Friday, May 8, 2009

मुलायम परिवार क्यों नहीं?

परिसीमन के बाद संभल सीट का चेहरा तो बदला ही है मुलायम और उनके परिवार भी संभल से जरा सभंल कर रहने लगे है। तभी इस दफे इस परिवार को कोई भी सदस्य यहां से चुनाव मैदान में नहीं है।उत्तरप्रेदश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का गढ़ यानि संभल। 1998 और 1999 में यहां से मुलायम सांसद चुने गए थे। 2004 में उन्होने अपने भाई रामगोपाल यादव को उम्मीदवार बनाया। रामगोपाल भी चुनाव जीत गए। लेकिन 2009 में इस बार यहां इस परिवार का कोई भी सदस्य मैदान में नहीं है। दरअसल परिसीमन के बाद इस सीट का चेहरा ही बदल गया है। यादव वोटर इस सीट से अचानक ही गायब हो गए है। पड़ोसी मुरादाबाद की मुस्लिम बहुल सीट इसमें जुट गयी है जिससे मुरादाबाद से कांग्रेस टिकट पर सियासी पारी की शुरूआत कर रहे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरउद्दीन भी मुश्किल में है। बिसौली और गुन्नौर की यादव बहुल सीटें बदायूं में जोड़ दी गई है जिससे मुलायम परिवार को ये सीट छोड़नी पड़ी है। फिलहाल एसपी ने यहां से इकबाल महमूद को चुनाव मैदान में उतारा है। शायद मुलायम को कल्याण की दोस्ती से होने वाली हानि की आशंका पहले से है। बीएसपी ने भी शफीकुर्रहमान को चुनाव मैदान में उतारकर मुस्लिम वोटों के बिखराव की व्यवस्था कर दी है। कांग्रेस की टिकट पर चंद्रविजय सिंह चुनाव मैदान में है जबकि बीजेपी ने चंद्रपाल सिंह उर्फ पप्पू चौधरी को उतारा है। करीब तेरह लाख वोटर इन उम्मीदवारों की किस्मत का फ़ैसला करेंगे। फिलहाल मुकाबला एसपी बनाम बीएसपी दिख रहा है लेकिन बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार भी अपनी पूरी ताकत लगा रहे है। वैसे मायावती- मुलायम के गढ़ में सेंध लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती औऱ यहां मुकाबला पूरी तरह मायावती बनाम मुलायम होता दिख रहा है।

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