Saturday, August 29, 2009

क्या होगा बीजेपी का?

दुख के सब साथी,,,सुख में ना कोय...बीजेपी पर ये बात सटीक बैठती है....अब तो आरएसएस ने भी पार्टी का दिल तोड़ दिया है...क्या करें क्या ना करें..ये कैसी मुश्किल हाय...कोई तो बीजेपी को बताए वो क्या करें और क्या ना करें...आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने साफ कर दिया है की वे बीजेपी को सलाह नहीं देंगे...तो आज तक आरएसएस कर रही थी अब वो नहीं करना चाहती...भाई मुश्किल समय में क्या सलाह दे...कहीं सलाह को ना माना गया तो क्या? कहीं सलाह गलत असर दिखा गई तो क्या? जब सत्ता में थे...सब कुछ ठीक था...तो सब सलाह देते थे...अब तो सलाह भी बीजेपी को नशीब नहीं हो रही है। जबकि भारत में सलाह बिल्कुल मुफ्त मिलती है...फिर इस पर संघ को ऐतराज क्यों...
तो भागवत ने ये प्रेस कॉफ्रेंस क्यों बुलाई थी ?...क्या मकसद था उनका इसके पीछे ? कहीं ऐसा तो नहीं की संघ अपने आप को एकजुट दिखाने की कोशिश कर रहा है...कहीं उसमें भी टूट की संभावना तो नहीं है...खास कर सुदर्शन के बयान के बाद....खैर। जो कुछ करना है वो बीजेपी को ही करना है...बिल्कुल वैसा ही जैसा कृष्ण अर्जुन को महाभारत के मैदान में कहते है...अर्जुन तुम तो नाम मात्र हो...तुम कुछ नहीं कर रहे...सब राम की मर्जी से हो रही है....
भागवत कहते है की वो जसवंत की जिन्ना पर लिखी किताब पढ़ेंगे लेकिन ये तो बैन कर दिया गया है...अब कैसे...क्यों नहीं रोका था बैन करने से....बीजेपी ही तय करें की नेतृत्व किसके हाथ में होगा...हालाकि 55 से 60 का चलेगा...ये एक बेकार की प्रेस कॉफ्रेंस थी...वैसे ज्यादा उम्मीद तो नहीं थी...लेकिन इतना जरूर था बीजेपी की मुश्किलों में कुछ तो कमी लाने की कोशिश होगी...कुछ भी नहीं...
शौरी, वसुंधरा, यशवंत, ब्रजेश मिश्रा, खंडूड़ी से अब पार्टी कैसे निपटेगी...कहां से मिलेगी पार्टी को संजीवनी...अब तो हनुमान भी साथ छोड़ चुके है...क्या होगा बीजेपी का...आडवाणी जाएंगे तो कौन आएगा...दूर-दूर तक खालीपन दिखता है...

Thursday, August 20, 2009

तो जसवंत को जाना ही पड़ा.....जिन्ना प्रेम ने उनके राजनीतिक करियर की बलि ले ली....जसवंत कहते है उन्हे हनुमान से रावण बना दिया गया.....करीब 30 साल तक जिस पार्टी के लिए काम किया...वित्त और विदेश मंत्रालय की कमान संभाली उन्हें देश की सबसे अनुशासित माने जाने वाली पार्टी(वो खुद मानते है) बीजेपी ने एक फोन कॉल कर कह दिया की भइया आपको पार्टी की प्राथमिक सदस्या से निष्कासित किया जाता है...पार्टी विद ए डिफरेंट का माला जपने वाली पार्टी का ये डिफरेंट तरीका था....वो कोई मौका नहीं गंवाते खुद को डिफरेंट दिखाने का....जसवंत को बाहर करने का तरीका भी उनका ऐसा ही है...वैसे तो शिमला की वादियों में पार्टी की लोकसभा में हुई करारी हार की समीक्षा होनी थी...लेकिन पार्टी के लिए जिन्ना का जिन्न ज्यादा नुकसानदेह साबित हो रहा था...सो पार्टी ने जिन्ना के भूत से पहले छुटकारा पाना बेहतर समझा....जसवंत कहते है उनकी किताब से पार्टी का कोई लेना देना नहीं...वो उनकी निजी राय है और निजी राय को सबके सामने रखने का अधिकार सबको है...जैसा की इस ब्लॉगर को भी...तो फिर बीजेपी में इतनी हाय-तौबा क्यों...हंगामा क्यों है बरपा....दरअसल बीजेपी हाईकमान वसुंधरा को डील करने में बुरी तरह असफल रहा...राजनाथ के फरमान को वसुंधरा ने पलक झपकते ही ठुकरा दिया...राजनाथ मन मसोर कर रह गए....पार्टी अध्यक्ष है लोकसभा चुनाव भी जीते है....वो भी गाजियाबाद की सीट से....जहां अधिकतर लोग उनकी हार तय मान रहे थे....ऐसे में राजनाथ राजस्थान हार चुकी महारानी को कैसे माफ कर सकते है...महारानी के समर्थन में लगभग सारे विधायक दिल्ली तक हाजिरी लगा चुके है...आडवाणी ने तो उन्हे समय ही नहीं दिया....दो विधायक सस्पेंड भी कर दिए गए है....लेकिन इतना काफी नहीं था....तो क्या बीजेपी ने महारानी का हिसाब जसवंत से बराबर किया....महारानी से पिटी हुई पार्टी ने जसवंत को बाहर का रास्ता दिखा दिया...ये संदेश देने की कोशिश की की अनुशासनहीनता बर्दास्त नहीं की जाएगी....पार्टी नेता हद में रहे तो आलाकमान की मुश्किलें ना बढ़ाए...साथ ही महारानी को ये संदेश दिए जाए की आदेश ना मानने पर पार्टी किस हद तक जा सकती है....जिन्ना कब के इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके लेकिन अपने आप में ये अजीबोगरीब है की उनपर बयान देने पर किसी को पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ती है तो किसी को पार्टी से ही बाहर दिखा दिया जाता है। जैसे ही जसवंत के जिन्ना प्रेम की ख़बर चली सुषमा स्वराज ने तुरंत ही इससे किनारा कर लिया...राजनाथ सिंह का बयान भी जल्द ही आ गया और फिर तो पार्टी नेताओं में बयान देने की होड़ सी लग गई...लेकिन नहीं आया तो आडवाणी का बयान...निश्चित तौर से उनकी टिप्पणी दिलचस्प होती....अब सवाल ये भी है की जिन्ना से नाराजगी थी या फिर पटेल के अपमान से...अगर ऐसा है तो नाहक में ही जिन्ना का नाम हो गया...वैसे ये तो तय ही निर्णय लेने से पहले पार्टी के शायद ही किसी नेता ने इस किताब को देखा हो...इसी से पता चलता है की बीजेपी में निर्णय किस आधार पर लिया जाता है...ये हाल है देश की सबसे अनुशासित पार्टी का दंभ भरने वाली पार्टी के कर्त्ता-धर्ताओं का...ऐसे में राम ही मालिक है...या जिन्ना...ये तो बीजेपी वाले ही बेहतर बता सकते है...खैर चिंतन बैठक में हार पर समीक्षा होनी थी...अब ऐसे माहौल में क्या हार पर चिंतन करना....जिन्ना पर चिंतन करीए....एक अपडेट है मोदी ने गुजरात में इस किताब पर बैन लगा दिया...आने वाले दिनों में दूसरे बीजेपी राज्यों में भी ऐसा हो सकता है...खैर अब जसवंत का क्या होगा...शायद उनके लिए ये बेहतर exit है...पार्टी टिकट ना देती तो बुरा होता...अब बीजेपी पार्टी पर अक्सर दोहरे मापदंड का आरोप लगता रहेगा...एक ही गलती के लिए पार्टी में अलग-अलग सज़ा का प्रावधान है...एक पीएम इन वेटिंग बन जाते है दूसरे साफ बोल्ड....दरअसल इस निर्णय के बाद बीजेपी खुद फंस गई है...decision making की उसकी क्षमता पर फिर सवाल खड़े हो गए है जैसा की कंधार कांड पर सवाल उठते रहते है...
क्या बीजेपी को किसी को भी अपनी बात रखने का अधिकार है....जसवंत सिंह को बाहर किए जाने के बाद ये साफ हो गया है नहीं ऐसा नहीं है...आप पार्टी आलाकमान के फैसले की धज्जियां उड़ाते रहे, पार्टी कोई कार्रवाई नहीं करेगी...लेकिन अगर कुछ लिखते है, बोलते है तो इस पर कार्रवाई होगी...अब जिस पार्टी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं हो ऐसा पार्टी को तो वोट नहीं ही करना चाहिए...मौत के सौदागर खुलेआम घूम रहे है...पार्टी के सबसे प्रियों में से एक है....लेकिन जसवंत को बलि का बकरा बना दिया गया....संभल जाओ बीजेपी वालों दिल्ली धीरे-धीरे बहुत दूर होती जा रही है....कहीं ऐसा ना हो की ये इतनी दूर चली जाए की दिखना तो छोड़िए सोचना भी मुश्किल हो जाए.....

बीजेपी के जिन्ना.....

बीजेपी नेताओं का जिन्ना प्रेम देखते ही बनता है। जसवंत सिंह ने भी अपना नाम इस सूची में डलवा लिया है। महान है जिन्ना…सेकुलर है जिन्ना...और भी बहुत कुछ है जिन्ना। आडवाणी को भी जिन्ना सेकुलर लगते है। पाकिस्तान के इतिहासकारों को कड़ी
टक्कर दे रहे है ये बीजेपी के नेता। कभी गांधी पर भी लिख लिया होता। पूरी दुनिया में उन पर ना जाने क्या-क्या लिखे गए...लेकिन गांधी पर लिखने से तो वोट सोनिया गांधी ले उड़ेंगी...किसी को जरा सा भी नहीं समझ आया तो महात्मा की जगह
सोनिया समझ लेगा और फिर कांग्रेस की जीत हो जाएगी....सो बेहतर है वैसे पर लिखो...जिसे कुछ लोग समझेंगे...जिन्ना को सेकुलर बता कर मैं भी सेकुलर की सूची में शामिल हो जाउंगा....फिर पार्टी में पूछ बढ़ेगी...एनडीए के घटक दलों में पूछ बढ़ेगी और फिर धीरे-धीरे मुस्लिम वोटर साथ आएंगे...हिंदू वोटरों को तो आसानी से हम मूर्ख बना ही देते है...कभी अयोध्या के नाम पर, कभी गोधरा के नाम पर, कभी रामसेतू के नाम पर,,,और कई मंदिर है देश में...जरूरत पड़ी तो उसे भी ले आएंगे...मूर्ख ही तो बनाना है...चलिए हिन्दू वोटों को तो इंतज़ाम हो गया...कांग्रेस को टक्कर देनी है तो कुछ मुस्लिम वोटों का भी उपाय कर लिया जाए....जिन्ना से बेहतर कौन हो सकता है....कुछ लोगों को (बीजेपी वालों को) ये समझ में आता है की हर मुस्लिम पाकिस्तान का समर्थक होता है...भारत-पाकिस्तान मैच में वो सचिन को जल्दी आउट होते देखना चाहता है और पाकिस्तान को जीतते....भाई साहब...कहां है आप...बड़ी गलती हो रही है...पूरी प्लानिंग ही चौपट है...ना तो राम मिलेंगे ना ही खुदा....आडवाणी जी ने भी गलती की थी...पीएम इन वेटिंग तो बन गए...लेकिन इससे आगे कहां तक जाते....आडवाणी अटल नहीं है वो सब जानते थे अबकी बार आडवाणी जी भी समझ गए....अब जसवंत जी की बारी है...शायद ये उम्र का तकाजा है....अटल जी भी इस उम्र ऐसा कर गए थे...मोदी पर सीधी कार्रवाई से बचते हुए उन्हे राजधर्म का उपदेश देकर छोड़ दिया था...आडवाणी जी भी जिन्ना को सेकुलर बता आए और फिर पार्टी अध्यक्ष पद बड़े बेआबरू होकर छोड़ने को मजबूर हुए....अब जसवंत जी का क्या होगा...बीजेपी तो कोई कार्रवाई करेगी नहीं...चिंतन बैठक को लेकर पहले से ही चिंता थी...अब चिंता और बढ़ गयी है... ऐसा लगता है बीजेपी ने राम प्रेम को छोड़ कर जिन्ना का राग अलापना शुरू कर दिया है...एक कार्टून छपी थी....राजस्थान की महारानी की जिन्होने इन दिनों बीजेपी आलाकमान की हालत खराब रखी है....कार्टून में लिखा है मुझ पर इस्तीफा का दबाव मत डालो वरणा मैं भी जिन्ना भर लिखना शुरू कर दूंगी....कोई समझा बीजेपी वाले को इन पर जिन्ना का भूत सवार हो गया है...ये जिन्ना-जिन्ना की रट लगाते रह जाएंगे और कांग्रेस इन्हे यू हीं दिन में तारे दिखाती रहेगी.....नेहरू भी गलत-पटेल भी गलत...वाह भाई...एक जिन्ना ने कितने भारतीय नेताओं में सेकुलर होने की होड़ मचा दी है...ना जिन्ना सेकुलर थे ना ये जिन्ना के बीजेपी प्रेमी....कोई दूसरी सब्जेक्ट लाते जसवंत जी...खूब टीआरपी होती...इसकी तो टीआरपी भी नहीं...कोई नहीं पूछता....हंगामा भी अगर मकसद है तो बहुत सारे सब्जेक्ट पड़े हैं हमारे देश में....कभी अपने नए क्षेत्र के लोगों से भी मिल लीजिए उनका भी हाल चाल ले लीजिए....कहा सेकुलरजिम के चक्कर में आप लोग पड़ते है...फायदा से ज्यादा नुकसान ही करवा लेते है...आडवाणी जी को देखकर तो कम से कम सबक ले सकते थे...लेकिन नहीं हम नहीं मानेंगे....आडवाणी तो अध्यक्ष थे....आपके पास तो कुछ भी नहीं है...पार्टी ने भी टिकट नहीं दिया था.....जबरदस्ती चुनाव लड़े थे...जीत गए तो अध्यक्ष बनना चाहते है.....पार्टी चलाना चाहते है....पीएम इन वेटिंग बनना चाहते है.....मत बनिए पीएम इन वेटिंग...बहुत दुख होता है इसमें...बनना है तो सीधे पीएम बनिए मनमोहन की तरह...अब आप तो ये भी नहीं कर सकते...आपकी पार्टी में सुषमा कोई सोनिया थोड़े ही है...वो थोड़े बलिदान करनेवाली है.....अब बीजेपी में पीएम इन वेटिंग पोस्ट के लिए भी मारामारी है....जिन्ना ही बचाए इन बीजेपी वालों से.....
THE SAME COMMENT HAS BEEN WRITTEN ON QASBA ALSO…

Monday, August 17, 2009

AFTER 62 YEARS

WE HAVE JUST CELEBRATE OUR 62 INDEPNDENCD DAY. PM MANMOHAN SINGH ONCE AGAIN HOISTED THE FLAG AND ADDRESSED THE NATION FROM RED FORT, SIXTH TIME IN A ROW. ALTHOUGH TO HIT SIXES WAS NOT EASY AS HE HAD TO FIGHT THE STRONGEST MAN L K ADWANI. BUT THIS MAN DID IT IN STYLE AND NOW HE TOCHED ALL POINT IN HIS SPPECH.
WE ARE DOING WELL IN WORLD WIDE MANDI TIME. HE HAS NO PROBLEM TO TAKE CREDIT OF THAT. HE TOLD IT WAS DUE TO HIS GOVERNMENT POLICY THAT WE HAVE THE LESSER EFFECT. RIGHT, WHEN I TOLD IT TO MY FRIEND HE ASKED WHEN HIS GOVT DID WELL WHY THIS MANDI CAME? I TOLD HIM WHEN WORLD IS FACING THIS HOW YOU CAN STOP? ONLY YOU CAN DO THAT YOU GET LESSER EFFECT OF THAT. IN FACT MY FRIEND IS OF BJP MIND SET.HE FOLLOWS BJP STATEMENT QUITE CLOSLY. WHAT BJP HAS TO SAY ABOUT PM STATEMENT MADE IN SHARM-AL-SHEIKH. WHAT BJP IS TELLING ON MAHANGAI AND OTHERS WHERE THEY TARGET CONGRESS AND UPA. BUT WHEN I ASK ME WHY THIS STRONG PARTY IS ON BACKFOOT OVER MAHARANI ISSUE. HE DOES NOT LOVE TO TALK MUCH OR HE TRIES TO CHANGE THE SUBJECT. AS BJP PRESIDENT SAY IT WAS POSITIVE RECATION FROM VASUNDHARA RAJE. ALTHOGHT SHE DENIED TO FOLLOW WHAT RAJNATH ORDERD. MY INTELLIGENT FRIENDS PRESENT IN THE PRESS CONFRENCE DID NOT ASK WHAT THE POSITIVE. SHE HAD ALREADY DENIED TO RESIGN.

LEAVE IT YE POLITICS BHI GAJAB KI MENU HAI. I WAS WRITING ABOUT INDEPENDENCE DAY AND MIXED IT IN THIS BJP-CONGRESS. ALTHOUGH MAYWATI SEEMS TO ENJOY ELEPHANT STATUE. WHAT A BEAUTIFUL OR YOU CAN SAY MUCH MORE FOOLISH REPLY SHE HAS PUT TO SUPRME COURT. NO THIS ELPHANT IS WELCOMING PEOPLE AND THIS IS NOT BSP SYMBOL. NO MATTER HOW MUCH GOVT MONEY WAS WASTING DUE TO THIS IS OK. AGAIN I CAME ON POLITICS. YE POLITCS KAB MUJHE CHHOREGA……

WE SAW SOMETHING LIVE ON TV WHICH RAM DID IN LONG-LONG AGO. RAKHI KA SWAYMBAR. I AM UNMARRIED AND I DO WISH TO TAKE PART IN THIS TYPE OF SWAYMABAR LIKE KARAN JAUHAR. BUT WHAT CAN BE DONE. LAST THREE DAYS OF THE SHOW HAVE BEEN FOLLOWED BY MANY. NO MATTER THEY ARE MARRIED OR NOT. BUT THEY WERE INFRONT OF TV. WHEN ANY PHONE CAME ON THAT TYPE …PEOPLE WERE ASKING WILL RAKHI MARRY OR NOT? THIS IS THE REASON WHY PEOPLE SEE THE SHOW MUCH. BUT NOW WHAT WILL RAKHI DO, MEDIA IS FOLLOWING CLOSELY.
AND FACE SACH KA SAMNA…WILL ANY POLITICIAN FACE THE SHOW, I DOUBT. ALTHOGH THEY HAVE MADE HUGE UPROAR IN PARLIAMENT. RIGHT, SHOW SHOULD RUN OR NOT. THIS IS DISCUSSING ABOUT BED ROOM, WHAT YOU DID BEFORE MARRIED AND AFTER, WAS THE MAIN BASIC OF THAT. I TOO LIKE TO BE THERE BUT WHY THEY WILL BRING ME ON THE SHOW. BECAUSE I HAVE NOT MARRIED YET SO THERE ONE QUESTION AFTER MARRIED HAS CUT LOST AND BE SURE I DID NOT DO ANY THING LIKE THAT TILL I AM WRITING. WELL.
HOW YOU CAN FORGET BABA RAMDEV? HE IS IN NEWS EVERY DAY. HE IS TALKING ABOUT CHAPTER XVI, SECTION 377 OF INDIAN PENAL CODE. UPDATE IS THAT CENTER HAS BEEN NOTICED ON HIS PLEA. HE IS SAYING ACTRESS CHARACTERLESS. AND MAKE A SHOW WITH TWO ACTRESS AND CLARIFYING WHAT HE TOLD. WELL. AGAIN HE IS MAKING POLITICAL STATEMENT THAT SUITS BJP. AGAIN POLITICS SORRY.
OK COME TO SPORTS. TEAM INDIA HAS BEEN SELECTED FOR SRILANKA AND CHAMPIONS TROPHY. MR COOL RAHUL DRAVID IS BACK. FOR MANY THIS IS A BACKWARD STEP FOR MANY DOES NOT. SOME SAYS BCCI PLANEED TO GIVE DRAVID A FAREWELL. WELL. SAINA NEHWAL IS IN THE NEWS THESE DAYS SHE IS ABOUT TAKE SANIA PLACE. FIRST INDIAN WOMEN TO REACT QUARTER OF WORLD BADMINTON CHAMPIONSHIP. RIGHT. AND WHAT ABOUT MARRYCOM SHE IS MORE THAN HAPPY AND SO WE INDIAN ARE. ONE MEDAL AT LEAST SEEMS TO BE FINAL BEFORE THE 2012 OLMYPIC IN ENGLAND TO START. AND HOW CAN YOU FORGET SACHIN-KAMBLI DOSTI WHICH SEEMS TO BE DISTURBED AFTER THE SHOW SACH KA SAMNA.
MANMOHAN SINGH TODAY SAID TERRORIST ARE PLANNING TO HIT AGAIN AND WE MUST BE ALERT. BUT HOW MUCH ALERT WE ARE IT CAME IN THE MEETING ITSELF. MODI SAYING SOMETHING AND SO IS RAMAN SINGH AND OTHERS AS WELL. HOW TO FORGET LALU-NITISH BISCUIT AND TAREGNA? AND AGAIN JINNAH KA JINN…WHO GAVE TWO NATION THEORY.
DROUGH, FLOOD AND OTHERS PROBLEM ARE AS WELL. AS IT WILL REMAIN FOREVER.AND HOW TO TAKE POLITCS OVER BUNDELKHAND JAHA LOG BUND-BUND KO TARAS RAHE HAI. RIGHT. BUT WITH THIS WE HAVE TO MOVE FORWARE AND SO OUR POLITICIAN SHOULD AS WELL.

Saturday, August 1, 2009

रफी,किशोर और मुकेश

अक्सर संगीत प्रेमियों में बहस होती है की रफी,किशोर और मुकेश में कौन महान है। सबसे बेहतरीन गायक कौन थे। किनकी संगीत जादू पैदा कर देती है। ये तीनों ही महान थे। अगर ऐसा ना होता तो भारतीय संगीत प्रेमियों पर इनका इतना लंबा राज नहीं चलता। सभी अपने फन के माहिर थे। सब ने हर तरह के गाने गाए। संगीत प्रेमियों को खुशी,गम हर तरह के भावों से ओत-प्रोत कर दिया। मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया...ना तुझ सा फनकार तेरे बाद आय़ा....ये बताती है कि रफी साहब क्या थे...मुकेश ने एक से बढ़कर एक दर्द भरे नगमे गाए तो किशोर दा भी कहीं कम नहीं थे...मुकेश और ऱफी के मुकाबले किशोर दा की पकड़ कुछ लोग कुछ कम आंकते है...बावजूद इसके दादा किसी से कम नहीं थे। ये शानदार दौर था...भारतीय संगीत प्रेमी आज भी उनके गाने सुनकर थिरकने लगते है...एक शानदार अहसास से पूर्ण हो जाते है...इन तीनों के गए सालों बीत गए लेकिन आज भी इन्हे जमाना ढूंढ़ता है...यहीं थी तीनों की खासियत...आज भी इनके गानों को सुनकर लगता ही नहीं कि गायक अब इस दुनिया में नहीं रहा...ऐसा लगता है मानो कहीं दूर से वो गा रहा है...जैसे----कहीं दूर जब दिन ढ़ल जाएगा और कोई कह रहा है...सजन रे झूठ मत बोलो या फिर पल-पल दिल के पास...अकेल-अकेले कहां जा रहे हो....दिल के झरोखे में....मेरा जीवन कोरा कागज...ये लाल रंग कब मुझे...दुखी मन मेरे ,,,,तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम....मेरी भिंगी-भिंगी सी...पलकों पे रह गए....तुम बिन जाउ कहां या फिर वो मेरे दिल के चैन....एक लंबी फेहरिस्त...अकेले रफी साहब ने 28000 से ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए जो रिकॉर्ड है...मुकेश और किशोर को मिला दे तो आकंड़ा और बढ़ जाता है....ऐसे में लता दीदी को कौन भूल सकता है जिन्होने इन तीनों सितारे के साथ गाए...दीदी किशोर को अपना पंसदीदा मानती है लेकिन ये नहीं कहती कि रफी और मुकेश उनके सामने कुछ नहीं थे...तीनों ही शानदार थे, और हमेशा रहेंगे...जब भी उनका कोई गीत दूर से सुनाई देगा आपको भी ऐसा ही अहसास होगा....................................................................