Saturday, August 29, 2009

क्या होगा बीजेपी का?

दुख के सब साथी,,,सुख में ना कोय...बीजेपी पर ये बात सटीक बैठती है....अब तो आरएसएस ने भी पार्टी का दिल तोड़ दिया है...क्या करें क्या ना करें..ये कैसी मुश्किल हाय...कोई तो बीजेपी को बताए वो क्या करें और क्या ना करें...आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने साफ कर दिया है की वे बीजेपी को सलाह नहीं देंगे...तो आज तक आरएसएस कर रही थी अब वो नहीं करना चाहती...भाई मुश्किल समय में क्या सलाह दे...कहीं सलाह को ना माना गया तो क्या? कहीं सलाह गलत असर दिखा गई तो क्या? जब सत्ता में थे...सब कुछ ठीक था...तो सब सलाह देते थे...अब तो सलाह भी बीजेपी को नशीब नहीं हो रही है। जबकि भारत में सलाह बिल्कुल मुफ्त मिलती है...फिर इस पर संघ को ऐतराज क्यों...
तो भागवत ने ये प्रेस कॉफ्रेंस क्यों बुलाई थी ?...क्या मकसद था उनका इसके पीछे ? कहीं ऐसा तो नहीं की संघ अपने आप को एकजुट दिखाने की कोशिश कर रहा है...कहीं उसमें भी टूट की संभावना तो नहीं है...खास कर सुदर्शन के बयान के बाद....खैर। जो कुछ करना है वो बीजेपी को ही करना है...बिल्कुल वैसा ही जैसा कृष्ण अर्जुन को महाभारत के मैदान में कहते है...अर्जुन तुम तो नाम मात्र हो...तुम कुछ नहीं कर रहे...सब राम की मर्जी से हो रही है....
भागवत कहते है की वो जसवंत की जिन्ना पर लिखी किताब पढ़ेंगे लेकिन ये तो बैन कर दिया गया है...अब कैसे...क्यों नहीं रोका था बैन करने से....बीजेपी ही तय करें की नेतृत्व किसके हाथ में होगा...हालाकि 55 से 60 का चलेगा...ये एक बेकार की प्रेस कॉफ्रेंस थी...वैसे ज्यादा उम्मीद तो नहीं थी...लेकिन इतना जरूर था बीजेपी की मुश्किलों में कुछ तो कमी लाने की कोशिश होगी...कुछ भी नहीं...
शौरी, वसुंधरा, यशवंत, ब्रजेश मिश्रा, खंडूड़ी से अब पार्टी कैसे निपटेगी...कहां से मिलेगी पार्टी को संजीवनी...अब तो हनुमान भी साथ छोड़ चुके है...क्या होगा बीजेपी का...आडवाणी जाएंगे तो कौन आएगा...दूर-दूर तक खालीपन दिखता है...

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