Sunday, November 1, 2009

कहां हुआ है विकास नीतीश जी?

बिहार का खूब विकास हो रहा है। नीतीश बिहार में विकास मॉडल के सहारे झारखंड में भी चुनाव लड़ने जा रहे है। लेकिन कहां हो रहा है विकास। आम आदमी को क्या मिल रहा है। अभी उपचुनाव में हार की एक वजह जमीन बटाईदारी का मामला बताया जा रहा है। लेकिन ऐसा भी नहीं कि हर ओर विकास ही विकास है। इस बार जब घर गया तो ये देखकर अच्छा लगा कि जो रोड सालों से गड्ढ़े में तब्दील हो चुकी थी...वो अब चकाचक हो गयी है। गाड़ियां सांय-सांय निकल रही थी। सड़कों को देखता और गड्ढ़ों को याद कर रहा था कि अरे यहां तो पहले ऐसा नहीं था। आगे बढ़ा तो वो पूल भी दुरूस्त दिखी जो सालों से डराती थी। मजा आ रहा था। वाह लोग अब कितने खुश होंगे। महुआ से मुजफ्फरपुर तो अब 25-30 मिनट में लोग पहुंच जाते होंगे। थोड़ा आगे बढ़ा तो एक बोर्ड देखा कृप्या डायवर्जन का प्रयोग करे...दरअसल यहां एक पेड़ गिर गयी थी। और सड़क पर कटाव भी किया गया था। महीनों बीत चुके है जो वैकल्पिक मार्ग बनाई गई वो भी अब खतरनाक हो चली है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। घर से लौटते वक्त भी सोचता रहा हि कि क्या कुछ बेहतर हुआ है। अखबारों में देखा तो एक जगह ख़बर देखी...अनाज नहीं मिलने से लोग नाराज है। लोगों ने साफ-साफ कह दिया है कि अगर उन्हे छठ में अनाज नहीं मिला तो वे अपना लाल कार्ड जला देंगे। क्या फायदा इस लाल कार्ड का जब कुछ मिल ही ना। एक और ख़बर देखी। भागलपुर की कई सड़कों का कोई मां-बाप नहीं है। ये शीर्षक थी। ख़बर में बताया गया कि 25 साल से ये सड़क नहीं बनी है। ये किसके जिम्मे है ना तो PWD,भवन निर्माण विभाग,नगर निगम किसी को पता नहीं। मुजफ्फरपुर की लीची दुनिया भर में प्रसिद्ध है। और हाल के दिनों में जॉर्ज फर्नांडीज यहीं से सांसद हुआ करते थे। शायद अपने अंतिम चुनाव में उन्हे यहां हार का सामना करना पड़ा। 1977 में यहां के लोगों ने इस अनजान शख्स को जीताकर संसद भेजा था। मिनी मुंबई भी इसी बुलाते है। लेकिन आज भी शहर विकास के मामलों में काफी पिछे है। पटना से मुजफ्फरपुर अगर आप बस से जा रहे है तो कई बार आह-उह निकल आते है। ओवरटेकिंग और क्रॉसिंग के वक्त पता नहीं होता कि अगले पल क्या होगा। ठिक वैसे ही कि बिहार का भविष्य क्या होगा।

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