Monday, June 1, 2009

अपहरण पार्ट टू.....एक ब्रेक के बाद

बिहार में अपराधी एक बार फिर बेलगाम होते जा रहे है। पिछले तीन दिनों में राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में अपराधियों ने पुलिस और प्रशासन के सामने गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। पटना में मासूम सत्यम का अपहरण और फिर हत्या के बाद लोग सड़कों पर उतर आए। इसके अलावा लूट और हत्या के कई मामले सामने आए है। सत्यम का अपहरण कर हत्या........बेतिया में जीतेन्द्र की हत्या.......पटना से जेडीयू नेता का अपहरण.........दरभंगा की श्वेता का शव बरामद
पटना से फिल्म प्रोड्यूसर का अपहरण.......पटना में व्यापारी की हत्या
और पटना में ही 'साफ्टवेयर कंपनी मालिक को लूटा' ...एक आस्ट्रेलियाई की भी संदेहास्पद स्थिति में मौत.....ये चौंकाने वाले आकंड़े पिछले चार दिनों के है। इसके बाद एक बार फिर ये डर सताने लगा है कि कहीं बिहार के अपराधी फिर से बेलगाम तो नहीं होने लगे है। शनिवार सुबह पहली बुरी ख़बर आई है। आठ साल के मासूम सत्यम की अपराधियों ने हत्या कर दी। इसके बाद लोगों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। शाम होते-होते लूट और हत्या के तीन मामले भी सामने आए। महेन्द्रू और मैनपुरा में दो व्यापारियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वहीं बोरिंग रोड में एक साफ्टवेयर कंपनी के मालिक को चाकू मारकर घायल कर दिया गया और 30 लाख रूपये लूट लिए गए। बेतिया से भी बुरी ख़बर आई। 24 तारीख को अगवा किए गए जितेन्द्र का शव पुलिस ने बरामद किया। पुलिस छह लोगों को गिरफ्तार कर इस मामले को सुलझाने में ही लगी थी कि शहर के दुर्गाबाग से एक और व्यक्ति मुन्ना मिस्त्री का अपहरण कर लिया गया। इसके बाद दरभंगा से शुक्रवार से लापता श्वेता का शव भागलपुर से बरामद किया गया। हालाकि अभी ये साफ नहीं है कि ये हत्या का मामला है या फिर आत्महत्या का। इन घटनाओं के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ये नहीं मानते की राज्य में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है। वैसे फिल्म प्रोड्यूसर ब्रज टॉक अपने आप को खुशनशीब समझ सकते है कि अपहरण होने के कुछ दिनों बाद वो अपहरणकर्ताओं के चंगुल से सकुशल लौट आए है। लेकिन ब्रज की तरह सब की किस्मत नहीं होती। कई परिवारों के चिराग बुझ चुके है....और कईयों के लिए जिंदा रहने के मायने भी खत्म हो चुके है....कहीं ये अपहरण पार्ट टू की शुरूआत तो नहीं....सुनकर ही डर लगने लगता है...आज एक आस्ट्रेलियाई की हत्या की ख़बर है पटना से....क्राइम कैप्टिल का रूप लेती जा रही है पटना....एक आशंका ये भी है कई दागी नेता बेरोजगार हो गए तो कहीं उन्होने तो ये पेशा शुरू नहीं कर दिया या फिर और कोई बात है....विपक्ष करारी हार के बौखला कर तो नहीं ये सब जानबूझकर करा रहा है...संभव है कि आने वाले दिनों में इस तरह का आरोप-प्रत्यारोप चल निकले....कुछ बेहतर हो रहा था..कितना अच्छा होता ऐसा ही चलता रहता था...लेकिन अफसोस.....

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