Saturday, January 1, 2011

२०१०-२०११ बस ये पढ़ लो! फिर कुछ मत पढ़ना!

२०१० के जाने का गम या खुशी हो रहा होगा और २०११ का स्वागत करने का मन। साल जाने के बाद लोग ये बैठ कर सोचने की कोशिश करते है(शायद कुछ लोग) कि पिछले साल हमने क्या खोया, क्या पाया? और फिर कुछ लोग नए साल में अपनी उम्मीदों का सपना सजाते है। जानने की कोशिश करते है कैसा रहा ये साल....।
घोटालों का साल२०१० को हम सबसे ज्यादा याद रखेंगे तो शायद घोटालों के लिए ही। घोटालों की जद से कोई नहीं बच पाया। देश के सबसे ईमानदार शख्स में से एक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर इसकी आंच आ गयी। बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सहीं कहा कि २०१० सड़े हुए घोटालों का साल रहा। शायद उन्होने शब्द सड़ा हुआ ही इस्तेमाल किया था। कैसे-कैसे घोटाले ना देखें। देश की इज्जत पर भी बट्टा लगा दिया कलमाडी एंड कंपनी ने। कॉमनवेल्थ खेल होंगे या नहीं यहीं सोचकर कई लोग कई दिनों तक सो नहीं पाए होंगे। सीधे-सीधे देश की इज्जत का सवाल बन गया था। कैसी लूट-मार मचाई कलमाडियों ने इस खेल में....बच्चा-बच्चा जानता है। शोले के डॉयलाग गब्बर सिंह की तरह की अब तो कलमाडियों से डर लगता है। इतना ही कम नहीं था कि मराठियों ने शहीदों की विधवाओं के लिए बनाए जा रहे भवन में ही घोटाला कर दिया। खुद तो देश के लिए कुछ नहीं कर सकते, जिसने किया उसका भी हक मारने चले थे ये लोग। आदर्श घोटाला कर डाला। अब राजा से रंक की कहानी तो सबने सूनी ही होगी। ए राजा, पूर्व संचार मंत्री ने देश को १ लाख ७० हजार करोड़ से ज्यादा का चुना लगाया। इतनी भारी रकम देश के खजाने में ना आकर इधर-उधर कुछ लोगों के हाथों में चली गई। पीएम भी इस मामले में लपेटे में आ गए। सुप्रीम कोर्ट तक ने डांट पिलाई। राजा की बात हो तो राडिया को कैसे भूल सकते है। नीरा राडिया। नया साल इन सबके लिए आफत लेकर आया है। अगर सीबीआई सही दिशा में बिना किसी दबाव के काम करे तो।
महंगाई डायन मार तो नहीं डालेगीवो करोड़ों का घोटाला करते रहे आम लोग.....तो बस किसी तरह जी रहे है। क्या खाएं और क्या नहीं....यहीं सोचकर उनका हाल बुरा है। कृषि मंत्री भी हमारे कमाल के है। उन्हे भविष्यवाणी करने में खूब मजा आता है भले ही वो कहे कि ज्योतिष नहीं है। इसके दाम अगले तीन सप्ताह तक नहीं कम होंगे। वाह भाई। सब कुछ तो महंगा ही है शरद बाबू। नक्सल और आतंकवाददेश की कई समस्याओं में से ये समस्याएं भी परमानेंट बनी हुई है। अभी चिदंबरम महाराष्ट्र गए थे जहां एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कहा कि हवा में उड़ने से नक्सल समस्या पर काबू नहीं पाई जा सकती। अब इसे चिदंबरम कैसे लेंगे ये तो नए साल में ही पता चलेगा। फिलहाल नक्सली जैसा चाह रहे है वैसा कर रहे है। सीतामढ़ी में अभी उन्होने एक मेला लगाया और एक स्मारक भी बनाया है। शहीद नक्सलियों के सम्मान में। औरंगाबाद में नक्सली जनअदालत लगाकर सरेआम एलजेपी के पूर्व नेता की पिटाई करते है तो ये तस्वीर तालिबान सरीखी दिखती है। नक्सली जब चाहे हमले कर आम लोगों को मौत के घाट उतार देते है और साथ ही जब चाहे पांच-छह राज्यों में बंद का आह्वान कर डालते है। आतंकी घटनाओं में कमी आई है, इसमें शक नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है कि आतंकी सोए हुए है। वो हमले तो कर रहे हैं या फिर प्लानिंग भी लेकिन बड़ा नुकसान नहीं होना ये एक संतोष की बात है। लेकिन काफी कुछ किया जाना बाकी है।
महाशक्ति भारत इन सबके बीच अपना देश रोज प्रगति कर रहा है। विकास दर दुनिया के दूसरे देशों का माथा चकरा दे रही है। तभी तो यूएनएससी के सभी स्थायी सदस्यों के मुखिया पिछले साल भारत का दौर कर गए है। सबको भारत ने कुछ ना कुछ दिया ही है। ओबामा कितनी उम्मीदों से आए थे....उन्हे भी भारत ने निराश नहीं किया। चीन से भारत का रिश्ता पूरी तरह बेहतर होना तो मुश्किल दिखता है लेकिन हां उम्मीदों पर दुनिया टिकी है तो उम्मीद करते रहने में क्या हर्ज है। स्पेश, साइंस, अर्थव्यवस्था में देश तेजी से प्रगति कर रहा है। और फिर विकास दर उसका फायदा आम लोगों तक पहुंचे तो मजा आ जाएं।
अयोध्या पर महाफैसला और महाशांति१९९२ को देश ने बहुत पीछे छोड़ दिया है। जिन्हे इस पर शक था उन्हे अयोध्या पर आए फैसले के बाद जिस तरह देश ने व्यवहार किया इससे इसका जबाव मिल गया होगा। फैसले के बाद क्या होगा और क्या नहीं....फैसला आने के कुछ घंटे बाद सारी आशंकाएं खत्म हो गई। तमाम घोटालों और विवादों के बीच ये साल देश के इस तरह के व्यवहार के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
नीतीश की दूसरी पारी, लालू-रामविलास आउटनीतीश की दूसरी पारी भी इस साल की बड़ी घटनाओं में शामिल है। बिहार चुनाव में जिस तरह से वोटरों ने जात-पात की राजनीति को औकात दिखा दी और विकास के नाम पर वोट किया वो आने वाले चुनावों के लिए एक दिशा निर्धारित करने वाला बन गया। जिस शानदार जीत के साथ नीतीश ने कमबैक की इसकी उम्मीद खुद उन्हे भी नहीं थी। अब नीतीश एंड कंपनी पर वोटरों के भरोसे पर खड़ा उतरने की बड़ी चुनौती है।
वीकीलिक्स के सनसनीखेज खुलासेवीकीलिक्स के खुलासे के लिए भी ये साल याद किया जाएगा। संपादक असांजे ने कई दिक्कतों का सामना करने के बाद भी कई अहम खुलासे किए जिससे दुनिया के कई देश और कई सरकार भी मुश्किलों में आ गई। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी से संबंधित खुलासे ने भारत की राजनीति को हिला कर रख दिया। अमेरिका, चीन, पाकिस्तान से लेकर कई देशों के बारे में इसमें अहम खुलासा हुआ। ये सब वैसे वक्त हुआ जब भारत के कई बड़े पत्रकारों पर सवाल उठ रहे थे। नीरा-राडिया टेप लीक कांड में।
ममता की रेल रनिंग फ्रॉम कोलकाताइस साल देश को अपने ही रेल मंत्री से ज्यादा परेशानी हुई। वो दिल्ली से नहीं कोलकाता से रेल का सिग्नल तय कर रही है। वैसे उनकी रूचि रेल से ज्यादा पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों पर ज्यादा है। ममता को लगता है कि उनका पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनने का सपना इस बार पूरा होने वाला है। अभी नहीं तो कभी नहीं...सो दीदी रेल यात्रियों को भगवान भरोसे छोड़ आराम से सीएम बनने के बाद के दिन के बारे में सोचने में व्यस्त हैं।
मास्टर महान !हर मुश्किल घड़ी में आपके चेहरे पर मुस्कान लाने वाले इस महानतम बल्लेबाज ने इस साल कई मौके देशवासियों को दिए जश्न मनाने के। वनडे में पहला दोहरा शतक, टेस्ट मैचों में पचास शतक, रिकॉर्ड दर रिकॉर्ड। पॉन्टिंग की खराब फॉर्म मास्टर का शानदार फॉर्म ये भी क्रिकेट प्रेमियों को खुश करता रहा। मास्टर के साथ ही कई और खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। स्पेशल वीवीएस की बात तो स्पेशल ही है। धोनी टॉस जरूर हार रहे है लेकिन मैच भी जीत रहे है। युवराज का टेस्ट से बाहर जाना और फिर रैना का अभी तक इस फॉर्मेट में पूरी तरह सेट ना हो पाना भी कुछ सोचने के लिए छोड़ गया। खेलों ने जीता दिल क़ॉमनवेल्थ खेलों में कलमाडियों ने जितनी जगहंसाई करानी थी कर ली तो बस एक उम्मीद की किरण खिलाड़ी ही थे। कुछ नए चैंपियन आए तो कुछ देश के कोने-कोने की प्रतिभाओं के दर्शन हुए। एशियन गेम में भी भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया। झारखंड की दीपिका जैसी खिलाड़ी अचानक स्टार बनकर उभरी। टेनिस में भी लिएंडर पेस की जगह लेने वाला एक खिलाड़ी उभरता हुआ दिखाई दिया। सोमदेव देववर्मन। बैडमिंटन में सायना नेहवाल का कमाल तो जारी ही है। जल्दी ही वो दुनिया की नंबर वन खिलाड़ी बनने की राह पर है।
नया साल नयी चुनौतीएक साल यानि पूरे ३६५ दिन बीतने के बाद हमेशा आगे एक चुनौती होती है। कुछ गलतियों से सबक लेकर आगे ऐसी गलती ना करने की सीख। देश के सामने भी कई चुनौती है। भ्रष्टाचार पर सिर्फ हंगामा भर करने से कुछ नहीं होगा। ये हम भारतीयों की आदत में आजकल शुमार हो गया है। ऐसे में कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत है ताकि फिर कोई कलमाडी-कोई राजा देश के साथ धोखाधड़ी ना करें। विकास दर तो अच्छी बात है लेकिन इसके साथ ही आम लोगों तक इसका फायदा मिले तो बात बने। वक्त चलता रहता है हम सब वक्त के आगे लाचार है। वक्त कभी किसी के लिए नहीं थमता सो हमे वक्त के साथ कदम मिलाकर चलना होगा। देश को आगे बढ़ाने में कुछ योगदान देना होगा।

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