Saturday, August 1, 2009
रफी,किशोर और मुकेश
अक्सर संगीत प्रेमियों में बहस होती है की रफी,किशोर और मुकेश में कौन महान है। सबसे बेहतरीन गायक कौन थे। किनकी संगीत जादू पैदा कर देती है। ये तीनों ही महान थे। अगर ऐसा ना होता तो भारतीय संगीत प्रेमियों पर इनका इतना लंबा राज नहीं चलता। सभी अपने फन के माहिर थे। सब ने हर तरह के गाने गाए। संगीत प्रेमियों को खुशी,गम हर तरह के भावों से ओत-प्रोत कर दिया। मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया...ना तुझ सा फनकार तेरे बाद आय़ा....ये बताती है कि रफी साहब क्या थे...मुकेश ने एक से बढ़कर एक दर्द भरे नगमे गाए तो किशोर दा भी कहीं कम नहीं थे...मुकेश और ऱफी के मुकाबले किशोर दा की पकड़ कुछ लोग कुछ कम आंकते है...बावजूद इसके दादा किसी से कम नहीं थे। ये शानदार दौर था...भारतीय संगीत प्रेमी आज भी उनके गाने सुनकर थिरकने लगते है...एक शानदार अहसास से पूर्ण हो जाते है...इन तीनों के गए सालों बीत गए लेकिन आज भी इन्हे जमाना ढूंढ़ता है...यहीं थी तीनों की खासियत...आज भी इनके गानों को सुनकर लगता ही नहीं कि गायक अब इस दुनिया में नहीं रहा...ऐसा लगता है मानो कहीं दूर से वो गा रहा है...जैसे----कहीं दूर जब दिन ढ़ल जाएगा और कोई कह रहा है...सजन रे झूठ मत बोलो या फिर पल-पल दिल के पास...अकेल-अकेले कहां जा रहे हो....दिल के झरोखे में....मेरा जीवन कोरा कागज...ये लाल रंग कब मुझे...दुखी मन मेरे ,,,,तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम....मेरी भिंगी-भिंगी सी...पलकों पे रह गए....तुम बिन जाउ कहां या फिर वो मेरे दिल के चैन....एक लंबी फेहरिस्त...अकेले रफी साहब ने 28000 से ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए जो रिकॉर्ड है...मुकेश और किशोर को मिला दे तो आकंड़ा और बढ़ जाता है....ऐसे में लता दीदी को कौन भूल सकता है जिन्होने इन तीनों सितारे के साथ गाए...दीदी किशोर को अपना पंसदीदा मानती है लेकिन ये नहीं कहती कि रफी और मुकेश उनके सामने कुछ नहीं थे...तीनों ही शानदार थे, और हमेशा रहेंगे...जब भी उनका कोई गीत दूर से सुनाई देगा आपको भी ऐसा ही अहसास होगा....................................................................
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