Monday, August 22, 2011

अन्ना

अन्ना तिहाड़ जेल से बाहर आ चुके हैं और रामलीला मैदान में अन्ना लीला शुरू हो चुकी है..सवाल वहीं का वहीं आगे अब क्या होगा? क्या जनलोकपाल बिल आएगा? अगर ऐसे हालात में भी सरकार ये बिल नहीं लाती है या नहीं ला पाती है तो इसका खामियाजा उसे आगे भुगतना पड़ेगा। क्या है आगे?सबसे पहले बात मीडिया के रोल की...कांग्रेस के साथ-साथ कई लोगों का मानना है कि मीडिया ये जनआंदोलन चला रहा है। वैसे टीम अन्ना की भी तैयारी पूरी है...ये तो कहना ही होगा....एसएमएस, जेल जाने से पहले अन्ना का संदेश यू-ट्यूब पर या फिर जेल से ही किरण बेदी की बातचीत को अपलोड कर देना....कई लोग कहते है कि कम संसाधन में ये बड़ा आंदोलन चल रहा है। चलिए मीडिया की भूमिका पर आते हैं...१५ अगस्त की शाम से जब अन्ना गांधी की समाधि पर मौन बैठे थे तब से लेकर उनके तिहाड़ जेल और रामलीला मैदान तक पहुंचने की एक-एक घटना सीधे लाइव थी....हर एक चैनल पर...रीजनल चैनल भी पीछे नहीं थे। सब ने अपनी ताकत झोंक रखी थी। लेकिन इंग्लिश मीडिया इसे कुछ अलग ही दिखा रहा है। कल करण थापर के शो में आशुतोष को भी जबाव देते नहीं बन रहा था। टाइम्स नाऊ ने बताया था कि तिहाड़ के बाहर लाखों लोग उमड़ आए थे...इसको लेकर करण सवाल कर रहे थे। आईबीएन न्यूज पर ही ये सवाल पूछा जा रहा था कि क्या अन्ना ब्लैकमेल कर रहे है...साथ ही ये भी कि ये जनता का समर्थन है या कि हिस्ट्रिया.....करण थापड़ हिन्दी मीडिया को जरा भी बख्शने के मूड में नहीं थे। एनडीटीवी इंग्लिश पर पहले ही मीडिया के रोल की व्याख्या की जा चुकी है....लेकिन हिन्दी न्यूज चैनलों ने इसे अन्ना बनाम कांग्रेस या यूपीए की लड़ाई बना दिया। अन्ना के विरोध में जिसने भी बात कही वो विलेन बन गया है। अन्ना के तरीके पर जिसने सवाल उठाए...उसकी जमकर खिंचाई हुई। मनीष तिवारी पिछले कुछ दिनों से शायद कहीं दिख नहीं रहे हैं....कपिल सिब्बल को काले झंडे दिखाने शुरू हो चुके हैं....या तो आप अन्ना के साथ है यानी देश के साथ या फिर आप भ्रष्ट है और देश के साथ नहीं है। कुल मिलाकर मामला ऐसा बना कि कांग्रेस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ना चाहती...बाकी सारे लड़ना चाहते हैं...दूसरे सारे दल भी....बीजेपी से लेकर टीडीपी तक....कई राज्यों में एनडीए की भी सरकार है और वहां भी भ्रष्टाचार है लेकिन लड़ाई सीधे-सीधे अन्ना बनाम कांग्रेस का हो गया है...कांग्रेस के कमजोर थिंकटैक की मेहरबानी भी कम नहीं है इसमें। अन्ना पर निजी हमले कर उसके प्रवक्ताओं ने गलत ही किया....एक बात औऱ हिन्दी मीडिया और इंग्लिश मीडिया में जो अंतर है...मुझे कुछ ऐसा लगता है कि इंग्लिश मीडिया गांव से आए व्यक्ति जो फर्राटेदार अंग्रेजी नहीं बोल पाता...सूट-बुट में नहीं होता....उसको कम फुटेज देना चाहते हैं....लेकिन हिन्दी मीडिया को लगता है कि ये सामान्य सा बंदा लोगों के बीच आसानी से घुलमिल जाएगा...लोग उसकी बात सुनेंगे और अगर अलग-अलग एंगल से स्टोरी बनाई तो टीआरपी भी उछाल मारेगी.....खैर अब तो अनशन शुरू हो चुका है...इतना तो पहले से ही तय था कि अन्ना का हाल रामदेव जैसा नहीं होगा...वो और ज्यादा खतरनाक होता....देश भर में सड़कों पर लोग उतर आए....ये बात भी सहीं है कि इनमें से किसी को जबरदस्ती सड़कों पर नहीं बुलाया गया...लोग खुद ब खुद आए...भ्रष्टाचार से आजिज आ चुके लोगों के पास कोई रास्ता भी नहीं था...अब जब अन्ना ने राह दिखाई तो सब एक साथ हो लिए......लेकिन आगे क्या होगा अब भी साफ नहीं है। अनशन कितने दिनों तक चलेगा....१५ दिन बाद भी टीम अन्ना समय मांगेगी...अब अन्ना ने ३० अगस्त तक का अल्टीमेटम दे दिया है...नहीं तो जेल भरने की तैयारी होगी.....कभी कभार में जिद्द लगती है....लेकिन ये जिद्द अच्छा है.....कांग्रेस ने ये नई सिरदर्द खुद ही मोल ली है...सिविल सोसायटी बनाकर.....आगे कहीं किसी दूसरे मामले में इस तरह से इसका चलन शुरू हो जाए तो पता नहीं सरकारें कैसे व्यवहार करेगी। अच्छी बात ये है कि चुनाव अभी काफी दूर है...तब तक डैमेज कंट्रोल किया जा सकता है......लेकिन जरा सोचिए अगर दो चार महीने में चुनाव होने वाले होते तो ये सरकार तो गई ही थी समझो......क्या अन्ना की तुलना गांधी और जेपी से हो सकती है.....तुलना हमेशा ही खतरनाक होता है...अलग-अलग पीढ़ी, अलग-अलग माहौल, अलग-अलग समय जैसी कई सारें दूसरे फैक्टर इसको प्रभावित करते हैं.....लेकिन इतना तो तय है कि गांधी,जेपी के बाद देश ने ऐसा आंदोलन नहीं देखा था........पहले कभी सुना था इंदिरा इज इंडिया एंड इंडिया इज इंदिरा....कल रामलीला मैदान से आपने सुना है ना......अन्ना इज इंडिया एंड इंडिया इज अन्ना....किरण नारे लगवा रही थी....करण थापड़ के इस सवाल पर भी आशुतोष नाराज हो गए थे। खैर बड़ा सवाल ये है कि क्या अब तक झुकती चली आ रही सरकार और झुकेगी.....टीम अन्ना के रूख से साफ है कि वो ज्यादा झुकेंगे नहीं....क्या होगा अनशन के बाद.....वैसे ये अलग बात है कि कई लोग ये सवाल उठाते रहे हैं कि जनलोकपाल आने के बाद भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा इसकी गारंटी कौन लेगा? वैसे अन्ना ६५ फीसदी तक भ्रष्टाचार खत्म होने की गारंटी देते हैं....क्या होगा आगे इसका जबाव किसी के पास नहीं है....देखते रहिए अन्ना को, सरकार को और मीडिया को।

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