Wednesday, May 12, 2010

धोनी या टीम की हार

सो टीम इंडिया हार गई है। टी-२० विश्व कप के अंतिम चार में भी पहुंचना संभव नहीं हो पाया। सुपर एट के तीनं मुकाबले में बुरी तरह पिट गई माही की सेना। माही आईपीएल फाइनल जीतने के बाद शायद थोड़ा दंभी हो चले थे।इसका खामियाजा भारत को उठाना पड़ा। वैसे महिला टीम ने कमाल कर दिया है।महिला टीम विश्व कप टी-२० के सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है। तो विश्वनाथ आनंद एक बार फिर शतरंज के बादशाह साबित हुए।टोपालोव को आखिरी बाजी में बेहतरीन तरीके से हराकर उन्होने विश्व चैंपियन का खिताब बरकरार रखा है। कमाल के खिलाड़ी है आनंद। अंतिम बाजी काले मोहरो से और टोपालोव सफेद से। ग्यारह बाजी तक दोनों बराबर थे। आनंद चाहते तो ड्रा के लिए जा सकते थे और फिर रैपिड राउंड में टोपालोव को धो सकते थे। लेकिन आनंद ने यही जीत के लिए जाना बेहतर समझा क्योंकि टोपालोव जीत के साथ टूर्नामेंट खत्म करना चाहते थे वो रैपिड राउंड में आनंद से खेलने को लेकर मुश्किलों में थे। वेल डन आनंद,वेल डन महिला टीम। और हां हॉकी टीम भी आजकल अजलान शाह ट्राफी में कमाल कर रही है। विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को धो दिया है तो पाकिस्तान को भी हरा दिया है। लेकिन हम भारतीयों को ये सब चीजें कहां अच्छी लगती है। हम तो टीम इंडिया क्रिकेट टीम को ही मानते है। वो जीते तो मजा आ जाए। हॉकी हारे या जीते क्या फर्क पड़ता है। आनंद विश्व चैंपियन बने या हारे क्या फर्क पड़ता है। महिला क्रिकेट टीम विश्व कप जीत भी ले तो क्या फर्क पड़ता है। इन्ही चीजों ने धोनी को दंभी बना दिया तो क्या गलत किया। अफगानिस्तान और साउथ अफ्रीका को हराकर जब आगे बढ़े तो लगा कि सेमीफाइनल में तो पहुंच ही गए। लेकिन ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के खिलाफ टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला क्यों हुआ पता ही नहीं चला। तेज पिच पर मुकाबला था। पहले अपने तेज गेंदबाजों को मौका देना था और फिर आठ बल्लेबाजों के सहारे बाजी मार लेते। आइडिया तो सही था लेकिन क्या उसके लायक टीम बनाई गई थी, वैसी रणनीति थी...तेज गेंदबाजों की मददगार पिच पहला ओवर हरभजन सिंह लेकर आ रहे है.....है ना कमाल....हरभजन बेहतरीन गेंदबाज है इसमे तो किसी को शक नहीं....लेकिन पहले तेज गेंदबाज क्यों नहीं....भारत के नंबर एक गेंदबाज को छठे ओवर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गेंदबाजी के लिए बुलाया जाता है.....कितने काबिल कप्तान है हमारे महेन्द्र सिंह धोनी....कहते है वो जो छुते है सोना हो जाता है.....अब वक्त गया....अब सोना तो क्या....? खैर हरभजन से पहले ही गेंदबाजी करा ली...चलिए...आगे क्या हुआ...हरभजन को ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज ने आराम से खेल दिया....क्योंकि विकेट लेने के लिए नहीं पावरप्ले में रन रोकने वाली गेंदबाजी कर रहे थे.....रन तो कुछ देर के लिए रूक गया लेकिन विकेट नहीं मिला....और फिर ना तेज गेंदबाज चले औऱ ना ही रविन्द्र जडेजा जिन्हे पता नहीं इतना महत्व क्यों दिया जाता है.....जडेजा एक ओवर में तीन छक्के खा चुके थे लेकिन धोनी की महानता देखिए फिर जडेजा से एक ओवर...कितना साहसी कप्तान है हमारा....कमाल के शांत रहते है वो मैदान पर....आखिरी सुपर एट मैच में भी वो शांत ही रहे थे....दस ओवर में ९० रन और २० ओवर में १७० भी नहीं...कमाल की बैटिंग की...अंत तक नाबाद रहे...जुझते रहे....वाह.....मैच के बाद कहते है कि मैं इन सबसे चीजों से ज्यादा परेशान या दुखी नहीं हूं..........................क्या बात है माही साहब.........आप तो वाकई काफी शांत स्वभाव के है....बड़ा मैच, टॉस जीतो और बैट करो....इतनी मजबूत बैटिंग लाईन अप है १८०से २०० तक बना डालो....और फिर आगे पार्ट टाइमर की गेंद ही अचानक खतरनाक दिखने लगेगी जब विरोधी टीमों पर रिक्वार्यड रन रेट का दबाव बढ़ेगा....लेकिन नहीं डर था कि कही शार्ट गेंदों से पहले ही हाफ में मैच ना ख्तम हो जाए...थोड़ा सस्पेंस बना कर रखो....लोगों को थोड़ा और इंतज़ार कराओ....वो गम ही क्या जिसके लिए इंतज़ार ना किया.....वाह माही वाह.....मुंबई के खिलाफ क्यों टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की थी....डर था ना कि मुंबई पहले बल्लेबाजी करते हुए १८० से ज्यादा रन बना गई तो फिर तो कप दूर ही रह जाएगा...तो भारत के लिए खेलते वक्त ये सोच क्यों नहीं आई भाई......सारी सोच और सारी उर्जा आईपीएल में भी लगा डाली....हार के बाद शर्मनाक बयान ना देते, माफी मांग लेते तो क्रिकेट के दीवाने दिल को थोड़ी सी राहत तो मिलती...रात के दो बजे तक जगकर जो मैच देख रहे थे जरा उनका भी तो ख्याल कर लेते.....माफ करिएगा धोनी अभी बहुत कुछ सीखना है आपको....आपकी टीम को.....ये हमारी बेहतरीन टीम नहीं है।

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