Wednesday, December 30, 2009

रुचिका+आराधना=स्टेफी+सेलेस

वो स्टेफी ग्राफ बनना चाहती थी...स्टेफी टेनिस की बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक...स्टेफी-सेलेस का मैच देखना अपने आप में गजब का रोमांच था...स्टेफी-नवारीतोलवा का भी मैच तनाव पैदा करता था...टेनिस का हर खिताब स्टेफी ने अपने नाम किया...उसे पसंद करना और उसके जैसा बनने की कोशिश किसी ने आज से 20 साल पहले किया था...रुचिका गिरहोत्रा....अपने दोस्त आराधना के साथ वो प्रैक्टिस करती थी...एक मोनिका सेलेस और वो स्टेफी...काश ये मैच हम भी देख पाते...लेकिन अब स्टेफी नहीं रही और मोनिका का रोल भी बदल गया...एक ऐसा अधिकारी मिला जिसने ना सिर्फ इनके खेल के साथ खिलवाड़ किया बल्कि हमारे सिस्टम में अंदर तक जम चुकी अनैतिक कार्यों की पोटली खोल दी...राठौर ने क्या-क्या ना किया...स्टेफी को स्टेफी नहीं बनने दिया...उसके साथ छेड़छाड़ की...मामला दर्ज नहीं करवाने दिया...भाई को गलत मामले में फंसाया...हत्या की साजिश रची....परिवार का जीना दुभर कर दिया...बदनाम करने की हर कोशिश की...भाड़े के गुंडे भेजे...बदनाम कराया...पुलिस के गुंडों की मदद ली...सीबीआई को रिश्वत की पेशकश की...राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल किया...गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करवाई...स्कूल से बाहर निकलवाया...उसी स्कूल से जहां उसकी बेटी भी पढ़ती थी...शायद वो रुचिका की दोस्त रही हो....या फिर कम से कम उसे जानती तो होगी ही...अपनी बेटी की उम्र की लड़की के साथ......ऐसा करने की सोची...आखिरकार स्टेफी ने दम तोड़ दिया...टेनिस को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह दिया...भारत में कोई स्टेफी ग्राफ नहीं बन सकती....बड़े भरे मन से उसने दुनिया छोड़ा होगा...19 साल से मामला चल रहा है...स्टेफी की पार्टनर सेलेस ने भी अपना टेनिस करियर छोड़ दिया...शायद उसे कुछ और बनना था...उसकी भूमिका अलग तय थी...अपने स्टेफी को न्याय दिलाने का जिम्मा उसने अपने कंधे पर उठाया....उसने भी अपने इस अलग करियर के 19 साल पूरे कर लिए है....लंबे संघर्ष में बाद वो तब हारती हुई दिखी जब राठौर कोर्ट से मुस्कराते हुए बाहर निकल रहा था....लेकिन इस हार ने सेलेस की जिंदगी बदल दी...और राठौर की भी...अब तो राठौर का बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है....सेलेस जीत के करीब है....अब उसका जीतना तय है...सामने वाला वॉक ओवर नहीं देगा तो क्या....इतने लंबे संघर्ष ने मोनिका सेलेस को इतना तैयार कर दिया है कि अब इस मुकाम पर वो तो नहीं ही हार सकती है...अपना ग्रैंड स्लैम उसे जीतना है....राठौर को हरा कर...और ये ट्रॉफी होगी स्टेफी के नाम...वेल डन सेलेस...क्या हुआ हमने सिंग्लस में ग्रैंड स्लैम नहीं जीता...ये जीत स्टेफी ग्राफ के कई ग्रैंड स्लैम से बड़ी जीत है...ये बदलाव शानदार होगा....राठौर को सज़ा मिलते ही फिर कोई राठौर किसी स्टेफी ग्राफ के सामने नहीं आएगा...मोनिका सेलेस हैं ना... आराधना है ना.....

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