Friday, June 11, 2010

मुझे एंडरसन दे दो।

कौन है ये एंडरसन..वारेन एंडरसन...क्यूं चर्चा में है। अब एक सवाल बन गया है...एंडरसन को किसने भगाया? जबाव- तब के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने। क्यूं भगाया। ये तो अर्जुन ही जाने। सुनने में आया है कि तब अर्जुन को दिल्ली से किसी का फोन आया था। किसका फोन आया था..ये तो अर्जुन सिंह जानें...अर्जुन सिंह कुछ नहीं बोल रहे है। खामोश है, शांत । तबाही के बाद की शांति धारण कर ली है उन्होने या फिर तूफान के पहले की खामोशी....एक पत्रकार से उन्होने सिर्फ इतना कहा कि टीवी वाले कन्फयूज कर रहे है लोगों को। अब अर्जुन को कौन समझाए कि उनके कुछ ना बोलने से सारा कन्फ्यूजन पैदा हो गया है। ३ दिसंबर १९८४ की काली रात...याद कर ही दिल सिहर उठता है। २५ साल बीत चुके....कुछ को मुआवजा मिला, कुछ मुआवजे के इंतज़ार में चल बसे. मुआवजा मिला वो भी इलाज में खर्च हो गया। एंडरसन उस भयानक काली रात के बाद भारत आया था। गिरफ्तार भी हुआ था। फिर उसे सलामी भी दी गई थी। हमारे एसपी औऱ कलेक्टर ने उसके जाने की भी पूरी व्यवस्था कर दी थी। राज्य के मुख्य सचिव का उन्हे फोन आया था। बीस हजार लोगों की मौत के गुनहगार के साथ कैसे अच्छा व्यवहार किया जाए इसका पूरा ख्याल रखा गया था। दिल्ली से किसका फोन था...फिलहाल पता नहीं चल पा रहा है। जिस सचिव के फोन की बात हो रही है वो अब इस दुनिया में नहीं रहे। जिस विमान के पायलट ने एंडरसन को भोपाल से निकाला था वो कहते है कि फोन आया था। राज्य और केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। २६ साल बाद इंसाफ भी आया लेकिन उसे इंसाफ ना कहे तो ज्यादा बेहतर। लाखों लोग तबाह हुए थे और अब भी लाखों पर इसका प्रभाव है। हमारी सरकारें इस तरह क्यों व्यवहार करती है। अब हमे हेडली चाहिए...क्या करेंगे हेडली को लेकर....एक एंडरसन पकड़ में आया था तो छोड़ दिया था..विमान हाईजैक के बाद हमारी सरकार ने आतंकियो को छोड़ दिया था। अब खबर है कि कसाब को छुड़ाने की कोशिश आतंकी कर रहे है। कोई सरकार ना पहले थी और ना अब ही है...मानो...भगवान भरोसे जीते रहे...कब तक....फिर इन लोगों की कोई जरूरत भी है...सत्ता के लिए कुछ भी करेगा.....एंडरसन को छोड़ देगा फिर हेडली के पीछे पड़ेगा.....क्या करें भोपाल के लोग.....किससे मांगे अपने कातिलों का इंसाफ...कौन करेगा इंसाफ....अमेरिका में भी खासी प्रतिक्रिया हो रही है...दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक तबाही में से एक...गुनहगार सब खुले घूम रहे है...तब भी आज भी....क्या दोषियो पर कार्रवाई होगी........इसके लिए इच्छाशक्ति है हमारे पास? है भी नहीं भी। शोर अब जमकर मच रहा है। एंडरसन भगोड़ा है। पकड़ सको तो पकड़ लो। बेहतर होता एक खुली पंचायत में भोपाल के लोग एंडरसन एंड कंपनी का इंसाफ खुद करते। उनकी पीड़ा ना तो नेता समझ सकते है, ना पुलिस और ना ही न्यायपालिका। हम आप सब तमाशा देख रहे है।

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