Thursday, April 1, 2010

सबको शिक्षा अब कोई अर्जुन नहीं बचेगा

कांग्रेस का हाथ आम लोगों के साथ। एक बार फिर ये साबित हुआ। बीजेपी और विरोधी दल भले ही इस पर ऐतराज जताया। लेकिन आज ये अप्रैल फूल जैसा ही लगेगा। छह साल से १४ साल के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अब उनका मौलिक अधिकार बन गया है। नए कानून के तहत राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों के लिए अब यह सुनिश्चित करना बाध्यकारी होगा कि हर बच्चा नजदीकी स्कूल में शिक्षा हासिल करे। यह कानून सीधे-सीधे करीब उन एक करोड़ बच्चों के लिए फायदेमंद होगा जो इस समय स्कूल नहीं जा रहे हैं। सूचना के अधिकार कानून और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के बाद शिक्षा का अधिकार यूपीए सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। आंकड़ों के मुताबिक इस समय छह से 14 साल आयु वर्ग के संबंधित वर्गों में करीब 22 करोड़ बच्चें हैं। हालांकि इनमें से 4-6 फीसदी स्कूलों से बाहर हैं। यही नहीं प्राइवेट स्कूलों में भी इन बच्चों के लिए सीटें रिजर्व करनी पड़ेगी। आज से ही एक और खुशखबरी है। अब बैंकों से आपके पैसे का पूरा पूरा ब्याज देने को कहा गया। मंदी और महंगाई के इस दौर में ये बड़ी खबर है। अब कुछ ज्यादा पैसे आपके पास आ सकेंगे। इधर बुरी खबर खबर भी है कि पेट्रोल और डीजल आज से कुछ और महंगा हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि पैसे की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। बच्चों की शिक्षा पर। यानि अब सब पढ़ेगा, सब स्कूल जाएगा। बधाई हो कपिल सिब्बल को। अर्जुन सिंह से टेकओवर लेने के बाद उन्होने कई बेहतरीन काम किए है और कई अभी उनकी सूची में है। चलिए कुछ बेहतर हो रहा है। अमर-अमिताभ-मोदी,कांग्रेस और एनसीपी की ख़बरों के बीच ये कुछ ऐसी ख़बरें है जो कुछ घंटे तो लीड में बनी रहेंगी। आगे-आगे देखिए होता है क्या। लेकिन साफ है अप्रैल फूल के दिन सरकार ने इसको लाकर लोगों को फूल नहीं बनाया है और उन बच्चों को वो दिया है जिसके वो हकदार है। याद आता है मुझे अर्जुन नाम का लड़का। जो पढ़ाई में किसी उच्च वर्ग (जिनके बच्चे प्राइवेट स्कूलों औऱ महंगे खर्च को वहन कर सकते है) के बच्चे को टक्कर देता था। कभी कभार वो मेरे पास आ जाता तो गणित के कोई सवाल पूछ लिया करता था। छठी क्लास में आठवीं का मैथ चुटकी में हल कर लेता और आठवीं में दसवीं का। लेकिन परिवार की माली हालत खराब होने के चलते शायद वो दसवीं किसी तरह का पास कर पाया होगा. पता नहीं अब कहां और कैसे होगा? काश उस अर्जुन को मदद मिल गई होती तो हमे इस कानून पर जरा भी ऐतराज नहीं होता। आखिर ६३ साल लग गए। ६३ साल में कई बच्चों को वो नहीं मिला जो उसे मिलना चाहिए। यकीन करें कि ये मौलिक कानून सबको बराबरी का हक दिलाएगा और फिर कोई अर्जुन पैसों की कमी के चलते अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने का फैसला नहीं कर पाएगा।

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