Friday, July 8, 2011

हम भ्रष्ट देश के नागरिक हैं....

कुछ भी लिखने का सोचिए...ये राजनीति और भ्रष्ट लोग सबसे पहले सामने आ जाते हैं। कल डीएमके के तीसरे साथी भी पार्टी छोड़ तिहाड़ की यात्रा करने को तैयार हो गए। ना उनके पास कोई चारा बचा था ना ही मौन-मोहन सरकार के पास। सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट के बाद कपड़ा मंत्री की विदाई हो गई। बीजेपी के एक नेता ने कहा कि अरे सरकार तो नंगी हो गई है...उसके पास अब कपड़ा ही नहीं रहा। पहले राजा फिर कनिमोझी और अब दयानिधि मारन। अगला नंबर किसका है...इस पर कोई दावा तो नहीं कर सकता है। लेकिन चिदबंरम और सिब्बल इस लिस्ट में आगे चल रहे हैं। क्या मनमोहन की पूरी कैबिनेट के लिए तिहाड़ में इंतज़ाम करने होंगे? और फिर तिहाड़ में ही मीटिंग हुआ करेगी। वो नाना पाटेकर का डॉयलाग याद है ना...कि एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है। शायद उसी तरह एक ईमानदार लेकिन कमजोर प्रधानंत्री देश के लिए बोझ बन जाता है। अब तो देश के दूसरे ईमानदार लोगों की इज्जत पर बन आई हैं। क्या ईमानदार लोग कमजोर होते हैं? क्या सिर्फ वे अपने आप को ही ईमानदार बनाए रखना चाहते हैं। १ अरब से ज्यादा लोगों का नेता इतना कमजोर होगा कि वो कोई फैसला नहीं ले सकता है। प्रधानमंत्री की कमजोरी तो अब देश की कमजोरी बन गई है। तो पहले देश या फिर किसी एक आदमी की कमजोरी। देश से क्या खाक भ्रष्टाचार दूर होगा जब इसे दूर करने वाले लोग ही करप्ट हो। गठबंधन का रोना आखिर हम कब तक रोएंगे। हम किसी को अपने गठबंधन में इसलिए तो नहीं शामिल कर सकते कि आओ भईया, पैसे बनाओ, देश को धोखा दो, चाहे जो करो। हम कुछ नहीं बोलेगा...क्यूंकि बोलेगा तो सरकार गिर जाएगी। कई लोगों की नज़र में तो अभी कोई सरकार ही नहीं है। भगवान भरोसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र चल रहा है। कल यूपी में एक ट्रेन से कटकर ३८ लोगों की मौत हो गई। मुआवजे का एलान कर दिया गया लेकिन इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है क्योंकि अभी तो कोई रेल मंत्री ही नहीं है। खैर एक चैनल ने रिपोर्ट दिखाई कि जितना मुआवजा लोगों को दिया गया उतने में उस जगह पर गेट बनाने के साथ, दो लोगों को तीस साल से ज्यादा तक आराम से वेतन दिया जा सकता था। तब ना ऐसी घटना होती और ना ही मुआवजा देने की बात होती। इधर अन्ना और बाबा रामदेव पर लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं। वो दोनों सत्ता के समानांतर सत्ता बनाने चाहते है, सरकार के लोग ऐसा कहते हैं...फिर भी लोगों को उम्मीद वहां से हैं। तो फिर ये सरकार क्या कर रही हैं। लोकपाल से भ्रष्टाचार मिटने वाला है ऐसा कहना जल्दबाजी होगी। पहले देखिए कैसा बिल आता है वो क्या-क्या तर्क दिए जाते हैं। काले धन का क्या होगा, ये सुप्रीम कोर्ट पर ही निर्भर है। एक अच्छी बात है कि सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था देश में है जो काम कर रहा है नहीं तो यहां कोई सरकार ही नहीं दिखती। इधर कल कैबिनेट ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत सांसदों के फंड में अब दो करोड़ की जगह पांच करोड़ सालाना आ सकेंगे। दस-पंद्रह को छोड़कर अधिकतर सांसदों ने २ करोड़ रुपये भी खर्च नहीं किए तो फिर पांच करोड़ की क्या जरूरत ....इसका जबाव आपको नहीं मिल पाएगा।अन्ना,रामदेव के साथ ही एक और उम्मीद दिखती है राहुल बाबा में। वो यूपी की पदयात्रा पर है। भट्टा पारसौल से लेकर अलीगढ़ तक किसानों का दर्द जानने में लगे हैं। ये सिर्फ वोट बैंक का चक्कर है या फिर इससे किसानों का कुछ होना-जाना है। ये तो आगे पता चलेगा। कोई इसे नौटंकी बताता है तो किसी को इसमें कांग्रेस-बीएसपी की साठगांठ दिखती है। यूपी में किसानों की तपती जमीन पर सियासत की रोटियां सेकी जा रही है। लेकिन बड़ा सवाल वही कि क्या हालात बदलेंगे? इस देश को ये नेता और भ्रष्ट लोग नोच खाएंगे? केरल के एक मंदिर से सोने-हीरे-जवाहरात की बारिश हो रही है। पांच लाख करोड़ शायद अब तक आ चुके हैं और अभी काफी आने है...ऐसा अंदाजा है। विदेशों से काफी संख्या में काला धन लाया जा सकता है। अगर हमारी सरकार कोशिश करे तो......लेकिन इन सबसे भी आखिर क्या होगा। कोई कॉमनवेल्थ में घोटाला करता है...कोई स्पेक्ट्रम बेचने में ..तो जिसको जहां मिलता है वहीं घोटाला। घोटालों का देश बनता जा रहा है भारत। एक अन्ना और एक रामदेव के भरोसे काम नहीं चलेगा। देश को कई अन्नाओं की जरूरत हैं।