Saturday, October 9, 2010

बिहार का कॉमनवेल्थ

दिल्ली से दूर बिहार में भी कॉमनवेल्थ शुरू हो चुके है। छह राउंड में मैच खेला जाना है। चार चरणों की अधिसूचना जारी हो चुकी है। सीटों के बंटवारे से लेकर टिकट बंटवारे और फिर नामाकंन और प्रचार को दौर आ चुका है। हंगामा-बवाल,नाराजगी,पाला बदल का खेल,इस्तीफा सब कुछ चल रहा है। चुनाव से ठीक पहले तो इधर-उधर जाने का सिलसिला शुरू हो गया था अब टिकट बंटवारे से नाराजगी हर तरफ दिख रही है। कांग्रेस के आधा दर्जन से ज्यादा कार्यालय आग के हवाले किए जा चुके है। पटना से लेकर दिल्ली तक हंगामा बरपा है। दूसरी पार्टियों की हालत भी बेहतर नहीं है। जेडीयू और आरजेडी के कार्यकर्ता तो कुछ अलग तरह से ही प्रदर्शन और विरोध कर रहे है। बदन पर कपड़े ही नहीं दिखते ऐसे प्रदर्शन में। ऐसे विजुअल की ब्लर करने की हालत हो जाए। ये भी विरोध का तरीका है। अब वक्त इसका हिसाब करने का नहीं है कौन इधर गया और कौन उधर? अब सवाल ये है कि इसका फायदा किसको होगा। नरेन्द्र मोदी बिहार नहीं जा रहे है। अगर अब तक स्थिति पर यकीन करे तो ऐसा ही होना है। जेडीयू और नीतीश की ये एक बड़ी जीत है। वो ऐसा ही चाहते थे ताकि मुस्लिम वोट उनके हिस्से में भी आए। आखिर २४३ में से १०० से ज्यादा सीटों पर मुस्लिम वोटर हार-जीत जो तय करते है। कांग्रेस का क्या होगा? राहुल का यूपी जैसा जादू तो चलना मुश्किल है लेकिन क्या कांग्रेस की ऐसी हालत हो गयी है कि वो खुद ना सही तो दूसरों की जीत को हार में बदल सके। संभव है कुछ सीटों पर ऐसा हो। अब बड़ा सवाल ये कि वो आरजेडी को ज्यादा डैमेज पहुंचाती है या फिर जेडीयू को। कांग्रेस में चुनाव से पहले करीब-करीब ओपन इंट्री थी. जिस पार्टी के नेता बागी हुए यहां उनका जोरदार स्वागत हो रहा था। लेकिन कांग्रेस ने अंतिम समय में कईयों को ज्यादा भाव नहीं दिया है। बागियों की राय को ज्यादा अहमियत नहीं दी है ऐसा लगता है। लालू के दूसरे साले सुभाष को तो वेटिंग लिस्ट में रखा गया है। वहीं हालत नीतीश के सबसे बड़े विरोधी ललन सिंह का है। ये लोग कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे। अखिलेश सिंह भी आ गए है। लालू मनाते रह गए लेकिन अखिलेश नहीं माने। खैर चुनाव से पहले तो झटका सबको ही लगा है लेकिन चुनाव के बाद झटका किसको लगेगा...ये देखना दिलचस्प होगा। वैसे ये साइन ऑफ नहीं है। लालू ने अपने बेटे को लॉन्च कर दिया है। युवा वोटरों का ख्याल लालू को हो आया है। लालू अब बार-बार ये कह रहे कि अबकी सरकार बनी तो विकास का काम तेजी से बढ़ाया जाएगा। जैसी हालत भारतीय रेल की उन्होने की उसी तरह बिहार की किस्मत भी पटरी पर ले आएंगे...इधर लालू-नीतीश कुछ दिन पहले तक कवि हो गए थे। दोनों रोज पटना में कविता पाठ करते औऱ हम चैनल वाले उनकी बेतुका कविताओं को दर्शकों को सुनाते-दिखाते। खैर लालू ने ही मना कर दिया कविता पाठ करने से। वैसे नीतीश अभी भी तैयार है कविता पाठ को लेकर।इधर नीतीश की साइकिल योजना जो काफी हद तक सफल रही है...उस पर जमकर बयानबाजी हो रही है। लालू कहते है कि वो जीत गए तो सबको मोटरसाइकिल दी जाएगी। इस पर नीतीश चुटकी लेते है। जब लोग लालू से तेल मांगेगे तो लालू उन्हे मोटरसाइकिल ही बेच देने को कहेंगे। इसके बाद दूसरे दिन नीतीश की चुटकी थी...साइकिल के लिए कोई लाइसेंस की जरुरत नहीं होती लेकिन मोटरसाइकिल तो लालू दे देंगे लेकिन नाबालिग छात्र तो लाइसेंस नहीं होने के कारण थाने पहुंच जाएंगे। खैर अभी ये आरोप-प्रत्यारोप का राउंड शुरू हुआ। इसमें कई वार किए जाने है। नीतीश जहां जनादेश यात्रा पर निकल चुके है और लोगों से पांच साल वक्त और मांग रहे है तो वहीं लालू जनता से कह रह है....अब और कितने दिन तक सत्ता से दूर रखेंगे। दिल्ली तो अब दूर हो गई है....पाटलिपुत्र तो कम से दे दीजिए।..

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