Wednesday, June 16, 2010

नीतीश बनाम मोदी

एक कमेंट के साथ शुरुआत...मोदी के साथ वाले तस्वीर पर नीतीश ऐसे भड़के मानो किसी ने उनके मोदी के साथ अवैध संबंध की बात कर दी हो। अचानक ही किसी ने कमेंट किया और सारे लोग हंसने लगे। खैर ये अलग बात है। रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि मोदी पटना में छा गए। मोदी ने बीजेपी कार्यसमिति का पूरा एजेंडा ही हाईजैक कर लिया। नीतीश कानूनी कार्रवाई की बात करते रहे। लुधियाना में बिहार चुनाव खत्म होने के बाद वाली तस्वीर पर गजब का हंगामा बरपा। नीतीश नाराज हो गए और फिर बीजेपी की तरफ से सफाई आई है कि इसके पीछे ना तो गुजरात सरकार का हाथ है और ना ही मोदी का। सूरत के सांसद का नाम आया फिर एक बिहार के व्यवसायी का नाम भी। लेकिन ये दोनों ही इससे अपने को किनारा करते रहे। शऱद यादव ने बीच बचाव की शुरुआत की और फिर आडवाणी बोले नीतीश यहां होते तो अच्छा होता। भोजपुरी में बोल रहे है नरेन्द्र मोदी। रउआ लोगन के धन्यवाद। गुजरात में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए भी मोदी ने बिहार का आभार जताया। कोसी प्रभावितों के राहत के लिए दिए गए पांच करोड़ का भी मोदी ने कभी बखान किया था। नीतीश नाराज हो गए और कहा कि हम उन्हे पैसा लौटा देंगे। क्रेडिट लेने की होड़ इस बीजेपी के बड़े और प्रधानमंत्री पद की रेस में आगे चल रहे इस नेता को भी है। और वो आजमगढ़ वाली तस्वीर का क्या कहें। क्यों आया था वो झूठा ऐड। लोगों को बरगलाने के लिए। मुस्लिम वोटरों को रिझाने के लिए या फिर कुछ और मकसद था। सुना है जसवंत सिंह की री एंट्री हो रही है। उमा भारती भी लाइन में है। अब कल्याण सिंह और गोंविदाचार्य का भी नंबर आने वाला लगता है। गडकरी जी क्या बीजेपी का कोई भला कर पाएंगे। कहना अभी मुश्किल लगता है। ना संतुलित टीम बना पा रहे है ना ही पार्टी में असंतोष को खत्म कर पा रहे है। सियासत में वो ज्यादा माहिर नहीं दिखते। झारखंड का केस ही देख लीजिए। कई नेताओं के विरोध के बावजूद उन्होने गुरुजी से हाथ मिलाया। फिर समर्थन वापस लिया और फिर मलाई खाने पर सहमति के बाद फिर दिल जोड़ लिया और जब मलाई मिलता नहीं दिखा तो फिर दिल टूट गया। पटना में मोदी नीतीश के बारे में तो कुछ नहीं बोले। उनका ध्यान अब दिल्ली पर है सो केन्द्र सरकार पर ही बरसे। मौत का सौदागर वे खुद को नहीं मानते। सो दूसरों से पूछ रहे है कि अब बताईए मौत का सौदागर कौन है? भोपाल कांड को लेकर वे सोनिया से पूछ रहे थे। जिनका इस पूरे कांड से कोई लेना देना नहीं। खैर। मायावती की भी कल पटना में रैली थी। संसद के मोमेंटो पर हाथी की तस्वीर उन्हे भेंट की गई। जैसे बहन जी के लिए दिल्ली अब दूर नहीं। मोदी को ऐसी तस्वीर मिलती तो शायद ये फीलिंग होती की बीजेपी मोदी को लेकर कितनी सीरियस है। दरअसल में दोनों के लिए ही दिल्ली दूर है। दिल्ली अगर किसी के लिए आसान है तो वे है मनमोहन सिंह। २०१४ की बात है तो राहुल बाबा पूरी कोशिश में है। ज्यादा गड़बड़ नहीं हुई और देश की राजनीति इसी दशा और दिशा से चलती रही तो राहुल बाबा को रोकना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा। महंगाई लोगों को डरा नहीं अब मार रही है तो इसमें विरोधी पार्टियां कहां और क्या सरकार का बिगाड़ पा रही है। विरोधी खामोश, सरकार मस्त। बीचबीच में कभी थरुर का मामला तो कभी जयराम रमेश बयान औऱ ट्विट कर के खुद ही मौका दे देते है और विरोधी पार्टियां खासकर बीजेपी उसी में मस्त हो जाती है। भोपाल कांड २६ साल पुराना है अब क्यों सब इसके पीछे भाग रहे है। एंडरसन को लाने के लिए किसने क्या किया। वो भी सत्ता में थे जो आज पूछ रहे है कि मौत का सौदागर कौन? उनकी सरकार सालों से मध्य प्रदेश में चल रही है क्या किया पीड़ितों के लिए। जिस दिन भोपाल गैस कांड का फैसला आया था उसी दिन एक औऱ तस्वीर मध्य प्रदेश से आई थी। शिवराज के डांस करते दृश्य। इन तस्वीरों को वैसे ज्यादा नहीं दिखाया गया लेकिन सवाल ये कि इन दृश्यो को देखकर पीड़ितों ने क्या सोचा होगा? कैसी सरकार है हमार? हमारे जख्मों पर मरहम नहीं लगा सकती तो ऐसा तो ना ही करे ना। मोदी बहुत खुश हो रहे थे कि एक चैनल ने उन्हे देश का सबसे अच्छा मुख्यमंत्री चुना है। ये भी सच है देश के प्रधानमंत्री ने उन्हे राजधर्म निभाने की नसीहत दी थी। ये भी सही है कि मुख्यमंत्री होते ही हुए एसआईटी ने उनसे पूछताछ की थी। पहले मुख्यमंत्री। सबसे ज्यादा देर तक हुई थी पूछताछ। उसका भी रिकॉर्ड मोदी के ही नाम है। क्या बीजेपी में कोई पीएम पद का दावेदार भी है। उस कद लायक कोई है भी। अटलजी सबको मान्य थे। आडवाणी तक जब वेट करते रह गए तो फिर मोदी के लिए बेहतर यही है कि वे इस वेटिंग लिस्ट में ही ना आए। हम आम भारतीय सेक्युलर हैं और ऐसे व्यक्ति को कभी पसंद नहीं कर सकते। गुजरात में तो ये चल जाता है पूरे देश में मोदी का जादू चलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। सो बीजेपी को मोदी राग से आगे बढना होगा। मोदी अगर बिहार में चुनाव प्रचार करने जाते है तो बीजेपी को ज्यादा सीटें मिल जाएं ऐसा तो हो ही नहीं सकता। इतना जरूर हो सकता है कि जेडीयू को कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़े। फायदा आरजेडी-एलजेपी या फिर बिहार में संघर्ष कर रही कांग्रेस को हो जाए।

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