिए कैंपेनिग की थी। लालू और रामविलास भी मंच पर मौजूद थे तो राज्य सरकार के मंत्री भी। वैसे बुलावा राज्य के मुखिया नीतीश कुमार को भी गया था लेकिन किसी कारणवश वो नहीं पहुंच सके। आयोजनकर्ताओं की सबसे बड़ी मुश्किल भीड़ पर काबू पाने की थी। अगर यूपी जीत गया तो क्या होगा। क्या भीड़ पर काबू पाया जा सकेगा। यहीं सबसे बड़ी मुश्किल थी। लेकिन लोगों ने एक भरपूर कार्यक्रम का पूरा मजा लिया। लालू भी अपने खास अंदाज में थे तो रामविलास भी पूरा आनंद उठा रहे थे। बीच-बीच में रोचक अंदाज में रविकिशन उत्तर भारत और दक्षिण भारत के रुझान बता रहे थे। मंच पर भोजपुरी के कई दिग्गज कलाकार शारदा सिन्हा, मालिनी, मनोज बाबू और रविकिशन तो थे ही साथ में मंच से दिग्गज भोजपुरियों को भी याद किया गया जिनमें भिखारी ठाकुर भी शामिल थे। इस बीच मंच से बार-बार महुआ के सर्वेसर्वा पी.के.तिवारी की जय हो रही थी। उनके महुआ चैनल और भोजपुरी के इस बेहतरीन कार्यक्रम के लिए। अंत शानदार रहा। जब ये निर्णय लिया गया कि ना यूपी जीतेगा ना बिहार। जीत होगी तो भोजपुरी की। सच में भोजपुरी जीत गया। शायद ही इससे बेहतर कुछ हो सकता था। लगे हाथ मंच से अब डांस संग्राम लाने की घोषणा भी हो गई। इससे बेहतर और क्या हो सकता है। भोजपुरी गीतों के बाद अब भोजपुरी डांस भी दिखेंगे। सच में ये एक शानदार कोशिश है।

Saturday, November 7, 2009

प्रभास जी का जाना...क्रिकेट के लिए बड़ी क्षति

अंतिम 'कागद कारे'

पच्चीस साल बाद भी
चर्चा के बाद उसमें भाग लेने वाले कम से कम तीन मित्रों ने पूछा- तो क्या इंदिरा गांधी के बारे में आपने अपनी राय बदल ली है?
क्या करें? पच्चीस साल में पूरा संदर्भ ही बदल गया है। उनके बाद के नेताओं और प्रधानमंत्रियों ने उनका कद और उनकी जगह इतनी ऊपर चढ़ा दी है कि इंदिरा गांधी महान लगने लगी हैं। अब आप भ्रष्टाचार, तानाशाही और गलत नीतियों के लिए किसके पीछे पड़ें? किसकी आलोचना करें? इंदिरा गांधी अपने स्वभाव और ढंग से देश को बनाने की कोशिश कर रही थीं। इसलिए उनसे बहस थी, विवाद था, झगड़ा था। अब तो लगता है कि हमने अपने आप को संसार की शक्तियों को सौंप दिया है। वे चाहे जैसा हमें बनाएं। कोई हम अपने को थोड़ी बना रहे हैं। किसका विरोध करे? भूमंडलीकरण का? अपनी अर्थ और राजनीतिक नीतियों के अमेरिकीकरण का? भारत के अपने मैकॉले पुत्रों का अपने ही देश को एक उपनिवेश बनाने का? भारत का आज अपना पराक्रम क्या है? हम वैसे ही बनते और बनाए जा रहे है जैसा कि अमेरिका और यूरोप है। जबकि सब जानते हैं कि हमारी बुनियादी समस्याएं बिलकुल अलग हैं और वे सब की सब बनी हुई हैं। जैसा अंग्रेजों ने अपना एक भारत बनाया था वैसा ही साम्राज्यवाद की भारतीय संतानें अपना इंडिया बना रही हैं। उसमें देश के लोगों- करोड़ों भूखे, नंगे, बेघर, बेरोजगार और वंचित लोगों को लगातार हाशिए पर धकेला जा रहा है। हमारे बहुसंख्यक लोग हाशिए पर और थोड़े से लोग पूरा पन्ना घेरे हुए हैं। देख लीजिए अपने सार्वजनिक जीवन और मीडिया को। उसमें किसकी चर्चा है?
मैं तो बोलता चला जाता लेकिन दूरदर्शन वाले ने दस्तखत के लिए कागज आगे कर दिए। वह चर्चा इंदिरा गांधी को उसके पच्चीसवें शहीदी दिवस पर याद करने की थी। उसमें एक लड़की ने फिर भी पूछा था कि इंदिरा गांधी के बाद गरीबी हटाने की बात कौन कर रहा है? किसी ने उसे जवाब नहीं दिया। वह चर्चा इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि चढ़ाने के लिए थी। असुविधाजनक सवाल पूछने और उनके जवाब देने के लिए नहीं। इस जवान मित्र को उत्सुकता थी कि मैं भी कैसे चुप रहा। उसकी जिज्ञासा सही थी। लेकिन क्या आप किसी औपचारिक श्रद्धांजलि सभा में किसी के बखिए उधेड़ते हैं? नहीं, आज जो हो रहा है उसके लिए आप इंदिरा गांधी की आलोचना कैसे कर सकते हैं? उनके जाने के बाद बारी-बरी से सभी राज कर चुके हैं। उन्हीं ने तो इंदिरा गांधी को ऊंचे ओटले पर खड़ा कर दिया है।
अब तो आप यही कर सकते हैं कि इंदिरा गांधी के होने और न होने के प्रभाव का आकलन करें। उनके जैसा कोई नेता और प्रधानमंत्री उनके बाद नहीं हुआ। इंदिरा गांधी के पहले भारत की पार्टियों में कोई सर्वोच्च नेता नहीं हुआ करता था। जवाहरलाल भी प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष दोनों रहे लेकिन वे सर्वोच्च नहीं थे। उनसे पार्टी और सरकार दोनों में सवाल पूछे जा सकते थे। चुनौती दी जा सकती थी। वे कमजोर दिखने की हद तक लोकतांत्रिक थे। इंदिरा गांधी ने कांग्रेस तोड़ी और अपनी वाली कांग्रेस को ही सच्ची कांग्रेस पार्टी बना दिया। उसके बाद वे उसकी सर्वोच्च नेता-सुप्रीमो- हो गईं। पहले कांग्रेस से आंतरिक लोकतंत्र गया और फिर एक-एक कर सभी पार्टियों से। अब हर पार्टी में सर्वोच्च नेता हैं। जैसी कांग्रेस में सोनिया गांधी वैसे बसपा में मायावती। कबीर जैसी उलटबांसी है कि भारतीय लोकतंत्र को ऐसी पार्टियां चला रही हैं जिनमें किसी में भी आंतरिक लोकतंत्र नहीं है। सर्वोच्च नेताओं के संतुलन और राजनीतिक मजबूरियों और सदभावना से हमारा लोकतंत्र चल रहा है। कोई एक पूरा तानाशाह नहीं हो सकता क्योंकि सब छोटे-छोटे तानाशाह हैं। भारतीय राजनीति में यह इंदिरा गांधी के होने का प्रभाव और परिणाम है।
इंदिरा गांधी के पहले शासन का सबसे बड़ा उपकरण मंत्रिमंडल का सचिवालय हुआ करता था। क्योंकि सत्ता मंत्रिमंडल में हुआ करती थी। इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को मंत्रिमंडल सचिवालय से ज्यादा शक्तिशाली और निर्णायक बनाया क्योंकि उनके होने से मंत्रिमंडल नहीं प्रधानमंत्री ज्यादा सत्तावान हो गया और वे अपनी सत्ता को अपने कार्यालय से चलाती रहीं। प्रधानमंत्री मंत्रियों का प्रधान होने के कारण सबसे सत्तावान हुआ करता था। इंदिरा गांधी के कारण मंत्रिमंडल उनके होने का उपकरण हो गया। इमरजंसी लगाने जैसा अहम फैसला रात में उनने किया। सवेरे मंत्रिमंडल ने उस पर स्वीकृति की मुहर लगाई। वे कोई भी निर्णय खुद लेती थीं और अपने कार्यालय के जरिए उस पर अमल करवाती थीं। मंत्रिमंडल उनके निर्णय पर लोकतांत्रिक सांस्थानिक मुहर लगाता था। उनके होने के कारण मंत्रिमंडल था और वह विचार उनकी मर्जी और रियायत से करता था। सत्ता चलाने का यह निजी तरीका इंदिरा गांधी ने विकसित किया था। लेकिन उनने इसे इतना सफल बना कर दिखा दिया कि बाद के सभी प्रधानमंत्रियों ने ऐसे ही सत्ता चलाई।
और तो और, अटल बिहारी वाजपेयी तो चौबीस पार्टियों के गठबंधन के भाजपाई प्रधानमंत्री थे। वे अपनी सरकार, अपने गठबंधन और अपनी पार्टी के वैसे सर्वोच्च नेता नहीं थे जैसी इंदिरा गांधी हुआ करती थीं। फिर भी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सत्ता प्रधानमंत्री कार्यालय से ही चलती थी। उसके मुखिया ब्रजेश मिश्र अपने पूरे कैरियर में कभी उतने शक्तिशाली नहीं रहे जितने अटल जी के प्रधानमंत्री कार्यालय के मुखिया के नाते। यह इंदिरा गांधी का प्रधानमंत्रीय योगदान ही है कि वाजपेयी जैसे अधिक लोकतांत्रिक और उदार नेता के बावजूद उनका कार्यालय ही इतना शक्तिशाली और प्रभावी था कि उसकी सत्ता क्षीण करने को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तक उत्सुक रहा करता था। सब जानते हैं कि मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री जरूर हैं, पर राजनीतिक सत्ता उनके पास नहीं है। फिर भी सरकार का काम उनके कार्यालय से ही चलता है। इंदिरा गांधी का यह योगदान उनके बाद के सभी प्रधानमंत्रियों को फला है।
जरूरी नहीं है कि इसे आप उनका नकारात्मक प्रभाव मान कर ही चलें। सभी पार्टियां सर्वोच्च नेता चलाती हैं इसीलिए पार्टियों को सर्वोच्च नेता चला रहे हैं। उन्हें अगर यह मॉडल मंजूर नहीं होता तो वे ज्यादा लोकतांत्रिक या पूरी तरह तानाशाही मॉडल विकसित करतीं। लेकिन आप भाजपा को देखिए। कुछ वर्षों से उसमें सर्वोच्च और सर्वमान्य नेता नहीं है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बावजूद वह कितनी बिखरी हुई और दिशाहीन है। उसमें भी आंतरिक लोकतंत्र कहां है? क्यों उसके अंदर से ही आवाज उठती है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उसका टेकओवर कर ले। सब जानते हैं कि संघ संसदीय लोकतंत्र में विश्वास नहीं करता न वह अपने को राजनीतिक संगठन कहलवाने देता है। फिर भी संघ के उसके ले लेने की बात इसलिए उठती है कि कोई शक्तिशाली नेता या संगठन ही किसी पार्टी को ठीक कर सकता है। यह भाजपा में इंदिरा गांधी की जरूरत की मांग है। है ना आश्चर्य। संघ के होते हुए भाजपा को कोई इंदिरा गांधी चाहिए।
इसी तरह कैबिनेट के बजाय प्रधानमंत्री सरकार चलाए इसे भी भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था ने स्वीकार कर लिया है। आप कह सकते हैं कि यह निर्गुण और सांस्थानिक व्यवस्था से ज्यादा सगुण और व्यक्तिपरक व्यवस्था की चाह में हुआ है। यानी इंदिरा गांधी ने लोकतांत्रिक सत्ता के मध्य में अपनी निजी सत्ता की जो स्थापना की थी और जो उन्हें इमरजंसी लगाने जैसे तानाशाही रास्ते पर ले गई उससे भी भारतीय व्यवस्था को कोई सख्त और बुनियादी एतराज नहीं है। इसलिए प्रधानमंत्री कार्यालय के उपकरण को उनके बाद के हर प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया। हर प्रधानमंत्री अब मंत्रिमंडल का प्रधान होने के नाते नहीं, प्रधानमंत्री होने के कारण सरकार चलाना चाहता है। सच है कि इंदिरा गांधी के बाद कोई भी प्रधानमंत्री उतना सत्ताधिकारी नहीं रहा जितनी वे थीं, लेकिन सब उन्हीं के गढ़े उपकरण से काम करते रहे। यह भी भारतीय शासन व्यवस्था में इंदिरा गांधी का स्थायी योगदान है। इससे पार्टी और शासन में लोकतंत्र की जो हानि हो रही है वह तो सही है। लेकिन लोग और उनके नेता अपने ढंग से ही अपना लोकतंत्र गढ़ते हैं ना!
लेकिन इतना कह देने के बाद यह मत मान लीजिए कि अपन ने इंदिरा गांधी को इमरजंसी लगाने और लोकतांत्रिक सत्ता को तानाशाही ढंग से चलाने के पाप से मुक्त कर दिया है। उनने यह सब करके देश के लोकतंत्र के लिए जो खतरा पैदा कर दिया था वह कोई उन्हें हटाने पर अड़े उनके राजनीतिक विरोधियों और प्रतिद्वंद्वियों की डरपोक कल्पना नहीं थी। जरा सोचिए कि सन सतत्तर के चुनाव में वे किसी तरह जीत जातीं तो क्या होता। क्या वे उन सभी नागरिक आजादियों को वैसा ही रहने देती जैसी वे इमरजंसी के पहले थीं? इंदिरा गांधी को आयोग्य इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ठहराया था, जेपी और राजनीतिक नेताओं और पार्टियों ने नहीं। वे चुनाव में भ्रष्टाचारी तरीके अपनाने की दोषी पाया जाए और उच्च न्यायालय उसे आयोग्य ठहरा दे तो वह पद से चिपका नहीं रह सकता क्योंकि संसदीय लोकतंत्र में प्रधानमंत्री राजनीतिक नैतिकता का भी रक्षक और प्रेरक होता है। उच्च न्यायालय ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अपील का रास्ता दिया था और वहां से उनके वोट देने के अधिकार पर मामले के फैसले तक पाबंदी लग गई थी।
उच्च और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले विपक्षी दलों और जयप्रकाश नारायण के राजनीतिक षड्यंत्र के परिणाम नहीं थे। इंदिरा गांधी ने उनका सम्मान न करके राजनीतिक लड़ाई के जरिए प्रधानमंत्री बने रहने का फैसला करके न्यायालयी कार्रवाई और नतीजों का राजनीतिकरण किया और इस तरह न्यायापालिका को अपने स्वतंत्र और स्वायत्त स्थान से खींच कर सत्ता राजनीति के दलदल में घसीट लिया। लोकतांत्रिक व्यवस्था को यह इंदिरा गांधी का आघात था जिसके स्थायी घाव आप अब भी उस पर देख सकते हैं। क्या किसी का लगातार सत्ता में बने रहना इतना अनिवार्य होता है कि लोकतंत्र को भी निलंबित कर दिया जाए?
इंदिरा गांधी के सत्ता के भागीदार कहेंगे कि हां। वे इतिहास और लोकतंत्र के सामने झूठ बोल रहे हैं। उनकी बात पर मत जाइए। इंदिरा गांधी इस सब के बावजूद महान और शक्तिशाली नेता थीं। उन्हें याद करके हम अपने को धन्य ही करते हैं। साभार : जनसत्ता

Sunday, November 1, 2009

स्पेशल ट्रेन तो स्पेशल ही है...

छठ के मौके पर बिहार जाने वाली ट्रेनों में अगर आपको कनफर्म टिकट मिल गयी हो तो आपसे भाग्यशाली कोई नहीं। नहीं मिली तो भी जाना है...खैर दो दिनों तक तत्काल में टिकट ना मिला था...तो गया की तरफ से चला गया....उधर की टिकट थी...गया से बस से पटना होते हुए मुजफ्फरपुर पहुंचा। गया, जहानाबाद होते हुए पटना। नक्सली इलाके से जाते वक्त पता नहीं क्या होता है...आज भी याद है जहानाबाद जेल ब्रेक कांड की घटना..जब ईटीवी में होता था...जहानाबाद रिपोर्टर का फोन...और फिर न्यूजरूम से लेकर पीसीआर तक अफरातफरी...मैं उस दिन पहली बार लौटते वक्त पंच करना भूल गया था...आप लोगों को देखकर ये SURE होना चाहते है कि ये नक्सली है या नहीं। पता नहीं सबके साथ होता है या नहीं। लेकिन मैं ये FEEL कर रहा था। इलाके का पिछड़ापन बता रहा था कि यहां विकास की परछाई अब तक नहीं पहुंची है। मैं यहीं सोचता रहा जब नक्सल प्रभावित क्षेत्र में दूसरे जगहों से सुरक्षा बल आते होंगे तो लोगों के साथ कैसे तालमेल बिठा पाते होंगे...उन्हे तो ना तो उस इलाके के बारे में जानकारी होती है और ना ही लोगों के बारे में। वो तो हर चेहरे को शक की नज़र से देखते होंगे। खैर इस बारे में फिर कभी बात करेंगे। अब स्पेशल ट्रेन पर आते है। 26 को लौटना था। दरभंगा दिल्ली दीपावली एक्सप्रेस से। ये ट्रेन दीपावली-छठ के मौके पर विशेष रूप से चलाई जा रही थी। शायद अब बंद हो गई होगी। मुजफ्फरपुर में ट्रेन का वक्त शाम छह बजकर तीस मिनट था। पता किया तो ट्रेन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही थी। अभी डाउन ट्रेन दरभंगा ही नहीं गई थी वो अभी लौट रही थी। अंत में बताया गया बारह बजे के आस-पास एक बार पूछ लिजीएगा। पता चला कि नौ बजे डाउन ट्रेन मुजफ्फरपुर में आ गई है। अब उसे दरभंगा तक जाना है और फिर लौट कर आना है। खैर आखिरकार ढ़ाई बजे ट्रेन मुजफ्फरपुर पहुंची। ट्रेन चल रही थी...रूक रही थी...दूसरी ट्रेनों को रास्ता दिया जा रहा था...ना टीटीई और ना ही कोई सुरक्षा बल...भगवान भरोसे सुरक्षा...भगवान भरोसे यात्रा....हद तो ये हो गई कि जो ट्रेन हमसे सात घंटे बाद चली थी उसने भी कानपुर में ओवरटेक कर लिया...कानपुर में पुलिस के जवान झारखंड दौरे के लिए ट्रेन पकड़ रहे थे...झारखंड चुनाव में उनकी ड्यूटी लगी है...किसी के चेहरे पर तनाव नहीं..सब खुश थे...इधर सत्ररह घंटे देर ट्रेन गाजियाबाद पहुंची....पता नहीं नई दिल्ली जाने में अभी उसे और कितने वक्त लगे होंगे...दरअसल ये स्पेशल ट्रेन जबरदस्ती की बनाई होती है...इससे यात्रियों का कोई भला तो नहीं होता....रेल को फायदा होता है...इस स्पेशल ट्रेन को जगह देना मुश्किल होती है क्योंकि रेगुलर ट्रेने की जो भरमार है। ऐसे में बेहतर होता जो ट्रेने चल रही है उसी में कुछ अतिरिक्त डब्बे लगा दिए जाए जिससे रेल को फायदा तो हो ही यात्रियों को भी थोड़ी सी ही सुविधा मिल जाए....इसमें दीदी ममता की गलती नहीं है...रेलवे में ऐसे ही चलता आ रहा है...आगे भी स्पेशल ट्रेन चलती रहेंगी...लेकिन यकीन मानिए जिन्होने भी इस स्पेशल ट्रेन से यात्रा की वो आगे कभी स्पेशल ट्रेन में नहीं चढ़ेंगे .....

तो दुनिया खत्म हो जाएगी…?

घर गया तो कुछ चैनलों की ख़बर पर बात हो रही थी। कुछ लोग को दुनिया के खत्म हो जाने का डर सता रहा था। कुछ चैनलों की महामाया कैलेंडर वाली ख़बर दिल से लेकर दिमाग तक हावी हो चली थी। ख़बर के प्रसारण के बाद तो कई लोग रोने लगे थे...मैने नहीं देखा था जैसा बताया गया....अपने बच्चों के बारे में सोचने लगे थे..चार साल का ही बच्चा है पता नहीं आगे क्या होगा.....फिर मैने उनसे बात कि उन्हे बताया कि हम जैसे लोग ख़बरों में किस तरह घालमेल करते है...कैसे ख़बर बेचने के लिए कुछ का कुछ भी दिखाते है...सो आप निश्चिंत रहिए....ऐसा कुछ नहीं होगा...और अगर होगा तो सब जाएंगे...फिर क्यूं घबराना...बात बस इतनी है कि इस महामाया सभ्यता के लोगों ने जो कैलेंडर बनाया था उसमें 2012 के बाद कुछ नहीं है...इसका मतलब ये कतई नहीं है कि दुनिया ही खत्म हो जाएगी....फिर मैने एक चैनल का नाम लेकर बता दिया आप ये चैनल देखिए....इस पर भरोसा कीजिए...और अगर ये चैनल ऐसी कोई ख़बर दिखाता है तब ही यकीन कीजिएगा...कुछ दूसरे लोगों से भी बात हुई मीडिया के हालात पर...क्या दिखाते हो भाई.....अंत में यहीं पता चला कि लोग समझ गए है कि इन चैनलों की नीति को...वे आनंद उठाते है,,,,गंभीरता से नहीं लेते...गंभीरता से वे NDTV और ZEE को लेते है। NDTV को वे नंबर वन बताते है।

कहां हुआ है विकास नीतीश जी?

बिहार का खूब विकास हो रहा है। नीतीश बिहार में विकास मॉडल के सहारे झारखंड में भी चुनाव लड़ने जा रहे है। लेकिन कहां हो रहा है विकास। आम आदमी को क्या मिल रहा है। अभी उपचुनाव में हार की एक वजह जमीन बटाईदारी का मामला बताया जा रहा है। लेकिन ऐसा भी नहीं कि हर ओर विकास ही विकास है। इस बार जब घर गया तो ये देखकर अच्छा लगा कि जो रोड सालों से गड्ढ़े में तब्दील हो चुकी थी...वो अब चकाचक हो गयी है। गाड़ियां सांय-सांय निकल रही थी। सड़कों को देखता और गड्ढ़ों को याद कर रहा था कि अरे यहां तो पहले ऐसा नहीं था। आगे बढ़ा तो वो पूल भी दुरूस्त दिखी जो सालों से डराती थी। मजा आ रहा था। वाह लोग अब कितने खुश होंगे। महुआ से मुजफ्फरपुर तो अब 25-30 मिनट में लोग पहुंच जाते होंगे। थोड़ा आगे बढ़ा तो एक बोर्ड देखा कृप्या डायवर्जन का प्रयोग करे...दरअसल यहां एक पेड़ गिर गयी थी। और सड़क पर कटाव भी किया गया था। महीनों बीत चुके है जो वैकल्पिक मार्ग बनाई गई वो भी अब खतरनाक हो चली है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। घर से लौटते वक्त भी सोचता रहा हि कि क्या कुछ बेहतर हुआ है। अखबारों में देखा तो एक जगह ख़बर देखी...अनाज नहीं मिलने से लोग नाराज है। लोगों ने साफ-साफ कह दिया है कि अगर उन्हे छठ में अनाज नहीं मिला तो वे अपना लाल कार्ड जला देंगे। क्या फायदा इस लाल कार्ड का जब कुछ मिल ही ना। एक और ख़बर देखी। भागलपुर की कई सड़कों का कोई मां-बाप नहीं है। ये शीर्षक थी। ख़बर में बताया गया कि 25 साल से ये सड़क नहीं बनी है। ये किसके जिम्मे है ना तो PWD,भवन निर्माण विभाग,नगर निगम किसी को पता नहीं। मुजफ्फरपुर की लीची दुनिया भर में प्रसिद्ध है। और हाल के दिनों में जॉर्ज फर्नांडीज यहीं से सांसद हुआ करते थे। शायद अपने अंतिम चुनाव में उन्हे यहां हार का सामना करना पड़ा। 1977 में यहां के लोगों ने इस अनजान शख्स को जीताकर संसद भेजा था। मिनी मुंबई भी इसी बुलाते है। लेकिन आज भी शहर विकास के मामलों में काफी पिछे है। पटना से मुजफ्फरपुर अगर आप बस से जा रहे है तो कई बार आह-उह निकल आते है। ओवरटेकिंग और क्रॉसिंग के वक्त पता नहीं होता कि अगले पल क्या होगा। ठिक वैसे ही कि बिहार का भविष्य क्या होगा।

छठ की महिमा

पांच साल बाद छठ में बिहार में था। सोच रहा था कि पांच साल तक क्यों नहीं आ पाया। लोग तो दूर-दूर से पहुंच जाते है। हिन्दुस्तान में ख़बर छपी थी। मेरे एक साथी की ही लिखी हुई थी। अनामिका ने इसे लिखा था। शीर्षक था...25 साल बाद बेटे के साथ अर्घ्य देंगी त्रिवेणी देवी...मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर की त्रिवेणी के घर में 25 साल बाद ये खुशी लौटी थी। उनके बेटे अमेरिका में रहते है। त्रिवेणी ने उम्मीद छोड़ दी लेकिन इस बार उनके बेटे को मां की याद आ गई। छठ के मौके पर अमेरिका से वे पूरा परिवार पहुंच गए। और फिर आप अंदाजा ही लगा सकते है क्या माहौल रहा होगा पूरे परिवार में। इस ख़बर में कनाडा और दूसरे देशों से आए कुछ लोगों के बारे में भी बताया गया था। एक और ख़बर पढ़ी। आप इसी से छठ महापर्व की महानता का अंदाजा लगा सकता है। अपराधी और नक्सली भी इस दौरान कोई गड़बड़ी नहीं करते। अखबार में पूरा आकंडा दिया गया था जिसमें बताया गया कि इस दौरान कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। सच में बिहार को जानना हो तो बिहार का छठ जरूर देखिए। अगर ये नहीं देखा कुछ नहीं देखा और फिर बिहार के बारे में कुछ ना ही कहे तो बेहतर। मुंबई से राज ठाकरे को भी इस मौके पर बिहार में होना चाहिए ताकि वे बेहतर समझ सकें। समरसता की अनोखी मिसाल है। हिन्दी के मशहूर लेखक असगर वजाहत कहते है कि
“ जिन लाहौर नहीं वेख्या
वो जन्मा ही नहीं”
इसे इस तरह भी कहा जा सकता है कि
जिसने बिहार की छठ नहीं देखी
उसने कुछ देखा ही नहीं।
आदित होहिं ना सहाय...उग ना ऐ दीनानाथ...भइले अर्घ्य के बेर।
सच में अगर बिहार की ऊंचाई जाननी हो तो छठ देखिए। सूर्य(ब्रहा) और छठी माई(शक्ति) की संयुक्त उपासना की जाती है। इस पर्व में जात-पात, धर्म सबकी दीवारें टूट जाती है। अब हिन्दुस्तान में छपी ख़बरों को ही उठाकर देख लीजिए। साफ पता चल जाएगा। रामप्रसाद मजूदर है और महीनों से बीमार है। तो आप क्या सोचते है कि उनके घर में छठ मनेगा ही नहीं। जी नहीं ऐसा नही् है। उनके घर भी मनेगा। कोइ रामप्रसाद के परिवार वालों के लिए कपड़े भेज रहा है तो कोई गन्ना का उपाय कर रहा है। कोई कद्दू भेज रहा है तो कोई केला। यानि जिसके पास जो है वो उसे भेज रहा है। यह सिर्फ रामप्रसाद के साथ ही नहीं हो रहा है। यहां जिनके पास जो होता है वो दूसरे को बांटते है। जैसे अगर आपके पास केले ज्यादा मात्रा में है तो आप उन्हे दूसरे लोगों में बांट देते है। बिना इस उम्मीद के कि सामने वाला भी कुछ आपको देगा। अगली ख़बर हाजीपुर जेल में छठी मइया के गीत बज रहे है। यहां की 10 महिला कैदी और 55 पुरूष कैदी छठ जो कर रहे है। जेलर साहब भी उनकी मदद कर रहे है। इस पर्व में अहंकार खत्म हो जाता है। बड़े-छोटे का भाव खत्म हो जाता है। बड़े परिवार के लोग भीख मांग कर पैसा जुटा कर छठ करते है। किसी तरह की कोई शर्म नहीं होती। बड़े हो छोटे हो सबको घर से घाट तक नंगे पांव ही जाना पड़ता है। भले ही एसी गाड़ियों में चलने की आदत क्यों ना हो। आज तो सब जमीन पर होते है। शायद ही किसी पर्व में ऐसा आलम होता है। एक और मायने में ये पर्व खास है। रुनकी-झुनकी बेटी मांगीला...ए छठी मैया...पढ़ल पंडितवा दामाद ये छठी मइया। इस गीत में बेटी होने का वरदान माना जा रहा है। और बेटी भी शर्मीली, सकुचाई हुई सी नहीं। जिसके पायलों की शोर से घर गुंजता रहा...शायद ये एक मात्र ऐसा पर्व हो जिसमें बेटी मांगने का चलन है। और भी कई बातें तो मेरे लिखने भर से आप नहीं समझ सकेंगे....इसके लिए तो आपको बिहार जाना ही होगा...और छठ देखना ही होगा।

Friday, October 2, 2009

WHY IT HAPPENS TO ME?

IF I LOVE OR LIKE SOMEONE I CAN NOT LIVE WITHOUT HIM/HER. I AM NOT GOING TO MENTION HERE ABOUT MY LOVE BUT SOME THING OTHER. I LOVE TO SEE TENDULKER BATTING. CRICKET IS NOT MY CARRIER BUT I DO MY BEST NOT TO MISS HIM PLAYING A SINGLE BALL.AS IF I AM TAKING SOMETHING FROM HIM. AS IF I AM LEARING SOMETHING FROM HIM.AS IF IT PROVIDES ME THE MOMENT OF MY LIFE. AS IF IT GIVES WHOLE ENTERTAINMENT AND MAKE ME FRESH GIVES ME A REASON TO LIVE IN.MY ALL PROBLEM GOES OUT AS HE HITS MIDDLE OF THE BAT. WHEN HE HIS STRAIGHT DRIVE,COVER DRIVE, SQUARE CUT OR PULL,HOOK,ON DRIVE OR WHATEVER MY ALL BODY PARTS GET ENERGY AND WHEN HE REACHES ON NERVOS 90 FEELING NERVOSNESS. AND WHEN HE COMPLETE CENTURY……….I HAVE NO WORDS TO MENTIION HOW I FEEL AS MANY INDIANS….
BUT HOLD ON THIS IS NOT HAPPENT TO ME ONLY WITH TENDULKER…THERE IS BIG LISTS OF THIS…KISHOR DA SONG GIVES ME THE SAME THING..LATA DIDI SONGS MAKES ME THE SAME WAY…MUKESH AND RAFI SONG HAS THE SAME IMPACT…I DONOT FIND WHO IS THE BEST AMONGST KISHORE,RAFI AND MUKESH…I THINK ALL ARE BEST…MAY BE A FRACTION FOR ME IS DADA…IT SAME HAPPENS WITH RAJESH KHANNA ACTING ESPECIALLY WHEN YOU GIVE HIM WIN OR SOME PROBLEM SITUATION…LIKE ANAND. ALTHOUGH BACCHAN SAHAB IS GREATER THAN HIM AND WHAT TO SAY ABOUT HIS ACTING. IT SAME HAPPENS TO GOVINDA COMEDY SCENE….HE IS A MASTER IN THIS BUSINESS…HIS TIMING IS SO EXCELLENT CAN NOT BE COMPARED TO ANYTHING ELSE.
THERE ARE MANY MORE THINGS. EARILER IT WAS BBC IN 730 PM AND 630 AM AND VIVID BHARTI AND AMIN SHAINI…RAMAYANA AND MAHABHARTA….FROM CLASS 4 TO TILL NOW READING HINDUSTAN…I HARDLY REMEMEBER WHEN I LAST NOT READ NEWSPAPER….AFTER B.A. TO GO TO TEA SHOP IN MORNING A NEWSPAPER WITH A OR TWO CUP OF TEA…THE DAY WHEN PAPER WAS NOT PUBLISHED YET I GO TO TEA SHOP..AND MISSING THE MOMENT OR READ SOME THING OTHER..

NOW A DAYS NDTV…AND SOME OF ITS PROGRAMME. DUA SIR LIVE AND THE LAST MOMENT A SONG…..9PM…..AND RAVISH SIR ANY SHOW…EITHER 930PM EARLIER OR 10 PM THESE DAYS…..BUT WHEN THEY DONOT COME TO SHOW THEN WHAT HAPPENED….CAN NOT BE MENTIONED….YOU ARE WAITING HIM…THE NEWS HE IS GOING TO READ YOU ALREADY MADE…YOU HAVE MADE IT AND AIRED IT ON YOUR CHANNEL AND YOU WANT TO KNOW HOW THEY ARE PRESENTING THE SAME…..TO LEARN SOME THING,,,,BUT IT DOES NOT COMPLETE WHEN THEY DONOT COME….THEY SAY THERE IS NO PROBLEM…IT IS THE SAME PROGRMME GOING ON, THE SAME PERSON ARE MAKING ONLY I AM NOT THERE…THAT ONLY I AM IS THE KEY…..FOR THOSE WHO SEE IT I DONOT KNOW IS THIS TYPE OF LIKENESS IS ILLNESS OR SOMETHING OTHER…I DO BELIEVE THE SAME IS HAPPENING TO MANY PEOPLE

YE RAVAN KAB JALEGA?

THIS YEAR ON GODDESS DURGA PUJA I WAS IN DELHI. I HAVE SEEN MUZAFFARPUR NAVRATARA LIVE, PUJA IN BENGAL, AND IN HYDERABAD AND NOW IN DELHI. IN MUZAFFARPUR PANDALS ARE DECORATED ATTRACTIVELY, IDOLS ARE MADE SUPERBLY AND LIGHTING AND OTHERS THING. THEN SOME PROGRAMMES THAT MAKE 9 DAYS BEAUTIFUL AND COLOURFUL. WHAT TO SAY ABOUT BENGAL. THEY ARE BEST IN THIS BUSINESS. AND HOW YOU CAN FORGET GARBA. WE IN MEDIA HAVE A PUNCH LINE THOSE DAYS GARBA KI DHOOM. NAVRATA KI RAUNAK. AND LIKE SO. IN HYDERBAD IT IS HARDLY SEEM THAT SUCH A BIG OCCASION THIS ONE IS. AHMEDABAD TO MUMBAI ITS SUPERB. THIS TIME I WENT TO NOIDA STADIUM IN THESE DAYS ONCE. THERE WAS A CIRCUS NAMED INDIANA CIRUS LOOKS LIKE HEAVILY INSPIRED BY INDAI TV. AND THE REASON IS AS FOLLOWS
THERE WERE THREE BOARDS IN WHICH THEY WERE TELLING PEOPLE WHAT THEY ARE SHOWING
LADKI BANEGI NAGIN
LADKI BANEGI PHOOL
AND YE LADKI PIGHALTI HAI….
I WENT THERE WITH ONE OF MY FRINDS. NAG-NAGIN OR TRP TO HAMNE DEKHA THA. MAY BE IN SOME VOICE OVERS OF PKG IT HAS BEEN SAID…AAYIE AB HUM AAPKO MILWATE HAI EK AISI LADKI SE JO PIGHALTI HAI BUT I DO DOUBT THAT SOME WHERE IT IS USED THAT LADKI BANEGI PHOOL…PHOOL JAISE LADKI SE AAPKI MULAKAT KARAYENGE EK BREAK KE BAAD MAY BE USED. BUT THIS ONE WAS NEW. WE GOT TICKETS WHERE ALREADY A HUGE CROWD. 3 MINUTES CIRCUS SHOW AND THEN ANOTHER SHOW. THEY WERE IN LIVE MOOD. AS IF IT IS BREAKING AND EXCLUSIVE AS WELL. NO BREAK SINCE THEY GET ENOUGH IN LIVE WHY TAKE BREAK. FIRST CUT THER IS A GIRL ON STAGE. THEN A SCREEN SLOWLY AND SLOWLY GIRL DISAPPEARED AND A FEMALE SNAKE WAS ON THE SCREEN SO IS THE FLOWER AND SO AS THE GIRL MELTING. THAT’S ENDED THE SHOW. NO CLAPPING, NO HAPPY LINES ON FACES. THEY LEFT THE STADIUM WITH A RAGE MOOD. WHAT HAPPENED TO US? WHERE ARE WE GOING? WHAT REQUIRED DOING SUCH A FOOLISHNESS. THEN CAME IN MIND AS WE DO IN NEWS CHANNEL SO THEY ARE DOING WHAT IS WRONG IN THIS? WE DO MAKE PEOPLE FOOLISH BY DOING THE SAME THING TO GAIN TRP PLAY NAG –NAGIN WITH THE MUSIC…MAI TERI DUSMAN..THEY DID NOT PLAY THE MUSIC THOUGH. A HUGE CROWD ON TICKET COUNTER. ANOTHER PLACE NEAR THE FIRST ONE NAG-NAGIN, THERE GOING A PLAY ON RAJA-MAHARAJA. I WAS SORRY TO SEE THIS NO CHANNEL HAS COVERED THE SHOW ESPECIALLY THE CHANNEL WHO DEPENDS HEAVILY ON THIS NAG-NAGIN TYPE. MAY BE THEY WERE BUSY MAKING YE RAVAN SUCIDE KARNE WALA THA…AND RAVAN ABHI JINDA HAI AND RAVAN MAHAN THA AUR RAVAN NE RAM KO MARA OR WHATEVER THEY CAN IMAGIN….

Thursday, October 1, 2009

ABOUT DREAMS

When we see dreams we do it hard to complete it. Many times there is not much in our hand to do it. It is really very hard to face it. When it happens to anybody. Just think how many’s dream is broken everyday. How they live? One song …jab dil hi tut gaya hum ji kar kya karenge….but the same time former president APJ Abdul kalam says see the big dream and do hard to fulfill that. I have one of his letter in which he told the same to me. I cannot say how many’s of mine dream is completed? But can be a proud only for a second that when I was in ten in 1996 I was one of the seven students who passed the examination out of more than 500 students of my scholl. I was awarded some of the current affaird award. When four or five top schools of Muzaffarpur district a GK and Math competion was held. MY close friend Mohan and I were in tiebreaker in GK Final round. He got first chance but the wrong aswer. And it was my turn then My question was what is the full name of PV NARSHIMA RAO. I told and won the GK And I got second in MATHS. THE QUIZE COMITTE GAVE ME TROPHY AS WELL AS CASH AWARD FOR THIS. CASH AWARD WAS NOT IN THE LIST THOUGH. Well it gave me a huge confidence. I was a village boy.Read newspaper when I was in class 4 and listen bbc news at 730pm and 630 am as well song of music chaneel and live cricket,tennis commentary. I tell my friend SAMPRAS WON THE FIRST SET AND HE IS 4-2 AHEAD IN SECOND SET. Many friends talk serious matter national,international,sports or any topic to me and they expect from me to fulfill all their question. I caught a catch of a boy who came in our practice cricket session running one hand at midwicket and he my captain he is the best fielder. I hit a six in a match against a strong team and one of the main batsman of my team always say me what a straight drive.He was a good allrounder of my team name Shyam was shot dead by a boy and then people beat him to death at the spot threw his body to a river. It was a tense moment. I fell ill after seeing my friend dead body. I wanted to become an Engineer. Good in maths. But couldnot prepare for IIT due to some reason. Then ISC And preparation for banking. My Coaching boss say you will hit in first appearance only become of 18 as soon as you can. I was scoring an average 180 and in easy set go for 188(my best) in test held at coaching. But thank to then finance minister Mr. Yaswant sinha I could not get a chance to sit in many bank exam tests. Then graduation in Political science and prepartation for PO AND RAILWAY EXAM. It was a good format when I was practicing.But when I have to appear it was GK question was increased. Earlier it was math and reasoning was more but then they changed and increased gk. It was hard to be sure about gk you may be right and wrong.NOW IN THIS FIELD. MANY DREAMS BROKEN AND MANY COMPLETED. WELL THIS IS LIFE AND ENJOY EVERY MOMENT OF IT.BROKEN OR DONE.

Wednesday, September 23, 2009

DEKH TERE INSAN KI HALAT…

SOME DAYS AGO THERE IS A NEWS CAME FROM BIHAR. A 60 YEAR OLD LADY WHO LIVES ON THE MONEY THAT SHE BEGS. OR SHE IS A BEGGAR AND LIVING IN THIS OUR WORLD. HAVING NO MISSION, NO TARGET, NO PAIN, NO HAPPINESS AND SO ALL. THIS IS NOT ENOUGH. WHAT HAPENNED TO HER SOME BIG BODY CAME TO HER, BEATEN HER HEAVILY AND THEN GONE AWAY WITH HER MONEY.
THEN CAME A STORY FROM MUMBAI….SOME PEOPLE GANGRAPED A LADY AND BURNED HER ALIVE. RAPIST CAME WITH K-OIL MAY BE THEY HAVE PLANNED TO BURN THE LADY BUT THOUGH FIRST WHY NOT RAPE AND LEAVE IT ALL. SOME SAYS IN THIS ALL ONE IS A LEADER. YOU MUST HAVE HEARED THE SONG….INSAF KI DAGAR PER BACCHO DIKHAO CHAL KAR,,,,NETA TUMHI HO KAL KE….AND IS DESH KO RAKHNA MERE BACCHO SAMHAL KE….BUT WHEN THOSE CHILDREN GROW UP THEY CHANGED. WE ALL SANG THE SONG…BUT WHY DONOT WE FOLLOW THIS TO WHOLE OF LIFE.
WHY HOME MINISTER P. CHIDAMBRAM HAS TO SAY THAT PLEASE KNOW HOW TO LIVE. THIS IS DELHI NOT A VILLAGE OR A TOWN. WHY? WHY NOT OPPOSE PC? WHO ARE YOU TO SAY. IT IS MY COUNTRY AND I LIVE HOW I WANT. NO MATTER WE BREAK THE RULE, FOLLOW WRONG MEANS, BEING CORRUPT DAY BY DAY AS SENSEX GAINING OR SACHIN SCORING OR GLOBAL WARMING. WHEN WE KNOW TO BECOME A GOOD CITIZEN…SOME BODY SAYS YE SARKAR KE BAAP KA HAI …LET IT GO. LET IT BROKE AND ENJOY. HIT TRAINS, BLOCK ROADS, HIT GOVERNMENT OFFICE AND LAUGH, ENJOY,CELEBRATE AS IF IT IS DIWALI. NO MATTER SARKAR KA DIWALA NIKALTA HAI TO HAI, HAME KYA. HUM NAHI SUDHRENGE OR SAB CHALTA HAI TYPE STYLE ARE THE FAVORITE. CROSS THE ROAD AS IF I AM KING OF HERE AND OTHERS HAVE TO WAIT FOR ME. CROSS THE RED SIGNAL AS IF THAT IS NOT MADE FOR ME IT WILL BE FOR SOME FOOLISH MEN. FIRST TO CROSS EVERYTHIN, FIRST TO BREAK EVERY RULE AND SO ON….IS REALLY SOME THING BIG WHICH SHOULD BE ENJOYED…

WILL DELHI IS GOING TO HOST CW GAME OR NOT? IF NOT IT IS SUCH A SITUATION WHERE WE SHOULD SINK AND DIE IN A DROP OF WATER. IF IT IS NOT HELD NOTHING CAN BE SHAMFUL FOR US THAN THIS. SO STAY AND NOT MUCH OF HOPE LEFT, STAND HIGH AND SHOW THE WORLD THIS IS INDIA.

Tuesday, September 15, 2009

HOW MANY CENTURY?

NO ONE KNOWS. WHERE THIS MAN WILL END.AND WHAT HAPPENED WHEN HE WILL RETIRE? WHAT TO SAY ABOUT HIM? I ONLY LOVE TO SAY HERE IN VERY SHORT PLEASE STOP TALKING AGAINST SACHN TENDULKAR. IT IS REALLY SURPRISING THAT THOSE WHO HAVE NOT MADE A SINGLE RUN HIS LIFE THEY LOVE TO CRITICISE MASTER. AND THOSE WHO HAVE NOT MADE A SINGLE CENTURY IN HIS LIFE THEY SAY TENDULKAR IS NOT A MATCH WINNING PLAYER. JUST LEAVE HIM AND LET HIM DO WHAT HE DOES. BE SURE WHAT HE DOES IS BEST.ENJOY HIS BATTING DONOT MISS ANY ACTION BECAUSE WHEN HE WILL BE OUT YOU WILL REMEMBER AND SAY ALAS THERE WOULD HAVE TENDULKAR IN TEAM WE WOULD HAVE WON THE MATCH.

SONIA KI SADGI

CONGRESS AND COMPANY ARE BUSY CUTTING COST. TRAVELLIN IN ECONOMY CLASS. SOME GOES BY TRAIN AND SOME GOES TO HOTEL FOR LUNCH AND SO ON. SOME SAY IT IS POLITICAL STUNT. SOME SAYS IT IS GOOD. MANDI KO MAAT DENA HAI. ALTHOUGH IT IS LESSER EFFECT OF MANDI IN INDIA. BUT DROUGHT MADE THE SITUATION DIFFERENT. PRICESARE ON SKY. DAAL IS OUT OF THALI. PEOPLE ARE FACING HARD TO MEET TWO TIMES FOOD. GOVT IS TRYING TO SAY WE ARE WITH YOU AS YOU ARE FACING TOUGH TIME, WE UNDERSTAND AND WE ARE WITH YOU. THIS SIMPLICITY IS PART OF OUR INDIAN STYLE. THIS IS BHARTIYATA AND HINDUTWA. I DONOT HOW MUCH BJP WILL LIKE IT THAT THIS IS HINDUTWA OR NOT.

PAES BANAM BHUPATI

THIS WAS ONE OF THE MOMENT WHICH INDIAN DONOT ASKED FOR। US OPEN GRANDSLAM FINAL AND THERE WERE BOTH INDIANS AGAINST EACH OTHER ON THE BOTH PART OF COURT. ONE IS WITH CHEZK PARTNER AND OTHER IS WITH BAHMAS PARTNER. INDIA TENNIS LOVER HAVE A HUGE PROBLEM WHOM TO SUPPORT. THESE TWO PLAYERS HAVE MADE INDIA HAPPY BY WINNING SO MUCH GRANDSLAM. WITH TOGETHER AND WITHOUT. THEY HAVE WON. SUCH A SUPERB PLAYER BOTH ARE. OK NOW COME TO THE MATCH. BHUPATI AND HIS PARTNER KNOWLES STARTED WELL. WON THE FIRST SET AS IF THEY ARE IN HURRY TO WIN THE TITLE. THEY STARTED SECOND SET GOOD AS WELL. BUT HOLD ON YOU ARE PLAYING AGAINST LEANDER PAES. DO NOT CELBRATE BEFORE THE LAST POINT IS PLAYED. PAES STARTED IN GREAT STYLE, HIS WORK ON NET, RETURN STARTED TO GOING WELL. HE MADE HIS PARTNER THINK OK NOW WE ARE IN MATCH. WON THE SECOND SET 6-3 AND NOW THE FINAL SET. BHUPATI AND COMPANY WAS IN HUGE PRESSUR AND FINALLY PAES WON. IT WAS RIGHT WHO EVER WIN INDIA WIN. I DO BELIVE THERE WERE MANY WHO WAS SUPPORTING LEANDER. HE IS SUCH A EXTRA ORDINARY PLAYER. HE CAN WIN WITH ANY. EITHER OF GREAT MARTINA OR ANY OTHER. DO YOU REMEMBER HE HAS BEATEN ONCE IN SINGLE THE GREAT PEIT SAMPRAS. HE HAS BEATEN GREAT ACER GORAN IVASEVICH IN FIVE SETTER IN JAIPUR. HE HAS BEATEN WEIN FARERA OF SOUT AFRICA AND HE HAS ALMOST BEATEN ANOTHER GREAT ANDRE AGASI WHEN HE JUST LOST IN FIVE SETTER IN OLMYPIC BUT NOT LOST THE OLYMPIC MEDAL. COMBINATION OF PAES AND BHUPATI IS HARD TO BEAT. THEY INFACT MAKE A GOOD TEAM.
CONGRATULATION TO KIM CLISTER OF WINNIG US OPEN. SHE IS JUST THE THIRD PLAYER WHO BECOME CHAMPION AFTER BEING MOTHER. INTRESTING WE DONOT HAVE SUCH DATA HOW MANY MEN BECOME CHAMPION AFTER BEING FATER. I DONOT KNOW WHY THIS COMPARSION IS BEING DONE.
AND A BIG NEWS FEDERER LOST.

Tuesday, September 8, 2009

DON’T TELL ME THAT YOU ARE GOING.

THERE IS SONG LIKE THAT IN WHICH THEY SAY….AAJ JANE KI JID NA KARO. HERE I AM TODAY TO WRITE SOMETHING BUT DONOT WANT TO WRITE. NOW WHAT? WHAT TO WRIITE. ABOUT POLITICAL SITUATION IN OUR COUNTRY AND BJP-JINNA OR ABOUT VENUS IS OUT OF THE US OPEN OR PANKAJ ADWANI BECOMING THE SECOND INDIAN TO WIN WORLD SNOOKER TYTLE. WHAT TO WRITE? DONOT GET IT AT ALL. SO LEAVEING IT FOR SOME MOMENT. JUST NOW IT COMES IN MIND THE DANGER FROM CHINA. IS IT BIG ONE OR NOT? AS OUR FOREING MINISTER SAYS THAT THIS IS NOT A BIG DEAL. THAT MEANS WE MEDIA HAVE MADE IT A BIG DEAL. WHAT ABOUT THAT RED PAINTING BY WHICH THEY HAVE WRITTEN CHINA. OK. WHAT ABOUT ANOTHER FERZI ENCOUNTER IN GUJRAT? WHAT ABOUT BOMBS WHICH WERE NOT FOUND IN FOUR OR FIVE PLACES IN DELHI? RIGHT. NOW I AM LEAVING IT FOR NEXT DAY. BUT I HAVE SEEN A REPORT IN WHICH THEY SAY MOST BLOGGERS DO BLOGGING ON TUESDAY. I SIMPLY DONOT KNOW THE REASON. BUT IN MY CASE I CAN TELL THAT THIS IS MY LEAVE DAY FOR A LONG TIME. IT DOES CHANGE BUT AGAIN IT FALLS ON TUESDAY. THAT’S WHY I DO IT ON TUESDAY.AND I CAN NOT SAY ABOUT OTHERS. NOW LET ME GO AND HOPE WILL COME BACK SOME DAYS AFTER IF NOT IN FOUR-FIVE DAYS LIKE THE BOMB THEN ON NEXT TUESDAY. BE SURE THERE IS NO CONNECTION WITH BOMB AND MY BLOG. IS IT FINAL?

Tuesday, September 1, 2009

10 YEARS OF BLOG

“It's been 10 years since the blog was born. Love them or hate them, they've roiled presidential campaigns and given everyman a global soapbox. Twelve commentators -- including Tom Wolfe, Newt Gingrich, the SEC's Christopher Cox and actress-turned-blogger Mia Farrow -- on what blogs mean to them.”
THIS HAS BEEN WRITTEN ON THE WALL STREET JOURNAL ON 14 JULY 2009. LOVE THEM OR HATE THEM. IT DEPENDS TOTALLY ON YOU…HOW YOU TAKE IT. YOU ARE FREE TO DO IT. BUT ONE THING YOU MUST BE SURE THAT THIS GIVES EVERYONE A CHANCE TO LINK WITH ENTIRE WORLD. I DONOT THINK THERE IS ANY DOUBT IN ANYONES MIND ABOUT THIS. NOW SUPPOSE AFTER 10 YRS FOR THEM WHO ARE A REGULAR USER OF THIS. HOW HIS LIFE CHANGED. AS FAR AS I AM CONCERN IT GIVES ME PEACE. IT SAYS TO WRITE SOMETHING. NO MATTER WHAT IS THE MATTER JUST GO ON WRITE. IT GIVES YOU A CHANCE TO TASTE YOURSELF.HOW MUCH YOU HAVE COMMAND ON SUBJECT. HOW DO YOU FEEL ABOUT OTHER THING, POLITICS, SPORTS,LIFE, OTHERES, FRIENDS AND THIS ENTIRE WORLD. HOW DO YOU TAKE OTHER RESPONSES AND LIKE ALL THE SITUATION. WHAT A LIFE, SUPERB ONE, NO BAN, NO COMPLAIN, NO SORROW AND NO BLAME. WHAT YOUR MIND SAYS AND WHERE YOUR FINGURE GONE IT IS FOR THE WORLD TO DIGEST IT. DO IT OR NOT ITS NOT BLOGGER PROBLEM. REALLY A SUPERB THING HAS BEEN SEARCHED.
PROBLEM OF THIS…

ANYONE CAN WRITE ANYTHING ABOUT ANYONE. NO NEED TO PROOF AND NO VERIFICATION, WHAT THE BLOGGER HAS WRITTEN IS ENOUGH BEYOND ANY DOUBT. AND NOW OTHERS HAVE TO TAKE IT THIS WAY. SO THIS IS SOME THINGH WHERE BLOGGER CHARACTER IS TASTED.
COMMENT..ANY ONE CAN COMMENT ON ANY BLOG. HE MIGHT BE RIGHT OR NOT AS WELL. HE TOO CAN WRITE ANYTHING, ONCE WE WERE THREE PERSONS ALL WITH PC. SOME ONE SAYS SEE THIS BLOG…ANOTHER ONE THOUGHT OTHERWISE OF THE MATTER AND HE THEN WENT UP TO WRITE HARSH WORDS FOR THE RESPECTED PERSON…AFTER SOME TIME THE RESPECTED PERSON ANSWERD AND THE MAN WHO COMMENTED WAS IN THE AIR. I MADE HIM TO DO SO, AS IF HOW INTELLIGENT I AM OR WHATEVER?
AGAIN IF MANY PEOPLE FOLLOW A BLOG THER GO TO CRITICE THE PERSON PUT HIM IN DIFFICULT SITUATION AND TRY TO PUT HIS/HER PERSONAL OPINION.WHY YOU HAVE WRITTEN LIKE THAT THIS IS TOTALLY UNFAIR. IT HAPPENS MUCH IN THE CASE OF POLITICAL VIEW.
AFTER ALL THE BEST THING IS IT GIVES YOU A PLACE TO SHARE YOUR THOUGHTS TO OTHER. A GREAT THING BEYOND A DOUBT. THANK THE FIRST BLOGGER AND YOUR TEAM FOR THIS IDEA.

फुटबॉल प्रेमियों में खुशी की लहर

क्या जीत है? क्या मैच था ? रोमांच इससे ज्यादा नहीं हो सकता ..कमाल हो गया ...भूटिया एंड कंपनी ने देश में फुटबॉल प्रेमियों की संख्या में इजाफा कर दिया है ...नेहरू कप पर हमने दुबारा कब्जा कर लिया है। क्या मैच था ...पता नहीं आगे ऐसी जीत फुटबॉल में नसीब हो या ना ....अभी तो जश्न मनाइए ..सीरिया को धो डाला ...जिसकी रैंकिंग हमसे काफी बेहतर है ...कहा ९५ कहा १५६......दिल्ली में खचाखच भरे स्टेडियम में दीवानों की कमी न थी सब पागल हुए जा रहे थे ..१९८३ जैसी हालत दिखी जब दर्शक मैदान में उतर आए थे...हाथ मिलाने के लिए ...क्रिकेट छोड़ ऐसा नजारा हमारे देश में ऐसा कहा होता है लेकिन ये हुआ ...तारीफ करनी पड़ेगी इस टीम की जिसने ये खिताब दिलाया ...भूटिया को तो सब जानते ही है ...बेहतरीन खिलाड़ी का अवार्ड मिला

IT WAS SUBRAT PAUL WHO DID EXCELLENT JOB FOR THE COUNTRY…HE SAVED THREE PENALTY SHOOTOUT AS IF NOTHING CAN PASS INFRONT OF HIM. THIS IS THE SAME PLAYER WAS CRITICISED ONCE FOR STOPPING BRAZILIAN DEFENDER JUNIOR ONE IN DANGEROUS WAY. THAT CAUSED HIS DEATH. LAST TIME IN 2007 HE WAS ALSO THERE IN WINNING SIDE. MANY FOOTBALL LOVER WAS UNHAPPY THAT THEY COULD NOT GET TICKET AND CAN NOT SEE THIS GREAT-GREAT MOMENT IN FOOTBALL FIELD. RECENTLY BCCI HAS GIVEN MONEY TO FOOTBAL FOR THE BETTERMENT OF THE GAME. AND THEY STARTED WITH BANG. BUT WHAT NEXT. WHAT AFTER BHUTIA? HAVE WE PREPARED OUR TEAM. THERE WAS VIJAYAN. HE MIGHT BE HAPPY. ANOTHER ONE RENEDY SING. DOING WELL. BUT WE NEED MORE BHUTIA SO THAT WE HAVE SUCH TIME MORE OFTEN THAN NOT. AT THIS MOMENT ENJOY VICTORY AND LEAVE IT WHAT IS HAPPENING IN BJP AND COMPANY.

Saturday, August 29, 2009

क्या होगा बीजेपी का?

दुख के सब साथी,,,सुख में ना कोय...बीजेपी पर ये बात सटीक बैठती है....अब तो आरएसएस ने भी पार्टी का दिल तोड़ दिया है...क्या करें क्या ना करें..ये कैसी मुश्किल हाय...कोई तो बीजेपी को बताए वो क्या करें और क्या ना करें...आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने साफ कर दिया है की वे बीजेपी को सलाह नहीं देंगे...तो आज तक आरएसएस कर रही थी अब वो नहीं करना चाहती...भाई मुश्किल समय में क्या सलाह दे...कहीं सलाह को ना माना गया तो क्या? कहीं सलाह गलत असर दिखा गई तो क्या? जब सत्ता में थे...सब कुछ ठीक था...तो सब सलाह देते थे...अब तो सलाह भी बीजेपी को नशीब नहीं हो रही है। जबकि भारत में सलाह बिल्कुल मुफ्त मिलती है...फिर इस पर संघ को ऐतराज क्यों...
तो भागवत ने ये प्रेस कॉफ्रेंस क्यों बुलाई थी ?...क्या मकसद था उनका इसके पीछे ? कहीं ऐसा तो नहीं की संघ अपने आप को एकजुट दिखाने की कोशिश कर रहा है...कहीं उसमें भी टूट की संभावना तो नहीं है...खास कर सुदर्शन के बयान के बाद....खैर। जो कुछ करना है वो बीजेपी को ही करना है...बिल्कुल वैसा ही जैसा कृष्ण अर्जुन को महाभारत के मैदान में कहते है...अर्जुन तुम तो नाम मात्र हो...तुम कुछ नहीं कर रहे...सब राम की मर्जी से हो रही है....
भागवत कहते है की वो जसवंत की जिन्ना पर लिखी किताब पढ़ेंगे लेकिन ये तो बैन कर दिया गया है...अब कैसे...क्यों नहीं रोका था बैन करने से....बीजेपी ही तय करें की नेतृत्व किसके हाथ में होगा...हालाकि 55 से 60 का चलेगा...ये एक बेकार की प्रेस कॉफ्रेंस थी...वैसे ज्यादा उम्मीद तो नहीं थी...लेकिन इतना जरूर था बीजेपी की मुश्किलों में कुछ तो कमी लाने की कोशिश होगी...कुछ भी नहीं...
शौरी, वसुंधरा, यशवंत, ब्रजेश मिश्रा, खंडूड़ी से अब पार्टी कैसे निपटेगी...कहां से मिलेगी पार्टी को संजीवनी...अब तो हनुमान भी साथ छोड़ चुके है...क्या होगा बीजेपी का...आडवाणी जाएंगे तो कौन आएगा...दूर-दूर तक खालीपन दिखता है...

Thursday, August 20, 2009

तो जसवंत को जाना ही पड़ा.....जिन्ना प्रेम ने उनके राजनीतिक करियर की बलि ले ली....जसवंत कहते है उन्हे हनुमान से रावण बना दिया गया.....करीब 30 साल तक जिस पार्टी के लिए काम किया...वित्त और विदेश मंत्रालय की कमान संभाली उन्हें देश की सबसे अनुशासित माने जाने वाली पार्टी(वो खुद मानते है) बीजेपी ने एक फोन कॉल कर कह दिया की भइया आपको पार्टी की प्राथमिक सदस्या से निष्कासित किया जाता है...पार्टी विद ए डिफरेंट का माला जपने वाली पार्टी का ये डिफरेंट तरीका था....वो कोई मौका नहीं गंवाते खुद को डिफरेंट दिखाने का....जसवंत को बाहर करने का तरीका भी उनका ऐसा ही है...वैसे तो शिमला की वादियों में पार्टी की लोकसभा में हुई करारी हार की समीक्षा होनी थी...लेकिन पार्टी के लिए जिन्ना का जिन्न ज्यादा नुकसानदेह साबित हो रहा था...सो पार्टी ने जिन्ना के भूत से पहले छुटकारा पाना बेहतर समझा....जसवंत कहते है उनकी किताब से पार्टी का कोई लेना देना नहीं...वो उनकी निजी राय है और निजी राय को सबके सामने रखने का अधिकार सबको है...जैसा की इस ब्लॉगर को भी...तो फिर बीजेपी में इतनी हाय-तौबा क्यों...हंगामा क्यों है बरपा....दरअसल बीजेपी हाईकमान वसुंधरा को डील करने में बुरी तरह असफल रहा...राजनाथ के फरमान को वसुंधरा ने पलक झपकते ही ठुकरा दिया...राजनाथ मन मसोर कर रह गए....पार्टी अध्यक्ष है लोकसभा चुनाव भी जीते है....वो भी गाजियाबाद की सीट से....जहां अधिकतर लोग उनकी हार तय मान रहे थे....ऐसे में राजनाथ राजस्थान हार चुकी महारानी को कैसे माफ कर सकते है...महारानी के समर्थन में लगभग सारे विधायक दिल्ली तक हाजिरी लगा चुके है...आडवाणी ने तो उन्हे समय ही नहीं दिया....दो विधायक सस्पेंड भी कर दिए गए है....लेकिन इतना काफी नहीं था....तो क्या बीजेपी ने महारानी का हिसाब जसवंत से बराबर किया....महारानी से पिटी हुई पार्टी ने जसवंत को बाहर का रास्ता दिखा दिया...ये संदेश देने की कोशिश की की अनुशासनहीनता बर्दास्त नहीं की जाएगी....पार्टी नेता हद में रहे तो आलाकमान की मुश्किलें ना बढ़ाए...साथ ही महारानी को ये संदेश दिए जाए की आदेश ना मानने पर पार्टी किस हद तक जा सकती है....जिन्ना कब के इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके लेकिन अपने आप में ये अजीबोगरीब है की उनपर बयान देने पर किसी को पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ती है तो किसी को पार्टी से ही बाहर दिखा दिया जाता है। जैसे ही जसवंत के जिन्ना प्रेम की ख़बर चली सुषमा स्वराज ने तुरंत ही इससे किनारा कर लिया...राजनाथ सिंह का बयान भी जल्द ही आ गया और फिर तो पार्टी नेताओं में बयान देने की होड़ सी लग गई...लेकिन नहीं आया तो आडवाणी का बयान...निश्चित तौर से उनकी टिप्पणी दिलचस्प होती....अब सवाल ये भी है की जिन्ना से नाराजगी थी या फिर पटेल के अपमान से...अगर ऐसा है तो नाहक में ही जिन्ना का नाम हो गया...वैसे ये तो तय ही निर्णय लेने से पहले पार्टी के शायद ही किसी नेता ने इस किताब को देखा हो...इसी से पता चलता है की बीजेपी में निर्णय किस आधार पर लिया जाता है...ये हाल है देश की सबसे अनुशासित पार्टी का दंभ भरने वाली पार्टी के कर्त्ता-धर्ताओं का...ऐसे में राम ही मालिक है...या जिन्ना...ये तो बीजेपी वाले ही बेहतर बता सकते है...खैर चिंतन बैठक में हार पर समीक्षा होनी थी...अब ऐसे माहौल में क्या हार पर चिंतन करना....जिन्ना पर चिंतन करीए....एक अपडेट है मोदी ने गुजरात में इस किताब पर बैन लगा दिया...आने वाले दिनों में दूसरे बीजेपी राज्यों में भी ऐसा हो सकता है...खैर अब जसवंत का क्या होगा...शायद उनके लिए ये बेहतर exit है...पार्टी टिकट ना देती तो बुरा होता...अब बीजेपी पार्टी पर अक्सर दोहरे मापदंड का आरोप लगता रहेगा...एक ही गलती के लिए पार्टी में अलग-अलग सज़ा का प्रावधान है...एक पीएम इन वेटिंग बन जाते है दूसरे साफ बोल्ड....दरअसल इस निर्णय के बाद बीजेपी खुद फंस गई है...decision making की उसकी क्षमता पर फिर सवाल खड़े हो गए है जैसा की कंधार कांड पर सवाल उठते रहते है...
क्या बीजेपी को किसी को भी अपनी बात रखने का अधिकार है....जसवंत सिंह को बाहर किए जाने के बाद ये साफ हो गया है नहीं ऐसा नहीं है...आप पार्टी आलाकमान के फैसले की धज्जियां उड़ाते रहे, पार्टी कोई कार्रवाई नहीं करेगी...लेकिन अगर कुछ लिखते है, बोलते है तो इस पर कार्रवाई होगी...अब जिस पार्टी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं हो ऐसा पार्टी को तो वोट नहीं ही करना चाहिए...मौत के सौदागर खुलेआम घूम रहे है...पार्टी के सबसे प्रियों में से एक है....लेकिन जसवंत को बलि का बकरा बना दिया गया....संभल जाओ बीजेपी वालों दिल्ली धीरे-धीरे बहुत दूर होती जा रही है....कहीं ऐसा ना हो की ये इतनी दूर चली जाए की दिखना तो छोड़िए सोचना भी मुश्किल हो जाए.....

बीजेपी के जिन्ना.....

बीजेपी नेताओं का जिन्ना प्रेम देखते ही बनता है। जसवंत सिंह ने भी अपना नाम इस सूची में डलवा लिया है। महान है जिन्ना…सेकुलर है जिन्ना...और भी बहुत कुछ है जिन्ना। आडवाणी को भी जिन्ना सेकुलर लगते है। पाकिस्तान के इतिहासकारों को कड़ी
टक्कर दे रहे है ये बीजेपी के नेता। कभी गांधी पर भी लिख लिया होता। पूरी दुनिया में उन पर ना जाने क्या-क्या लिखे गए...लेकिन गांधी पर लिखने से तो वोट सोनिया गांधी ले उड़ेंगी...किसी को जरा सा भी नहीं समझ आया तो महात्मा की जगह
सोनिया समझ लेगा और फिर कांग्रेस की जीत हो जाएगी....सो बेहतर है वैसे पर लिखो...जिसे कुछ लोग समझेंगे...जिन्ना को सेकुलर बता कर मैं भी सेकुलर की सूची में शामिल हो जाउंगा....फिर पार्टी में पूछ बढ़ेगी...एनडीए के घटक दलों में पूछ बढ़ेगी और फिर धीरे-धीरे मुस्लिम वोटर साथ आएंगे...हिंदू वोटरों को तो आसानी से हम मूर्ख बना ही देते है...कभी अयोध्या के नाम पर, कभी गोधरा के नाम पर, कभी रामसेतू के नाम पर,,,और कई मंदिर है देश में...जरूरत पड़ी तो उसे भी ले आएंगे...मूर्ख ही तो बनाना है...चलिए हिन्दू वोटों को तो इंतज़ाम हो गया...कांग्रेस को टक्कर देनी है तो कुछ मुस्लिम वोटों का भी उपाय कर लिया जाए....जिन्ना से बेहतर कौन हो सकता है....कुछ लोगों को (बीजेपी वालों को) ये समझ में आता है की हर मुस्लिम पाकिस्तान का समर्थक होता है...भारत-पाकिस्तान मैच में वो सचिन को जल्दी आउट होते देखना चाहता है और पाकिस्तान को जीतते....भाई साहब...कहां है आप...बड़ी गलती हो रही है...पूरी प्लानिंग ही चौपट है...ना तो राम मिलेंगे ना ही खुदा....आडवाणी जी ने भी गलती की थी...पीएम इन वेटिंग तो बन गए...लेकिन इससे आगे कहां तक जाते....आडवाणी अटल नहीं है वो सब जानते थे अबकी बार आडवाणी जी भी समझ गए....अब जसवंत जी की बारी है...शायद ये उम्र का तकाजा है....अटल जी भी इस उम्र ऐसा कर गए थे...मोदी पर सीधी कार्रवाई से बचते हुए उन्हे राजधर्म का उपदेश देकर छोड़ दिया था...आडवाणी जी भी जिन्ना को सेकुलर बता आए और फिर पार्टी अध्यक्ष पद बड़े बेआबरू होकर छोड़ने को मजबूर हुए....अब जसवंत जी का क्या होगा...बीजेपी तो कोई कार्रवाई करेगी नहीं...चिंतन बैठक को लेकर पहले से ही चिंता थी...अब चिंता और बढ़ गयी है... ऐसा लगता है बीजेपी ने राम प्रेम को छोड़ कर जिन्ना का राग अलापना शुरू कर दिया है...एक कार्टून छपी थी....राजस्थान की महारानी की जिन्होने इन दिनों बीजेपी आलाकमान की हालत खराब रखी है....कार्टून में लिखा है मुझ पर इस्तीफा का दबाव मत डालो वरणा मैं भी जिन्ना भर लिखना शुरू कर दूंगी....कोई समझा बीजेपी वाले को इन पर जिन्ना का भूत सवार हो गया है...ये जिन्ना-जिन्ना की रट लगाते रह जाएंगे और कांग्रेस इन्हे यू हीं दिन में तारे दिखाती रहेगी.....नेहरू भी गलत-पटेल भी गलत...वाह भाई...एक जिन्ना ने कितने भारतीय नेताओं में सेकुलर होने की होड़ मचा दी है...ना जिन्ना सेकुलर थे ना ये जिन्ना के बीजेपी प्रेमी....कोई दूसरी सब्जेक्ट लाते जसवंत जी...खूब टीआरपी होती...इसकी तो टीआरपी भी नहीं...कोई नहीं पूछता....हंगामा भी अगर मकसद है तो बहुत सारे सब्जेक्ट पड़े हैं हमारे देश में....कभी अपने नए क्षेत्र के लोगों से भी मिल लीजिए उनका भी हाल चाल ले लीजिए....कहा सेकुलरजिम के चक्कर में आप लोग पड़ते है...फायदा से ज्यादा नुकसान ही करवा लेते है...आडवाणी जी को देखकर तो कम से कम सबक ले सकते थे...लेकिन नहीं हम नहीं मानेंगे....आडवाणी तो अध्यक्ष थे....आपके पास तो कुछ भी नहीं है...पार्टी ने भी टिकट नहीं दिया था.....जबरदस्ती चुनाव लड़े थे...जीत गए तो अध्यक्ष बनना चाहते है.....पार्टी चलाना चाहते है....पीएम इन वेटिंग बनना चाहते है.....मत बनिए पीएम इन वेटिंग...बहुत दुख होता है इसमें...बनना है तो सीधे पीएम बनिए मनमोहन की तरह...अब आप तो ये भी नहीं कर सकते...आपकी पार्टी में सुषमा कोई सोनिया थोड़े ही है...वो थोड़े बलिदान करनेवाली है.....अब बीजेपी में पीएम इन वेटिंग पोस्ट के लिए भी मारामारी है....जिन्ना ही बचाए इन बीजेपी वालों से.....
THE SAME COMMENT HAS BEEN WRITTEN ON QASBA ALSO…

Monday, August 17, 2009

AFTER 62 YEARS

WE HAVE JUST CELEBRATE OUR 62 INDEPNDENCD DAY. PM MANMOHAN SINGH ONCE AGAIN HOISTED THE FLAG AND ADDRESSED THE NATION FROM RED FORT, SIXTH TIME IN A ROW. ALTHOUGH TO HIT SIXES WAS NOT EASY AS HE HAD TO FIGHT THE STRONGEST MAN L K ADWANI. BUT THIS MAN DID IT IN STYLE AND NOW HE TOCHED ALL POINT IN HIS SPPECH.
WE ARE DOING WELL IN WORLD WIDE MANDI TIME. HE HAS NO PROBLEM TO TAKE CREDIT OF THAT. HE TOLD IT WAS DUE TO HIS GOVERNMENT POLICY THAT WE HAVE THE LESSER EFFECT. RIGHT, WHEN I TOLD IT TO MY FRIEND HE ASKED WHEN HIS GOVT DID WELL WHY THIS MANDI CAME? I TOLD HIM WHEN WORLD IS FACING THIS HOW YOU CAN STOP? ONLY YOU CAN DO THAT YOU GET LESSER EFFECT OF THAT. IN FACT MY FRIEND IS OF BJP MIND SET.HE FOLLOWS BJP STATEMENT QUITE CLOSLY. WHAT BJP HAS TO SAY ABOUT PM STATEMENT MADE IN SHARM-AL-SHEIKH. WHAT BJP IS TELLING ON MAHANGAI AND OTHERS WHERE THEY TARGET CONGRESS AND UPA. BUT WHEN I ASK ME WHY THIS STRONG PARTY IS ON BACKFOOT OVER MAHARANI ISSUE. HE DOES NOT LOVE TO TALK MUCH OR HE TRIES TO CHANGE THE SUBJECT. AS BJP PRESIDENT SAY IT WAS POSITIVE RECATION FROM VASUNDHARA RAJE. ALTHOGHT SHE DENIED TO FOLLOW WHAT RAJNATH ORDERD. MY INTELLIGENT FRIENDS PRESENT IN THE PRESS CONFRENCE DID NOT ASK WHAT THE POSITIVE. SHE HAD ALREADY DENIED TO RESIGN.

LEAVE IT YE POLITICS BHI GAJAB KI MENU HAI. I WAS WRITING ABOUT INDEPENDENCE DAY AND MIXED IT IN THIS BJP-CONGRESS. ALTHOUGH MAYWATI SEEMS TO ENJOY ELEPHANT STATUE. WHAT A BEAUTIFUL OR YOU CAN SAY MUCH MORE FOOLISH REPLY SHE HAS PUT TO SUPRME COURT. NO THIS ELPHANT IS WELCOMING PEOPLE AND THIS IS NOT BSP SYMBOL. NO MATTER HOW MUCH GOVT MONEY WAS WASTING DUE TO THIS IS OK. AGAIN I CAME ON POLITICS. YE POLITCS KAB MUJHE CHHOREGA……

WE SAW SOMETHING LIVE ON TV WHICH RAM DID IN LONG-LONG AGO. RAKHI KA SWAYMBAR. I AM UNMARRIED AND I DO WISH TO TAKE PART IN THIS TYPE OF SWAYMABAR LIKE KARAN JAUHAR. BUT WHAT CAN BE DONE. LAST THREE DAYS OF THE SHOW HAVE BEEN FOLLOWED BY MANY. NO MATTER THEY ARE MARRIED OR NOT. BUT THEY WERE INFRONT OF TV. WHEN ANY PHONE CAME ON THAT TYPE …PEOPLE WERE ASKING WILL RAKHI MARRY OR NOT? THIS IS THE REASON WHY PEOPLE SEE THE SHOW MUCH. BUT NOW WHAT WILL RAKHI DO, MEDIA IS FOLLOWING CLOSELY.
AND FACE SACH KA SAMNA…WILL ANY POLITICIAN FACE THE SHOW, I DOUBT. ALTHOGH THEY HAVE MADE HUGE UPROAR IN PARLIAMENT. RIGHT, SHOW SHOULD RUN OR NOT. THIS IS DISCUSSING ABOUT BED ROOM, WHAT YOU DID BEFORE MARRIED AND AFTER, WAS THE MAIN BASIC OF THAT. I TOO LIKE TO BE THERE BUT WHY THEY WILL BRING ME ON THE SHOW. BECAUSE I HAVE NOT MARRIED YET SO THERE ONE QUESTION AFTER MARRIED HAS CUT LOST AND BE SURE I DID NOT DO ANY THING LIKE THAT TILL I AM WRITING. WELL.
HOW YOU CAN FORGET BABA RAMDEV? HE IS IN NEWS EVERY DAY. HE IS TALKING ABOUT CHAPTER XVI, SECTION 377 OF INDIAN PENAL CODE. UPDATE IS THAT CENTER HAS BEEN NOTICED ON HIS PLEA. HE IS SAYING ACTRESS CHARACTERLESS. AND MAKE A SHOW WITH TWO ACTRESS AND CLARIFYING WHAT HE TOLD. WELL. AGAIN HE IS MAKING POLITICAL STATEMENT THAT SUITS BJP. AGAIN POLITICS SORRY.
OK COME TO SPORTS. TEAM INDIA HAS BEEN SELECTED FOR SRILANKA AND CHAMPIONS TROPHY. MR COOL RAHUL DRAVID IS BACK. FOR MANY THIS IS A BACKWARD STEP FOR MANY DOES NOT. SOME SAYS BCCI PLANEED TO GIVE DRAVID A FAREWELL. WELL. SAINA NEHWAL IS IN THE NEWS THESE DAYS SHE IS ABOUT TAKE SANIA PLACE. FIRST INDIAN WOMEN TO REACT QUARTER OF WORLD BADMINTON CHAMPIONSHIP. RIGHT. AND WHAT ABOUT MARRYCOM SHE IS MORE THAN HAPPY AND SO WE INDIAN ARE. ONE MEDAL AT LEAST SEEMS TO BE FINAL BEFORE THE 2012 OLMYPIC IN ENGLAND TO START. AND HOW CAN YOU FORGET SACHIN-KAMBLI DOSTI WHICH SEEMS TO BE DISTURBED AFTER THE SHOW SACH KA SAMNA.
MANMOHAN SINGH TODAY SAID TERRORIST ARE PLANNING TO HIT AGAIN AND WE MUST BE ALERT. BUT HOW MUCH ALERT WE ARE IT CAME IN THE MEETING ITSELF. MODI SAYING SOMETHING AND SO IS RAMAN SINGH AND OTHERS AS WELL. HOW TO FORGET LALU-NITISH BISCUIT AND TAREGNA? AND AGAIN JINNAH KA JINN…WHO GAVE TWO NATION THEORY.
DROUGH, FLOOD AND OTHERS PROBLEM ARE AS WELL. AS IT WILL REMAIN FOREVER.AND HOW TO TAKE POLITCS OVER BUNDELKHAND JAHA LOG BUND-BUND KO TARAS RAHE HAI. RIGHT. BUT WITH THIS WE HAVE TO MOVE FORWARE AND SO OUR POLITICIAN SHOULD AS WELL.

Saturday, August 1, 2009

रफी,किशोर और मुकेश

अक्सर संगीत प्रेमियों में बहस होती है की रफी,किशोर और मुकेश में कौन महान है। सबसे बेहतरीन गायक कौन थे। किनकी संगीत जादू पैदा कर देती है। ये तीनों ही महान थे। अगर ऐसा ना होता तो भारतीय संगीत प्रेमियों पर इनका इतना लंबा राज नहीं चलता। सभी अपने फन के माहिर थे। सब ने हर तरह के गाने गाए। संगीत प्रेमियों को खुशी,गम हर तरह के भावों से ओत-प्रोत कर दिया। मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया...ना तुझ सा फनकार तेरे बाद आय़ा....ये बताती है कि रफी साहब क्या थे...मुकेश ने एक से बढ़कर एक दर्द भरे नगमे गाए तो किशोर दा भी कहीं कम नहीं थे...मुकेश और ऱफी के मुकाबले किशोर दा की पकड़ कुछ लोग कुछ कम आंकते है...बावजूद इसके दादा किसी से कम नहीं थे। ये शानदार दौर था...भारतीय संगीत प्रेमी आज भी उनके गाने सुनकर थिरकने लगते है...एक शानदार अहसास से पूर्ण हो जाते है...इन तीनों के गए सालों बीत गए लेकिन आज भी इन्हे जमाना ढूंढ़ता है...यहीं थी तीनों की खासियत...आज भी इनके गानों को सुनकर लगता ही नहीं कि गायक अब इस दुनिया में नहीं रहा...ऐसा लगता है मानो कहीं दूर से वो गा रहा है...जैसे----कहीं दूर जब दिन ढ़ल जाएगा और कोई कह रहा है...सजन रे झूठ मत बोलो या फिर पल-पल दिल के पास...अकेल-अकेले कहां जा रहे हो....दिल के झरोखे में....मेरा जीवन कोरा कागज...ये लाल रंग कब मुझे...दुखी मन मेरे ,,,,तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम....मेरी भिंगी-भिंगी सी...पलकों पे रह गए....तुम बिन जाउ कहां या फिर वो मेरे दिल के चैन....एक लंबी फेहरिस्त...अकेले रफी साहब ने 28000 से ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए जो रिकॉर्ड है...मुकेश और किशोर को मिला दे तो आकंड़ा और बढ़ जाता है....ऐसे में लता दीदी को कौन भूल सकता है जिन्होने इन तीनों सितारे के साथ गाए...दीदी किशोर को अपना पंसदीदा मानती है लेकिन ये नहीं कहती कि रफी और मुकेश उनके सामने कुछ नहीं थे...तीनों ही शानदार थे, और हमेशा रहेंगे...जब भी उनका कोई गीत दूर से सुनाई देगा आपको भी ऐसा ही अहसास होगा....................................................................

Thursday, July 30, 2009

INDIA VS PAK OR PM VS ALL

HOW CAN IT BE? WHAT OPPOSITON IS TARGETIN ON PM. WHAT HAVE YOU DONE? WHY IT WAS NEEDED TO GO FOR THE STATEMENT? HOW TERROR AND TALK CAN GO TOGETHER? SOME SAYS EVEN IN COGRESS THERE IS TWO THOUGHT OVER THIS. THEN CAME SONIA IN PM SAVING. SHE SAID DONOT MAKE STATEMENT WHICH SEEMS DIFFERENT VOICE. RIGHTLY SO.OPPOSITION ARE PUTTING HEAVY PRESSUR. ALTHOGH PM HAS TOLD ABOUT THIS BUT IT IS REALLY HARD TO SWELL.AND NOW PAKISTAN IS SAYING ITS INDIAN HAND IN BALUCHISTAN PROBLEM. BASELESS,FOOLISHLESS WHATEVER YOU WANT TO SAY. THERE CAN NOTHIN MORE FOOLISH THAN THIS. WE INDIAN CAN NEVER EVER THINK ABOUT THAT. YOU UNDERSTAND THIS BY THIS WAY WE ARE NUCLEAR STATE BUT WE CANNOT TARGET FIRST. EVEN IN SECOND CHANCE WE HAVE NOW BECOME FULL SURE ABOUT THIS.WE ARE SIXTH COUNTRY IN THIS LIST. REALLY A PROUD MATTER. CAN ANYONE HAVE FAITH WHAT PAK IS BLAMING. I DONOT THINK SO. AGAIN WE HAVE DONE SOME DEAL WITH US.THAT IS TALKING POINT.
WHAT IS OUR FOREING POLICY? WHERE WE ARE HEADING? RIGHT WAY OR …? A COUNTRY LIKE NEPAL PUT EYE BROWS ON US. CHINA YOU CAN NEVER TRUST…THEY ARE ALWAYS PUTTIING IN DOUBT.SRILANKA –THE COUNTRY IS FACING OWN PROBLEM. BETTER HERE NOT TO TALK ABOUT PAKISTAN. THEN BANGLADESH—THERE TWO LADY ARE FIGHTING EVERY TIME ALTHOGT DUE TO US THEY ARE IN THE WORLD BUT NOT A GOOD FRIEND…THESE ARE OUR NEIGHBOUR….IN AUSTRALIA INDIAN STUDENTS ARE BEING BEATEN, RUSSIA A CLOSE FRIEND BUT SINCE WE COME CLOSER TO US THIS RELATIONSHIP IS SURE TO EFFECT. ENGLAND THINK THE SAME WAY IN MANY TIMES AS US. AND US ALWAYS SEE ITS OWN FIRST INTEREST THEN ANYTHING ELSE. SO WHRE WE ARE? IN DEEP-DEEP DANGER OR IN GOOD SITUATION.
WE MUST DO SOMETHING IN THIS REGARD. EASY TO TELL BUT HARD TO DO. HOW CAN IT BE? THAT’S THE BIGGEST CHALLENG TO MANMOHAN TEAM HAS TO FACE BUT SAD TO SAY THIS IS NOT IN GOVT AGENDA. WHAT THEY SAY 100 DAYS MISSION OF EVER MINISTER BUT THESE HEAVY THING IS NOT IN THE LIST. SURE THESE ARE NOT SUCH THAT CAN BE HANDLED IN 100 DAYS IT WANTS DECADE AND CENTURY.

प्रॉब्लम यहाँ भी है....


तिरंगे में कितने रंग होते हैं....????.....जी तीनऔर चक्र नहीं होता क्या...???...होता है..कौनसे रंग का...???....
नीला तो फिर चार रंग हो गए न इतना नहीं पता तुम्हें...????......आप सोच रहे होंगे की मैं तिरंगे को लेकर ये क्या लिख रहीं हूं..............
इन सवालों की धार कर रहीं थी किसी के सपनों को तार-तार......यहां पर एक ब्रेक लेते है, पहले में आपकों बताती हूं कि आखिर मामला यहां तक पहुंचा कैसे.....रविवार की खूबसूरत सुबह.. मोबाईल पर एक कॉल... ये कोई ऐसी वैसी कॉल नहीं इंटरव्यू कॉल थी। खुशी का ठिकाना नहीं रहा, भई इसी दिन का तो इंतजार था, फिर क्या शुरू हो गई तैयारी..पूरे दिन टीवी पर न्यूज़ चैनल देखा और अख़बार तो ऐसे पढ़ा जैसे सारी जिन्दगी की मेहनत आज ही हो जाएगी और तो और कंगाली के दौर में नेट पर 10 रूपये भी कुर्बान कर दिए, मिनिस्ट्रीज से लेकर राजनीतिक हलचल तक सब दिमाग के फोल्डर में कैंद हो चुका था...बेचैनी इतनी की रात में कई बार उठकर घड़ी देखी, सुबह समय से पहले ही ऑफिस पहुंच गई....हाथों में झोला और आंखों में चश्मा और दिल में गजब का आत्मविश्वास इतने बड़े चैनल में इंटरव्यू जो था...करीब तीस चालीस लोग थे, एक-एक करके सबका नाम पुकारा जाने लगा दिल की धड़कने बढ़ गईं, मौका मिलने पर बैग में पड़े कुछ कागजों को उलट-पलट रहीं थी। मेरा नंबर भी आ गया दिल में ठान लिया था, जितना भी आता है इंटरव्यू की टेबल पर उड़ेल दूंगी, सामने बड़े-बड़े लोग, इस एक पल खुद को सबसे खुशनसीब मान रहीं थी। करीब बीस मिनट अपनी प्रतिभा का प्रमाण देने के बाद जब बाहर निकली तो सबसे पहले अपनी घनिष्ठ मित्र को फोन किया...आज तो किला फ़तह कर लिया हमने.. शाम को पार्टी होगी सारे सही जवाब दिए है, देखना अब सब सही हो जाएगा...थोड़ी देर में सबको जाने के लिए कह दिया बस मैं रह गई, विश्वास और बढ़ गया कि बस मंजिल दूर नहीं है, ऐसे में तीन घंटे बैठे-बैठे कैसे बीत गए पता भी नहीं चला,फिर एक सज्जन ने बताया आपका एचआर रॉउंड बचा है जाईये मैडम बुला रहीं है मन में कहा पैसा चाहे कुछ भी मिले लेकिन पोस्ट से कोई समझौता नहीं करूंगी...उधर लोग एचआर हेड के दिव्य ज्ञान की चर्चा कर रहें थें... मैं संभलकर आगे गई...चैम्बर में देखा मैडम कुर्सी पर बैठी फोन पर बात कर रहीं थीं,हाथों में रिमोर्ट सामने एलसीडी पर कैटरीना कैफ चल रहीं थी मुझे देखा और बोली.. ओह हो तुम हो !!!....सबसे पहले तुम्हें निपटाती हूं.....एक के बाद एक सवाल, मैं तो समझ ही नहीं पा रहीं थी की हो क्या रहा हैं... अपने बारे में हिन्दी में लिखना जिन्दगी की सबसे बड़ी गलती बन गया...ख़्वाबों और ख्यालों की दुनिया लुट चुकी थीं, मेरा रिज्यूम तो ऐसे फेंका जैसे कह रहीं हो पता नहीं कहां-कहां से आ जाते हैं महज़ पंद्रह मिनट में केबिन के बाहर और अंदर की दुनिया समझ में आ गई ....अपने सपनों की अर्थी कांधे पर लिए बाहर आ गई और आज तक जवाब न मिला क्या था ये साक्षात्कार या मानसिक बलात्कार............ सलाम जिन्दगी के लिए सुधी सिद्धार्थ