Monday, December 20, 2010

भारत रत्न सचिन तेंदुलकर

एक और शानदार शतक , एक और रिकॉर्ड और एक और खुशी का लम्हा, करोड़ों भारतीयों के चेहरे पर मुस्कान। सेंचुरियन में मास्टर ब्लास्टर की पारी इन्ही सब से भरी थी। भारत हार के कगार पर है। टेस्ट बचाना मुश्किल दिख रहा है। सचिन के पचासवें शतक के बाद सब ये भूल गए कि मैच का परिणाम क्या होगा। हार के कगार पर है टीम इंडिया लेकिन एक पल के लिए करोड़ों चेहरे पर मुस्कान छा गई। ऐसा ना कभी हुआ था और शायद कभी नहीं हो पाएगा। एक, दो, तीन, दस, बीस नहीं पचास शतक। कोई खेल नहीं पचास शतक जमाना। २१ साल से क्रिकेट खेलते रहना खेल नहीं । जब भी मैदान पर उतरना, करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों की बोझ संभालना आसान नहीं है। हम-आप दो चार लोगों की उम्मीदों का बोझ ही बेहतर से नहीं संभाल पाते..वो तो करोड़ों और अऱबों लोगों की उम्मीदों पर हमेशा खड़ा उतरता है। भारत में क्रिकेट अगर धर्म है तो सचिन तेंदुलकर भगवान है। सालों से ये बात कही जा रही है और क्रिकेट को भारत में धर्म बनाने में इस बल्लेबाज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। टेस्ट औऱ वनडे में ९६ शतक हो चुके है। शतकों के शतक से महज चार शतक दूर। शायद ही कोई इसे तोड़ पाए। हम सब भाग्यशाली है कि उस जमाने में हम पैदा हुए जिस वक्त सचिन तेंदुलकर जैसा बल्लेबाज क्रिकेट खेल रहा है। कोई कहता है कि हम भाग्यशाली है कि उस देश में पैदा हुए जहां सचिन तेंदुलकर ने जन्म लिया। रिकार्ड की बात क्या की जाए...सब को मालूम है मास्टर का रिकार्ड। जितने शानदार क्रिकेटर उससे ज्यादा बेहतर इंसान। कई महान खिलाड़ियों में ये समानता ढूढना मुश्किल है। टाइगर वुड्स की बात करेंगे या फिर माराडोना कि यहां फिर किसी की। करियर में आज तक कोई विवाद नहीं। आलोचक पता नहीं क्यों उनकी आलोचना करते रहते है। मानो आलोचना करना है तो कर दिया। वैसे ये खिलाड़ी तो आलोचनाओं से परे है। आप इसकी आलोचना नहीं कर सकते। आलोचकों से बस एक सवाल आपने अपने करियर कितने शतक जमाए हैं? पांच, दस,बीस,तीस.........फिर आप कैसे उसकी आलोचना कर सकते हो। वनडे और टेस्ट के करीब-करीब सारे रिकॉर्ड जिसके नाम हो...क्या कहा जाए उस खिलाड़ी के बारे में। एक शतक जैसे ही पूरा हुआ...लोग कुछ और उम्मीद बढ़ाना शुरू कर देते है। और पिछले २१ सालों में वो सब कुछ पूरा करता आया है...आगे भी जारी रहेगा। ९६ और २००३ में उसने करीब-करीब भारत को विश्व कप जीता ही दिया था लेकिन ९६ में साथी बल्लेबाजों ने साथ नहीं दिया तो २००३ में फाइनल में गेंदबाजों ने दिल खोलकर रन लुटा दिए। अब मिशन २०११ की तैयारी है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा है जो सचिन की तरह इतनी ज्यादा बार सुर्खियों में रहा। हमेशा अच्छी वजहों के चलते। शतक के चलते, रिकार्ड के चलते, भारत को जीत दिलाने के चलते। इसी साल का रेल बजट याद है। ममता दीदी ने दिन में रेल बजट प्रस्तुत किया और शाम होते होते दीदी खबरों की दुनिया से गायब हो गई। सचिन ही सचिन छा गए। वनडे मैचों में पहला दोहरा शतक जमाकर। कल भी कांग्रेस अधिवेशन में सोनिया का बीजेपी पर हमला शाम होते-होते पीछे छुट गया। मास्टर ही मास्टर छाए रहे। क्या कोई ऐसा होगा जिसने सचिन की सारी शतकीय पारी देखी हो ...टेस्ट और वनडे के सभी। सचिन की सारी पारियों की बात छोड़ दीजिए। डॉन ब्रैडमैन भी आज ऐसा नहीं खेल पाते। तेज विकेट पर सामने से जब कोई १५० किलोमीटर रफ्तार से गेंद फेंकता है तो अच्छे-अच्छे बल्लेबाज पिच पर ही पानी मांगने लगते है। तेज और स्पिन का इतना बेहतरीन खिलाड़ी कोई नहीं। इसी टेस्ट में देख लीजिए अगर राहुल, वीवीएस और रैना ने साथ निभाया होता तो टेस्ट ड्रा कराने में मास्टर सफल रहते। अब इंद्र देव का सहारा है। चमत्कार ही अब बचा सकता है। आलोचकों से आग्रह है कि मास्टर को खेलने दीजिए....आप उसके बारे में क्या सवाल उठा सकते है?...जो इतना शानदार है...एक गेंद को खेलने के लिए उसके पास तीन-तीन विकल्प होते है। अब शतकों के शतक का इंतज़ार कीजिए और विश्व कप में जीत के लिए दुआ कीजिए। एक बार फिर सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठने लगी है। दरअसल सचिन को भारत रत्न दिए जाने में बहुत देरी हो चुकी है। अब और ज्यादा देरी का कोई मतलब नहीं है। सो उसे जल्दी से भारत रत्न देकर अपनी गलती को जल्दी मान लीजिए। वैसे जब भी भारत के दस बेहतरीन रत्न की बात होगी सचिन तेंदुलकर हमेशा पहले स्थान के लिए करोड़ों भारतीयों की पहली पसंद होंगे।

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