Monday, June 1, 2009

तेरह लाख बड़ी संख्या है....

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के निदेशक बोर्ड परीक्षा के नतीजे घोषित कर रहे थे। उन्होने बताया कि 56.67 फीसदी छात्र सफल रहे है। यूपी बोर्ड के शिक्षा निदेशक बड़े खुश होकर रिजल्ट घोषित कर रहे थे....लड़कियों ने लड़कों से बाजी मार ली...गर्व के साथ कह रहे थे वो...अच्छी बात है....उन्होने ये भी बताया कि एक बार फिर लड़कियों ने बाजी मारी है। संख्यातम आंकड़ों की भी बात उन्होने की लेकिन निदेशक महोदय ये नहीं बताना चाहते थे कि कितने बच्चे फेल हुए है। उनके भविष्य का क्या होगा। तेरह लाख बच्चे इस बार फेल हुए है। ये बड़ी संख्या है। अब सवाल ये है कि इतनी ज्यादा संख्या में छात्र आखिर फेल क्यों हुए। क्या वास्तव में उत्तरप्रदेश के छात्रों की पढ़ाई में रूचि नहीं है या फिर शिक्षकों ने अपनी ड्यूटी सही से नहीं निभाई। कहीं ऐसा तो नहीं है कि शिक्षा प्रणाली में ही दोष है...या फिर बच्चों के भविष्य के साथ राजनीति हो रही है। बीजेपी के राज में छात्रों का सफलता प्रतिशत 35 फीसदी के करीब पहुंच जाता है तो मुलायम सिंह के जमाने में आकंड़ा बढ़ जाता है अब माया राज में 56 फीसदी से कुछ ज्यादा ही सफल हो पाते है। सफलता के ऊपर नीचे जाते ये ग्राफ जहां एक ओर राज्य की शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़ा करते हैं वहीं... कहीं ना कहीं इस आशंका को भी जन्म देता है कि- क्या राज्य में सियासत शिक्षा पर हावी है ...या फिर इतने छात्रों को असफल घोषित कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा रहा है.....

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