Wednesday, March 31, 2010
अमिताभ,मोदी, कांग्रेस साथ में अमर
इन तीनों को क्या हो गया है? किसी को नहीं समझ आ रहा। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी इन दिनों जबरदस्त फॉर्म में है। अक्सर वो कांग्रेस का बेहतरीन बचाव करते है। लेकिन आजकल मोर्चा संभाल रखा है। कभी मोदी पर तो कभी अमिताभ पर। वो पहले कहते है अमिताभ अपना रूख साफ करें कि २००२ दंगों पर उनकी क्या प्रतिक्रिया है। अरे भाई इसमें बच्चन साहब की प्रतिक्रया का क्या लेना देना। दुनिया को पता है। सब जानते है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भूतनाथ से डर लगता है तो जूनियर बी से दिल्ली की मुख्यमंत्री घबड़ा सी जाती है। पोस्टर हटा दिए जाते है। उसके जिसका राजनीति से कुछ भी लेना देना नहीं। अर्थ आवर डे का कार्यक्रम। बीजेपी अमिताभ के करीब होने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहती। अरे भाई आपको क्या लगा है कॉमनवेल्थ का कौन ब्रांड अंबेसडर बने। क्यों बिग बी का नाम घसीट दिया। अब कलमाडी फरमाते है कि नहीं कोई युवा ही ब्रांड अंबेसडर बन सकता है। कलमाडी साहब आपको तो कम से कम ऐसा नहीं कहना चाहिए था। अपनी उम्र का भी तो ज़रा ख्याल करते। खैर इन सबके बीच अमिताभ कविता पाठ कर रहे है। बाबूजी को वो पंक्तियां ना जाने कब से मेरे मन में बैठ चुकी है। पहली दफा अखबार में पढ़ा था किसी बात पर अमिताभ मीडिया को जवाब दे रहे थे। मन को हो तो अच्छा और ना हो तो बहुत अच्छा। कमाल की सोच है। दिलासा देती है, उम्मीद जगाती है। तब से आज तक जब भी कुछ निराशा हावी होती है इसी मंत्र को अपना रहा हूं। अमिताभ के लिए ये और ज्यादा जरूरी है। अक्सर मीडिया के चलते उन्हे विवादों में आना पड़ता है। उनका तर्क भी सही है कि मैं मोदी को प्रोमोट नहीं कर रहा, सिर्फ गुजरात को प्रोमोट कर रहा हूं और गुजरात मोदी का नहीं है। गुजरात भारत का एक राज्य है। माफ कीजिएगा ये जानकारी देने के लिए। खैर इधर अमर सिंह कभी भाभी से मजाक करते है और बड़े भईया के आते ही सीरियस हो जाते है। किसी ने कहा कि ये पूरा ड्रामा है जो अमर सिंह बेहतरीन जानते है। कभी कांग्रेस में थे, समाजवादी हुए लेकिन डिंपल की हार के बाद समाजवादियों को तगड़ा झटका लगा और अब अमर रोड पर है। लोकसभा चुनाव जीत नहीं सकते लेकिन दावा है कि जयाप्रदा को तो जीता ही सकते है। राजनीति में बॉलीवुड का तड़का लगाने के लिए आपको अमर का आभारी होना चाहिए। नहीं तो वहीं घिसी पिटी खबरें हम और आप देख रहे होते। मुलायम का अमर प्रेम या अमर दोस्ती खत्म या फिर जया आज़म अमर कहानी। कहां मिलता ऐसा है। खैर इधर मोदी की सफाई भी है। जो सवाल करना है मुझसे करो। आखिर सवालों के जवाब देने में उनका कोई सानी भी तो नहीं। आठ साल तक बचे लेकिन जब पकड़ में आए तो साढ़े नौ घंटे तक पूछताछ चली। मैराथन पूछताछ। पहले मुख्यमंत्री जो एसआईटी के सामने पेश हुए...पहले मुख्यमंत्री जिनसे इतने देर तक पूछताछ चली। वहीं एक अंजू गुप्ता भी है। छह दिसंबर १९९२ बाबरी विध्वंस की अहम गवाह। जो कहती है किस तरह मिठाई बांटी गई थी मस्जिद के गिरने के साथ ही। अब मोदी फरमाते है कि उन्होने दंगों पर खेद जताया था। कैमरों के सामने नहीं ब्लॉग पर लिखते है मोदी साहब। मैं और मेरे जैसे लाखों लोग ब्लॉग पर वो लिखते है जिसे हम सार्वजनिक स्थान पर नहीं कह पाते या बचते है। ये अपनी निजी राय होती। मोदी जैसे लोगों के तो ब्लॉग भी कोई और ही लिखते होंगे। जब खेद है तो माफी क्यों नहीं मांग लेते मोदी जी। इन सारे ही मुद्दों से किसी को कुछ नहीं लेना। आम लोगों को इससे कोई भला नहीं होता कि अमर कब भाभी से नाराज हो जाते है औऱ फिर डीनर पर बिग बी के साथ सामान्य। क्या होता है इससे आम लोगों का। कोई भी तो भला नहीं। फिर ये हंगामा या ड्रामा क्यों होता है। सानिया की शादी पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से हो रही है। चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज चल रही है। जियो टीवी के हवाले से खबर। ये हमारे देश के चैनलों की बड़ी कमजोरी नहीं तो और क्या है कि सानिया की खबर के लिए पाक मीडिया से सहारा मिला। घंटों तक ये चलता रहा कि अफवाह है या सच। कल मीडिया के सामने आई सानिया ने सब कुछ बता दिया। वो भारत के लिए खेलेंगी, भारत को सपोर्ट भी करेंगी। लेकिन अगर शोएब सचिन को गेंद फेंक रहे होंगे तब क्या। खैर ये उनका मामला है। बड़ा हंगामा बरपा है। भारत-पाक संबंधों पर इसका क्या असर पड़ेगा वगैरह-वगैरह। अरे भाई जब ६३ साल से किसी कदम का कोई असर नहीं हुआ तो इसका क्या होगा भला? वहीं होगा जो मंजूरे खुदा होगा। यहीं तो वो कुछ ख़बरें जो इस पूरे सप्ताह छाईं रही परछाई की तरह। हां मनीष ने मोदी की तुलना दाऊद से कर दी है। वो कह रहे है कि मोदी एसआईटी के सामने पेश हो कर बड़ा ऐहसान किया है। बीजेपी का ये कहना है। इसी पर मनीष को गुस्सा आ गया। वो पूछते है कि अगर दाऊद कल को पुलिस के सामने पेश हो जाए तो क्या बीजेपी ये मानेगी कि दाऊद ने बड़ा ऐहसान किया है। नहीं ना तो फिर क्या। खेलों में आईपीएल हिट चल रहा है। शाहरुख-प्रीटी को भले ही दिन में तारे दिख रहे हो लेकिन मुंबई इंडियंस की तो बल्ले-बल्ले है। सेमीफाइनल में करीब करीब पहुंच चुके है। इधर शेन वॉर्न ने फरमाया है कि उन्हे सचिन से डर नहीं लगता है और सपनों में आने वाली बात तो मजाक में कही थी। वॉर्न शायद ये सोच रहे हो कि इससे सचिन पर असर पड़ेगा और उनकी फॉर्म चली जाएगी और भईया ऐसा भी हुआ है क्या....खेल के बाद कुछ और भ्रष्ट्र नेताओं की बात कर लें। मधु कोड़ा। उज्जवल चौधरी उनकी मुश्किल बढ़ाते रहेंगे। झारखंड हाईकोर्ट का ये फैसला है। तैयार रहिएगा कोड़ा साहब। इधर जयपुर से नशा चढ़ाने वाली खबर है। एफसीआई गोदाम की। यहां गोदाम में शराब को रखा गया है और अनाज को सड़क पर। इन्हे शर्म भी नहीं आती। अगले सप्ताह फिर सप्ताह की बड़ी और बेकार खबरों के साथ होंगे हाजिर। तब तक के लिए दीजिए इजाजत।
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