Sunday, May 10, 2009
लोकतंत्र ज़िंदाबाद!
लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व में चार शाही स्नान हो चुके है। श्रद्धालुओं यानि वोटरों ने गर्मी,मुद्दों की कमी जैसी कई बाधाएं झेलते हुए डूबकी लगा ली है। साढ़े चार सौ से ज्यादा सीटों पर वोट डाले जा चुके है और अंतिम फेज की वोटिंग से पहले ही जोड़-तोड़ शुरू भी हो गई है।13 मई को पांचवे चरण के लिए वोटिंग के साथ ही 543 सीटों पर वोटिंग संपन्न हो जाएगी। चार चरणों में अब तक 457 सीटों पर वोट डाले जा चुके है। 16 मई को वोटों की गिनती होनी है लेकिन चार चरण संपन्न होने के बाद जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो चुकी है। कौन किस पाले में जाएगा कुछ भी कहना मुश्किल है। वैसे सभी पार्टियां ये जरूर मानकर चल रही है कि किसी भी गठबंधन को बहुमत मिलने नहीं जा रहा है। जहां तक अब तक हुए चार चरण के मतदान का सवाल है तो पहले चरण में सबसे ज्यादा करीब साठ फीसदी वोटरों ने अपने हक़ का इस्तेमाल किया। सबसे कम मतदान तीसरे चरण में हुआ। जब सिर्फ पचास फीसदी वोटर ही मतदान केन्द्र तक पहुंचे। दूसरे चरण में 55 फीसदी वोटरों ने वोट डाले वहीं चौथे चरण में कुछ ज्यादा वोटर बूथों तक पहुंचे और करीब 57 फीसदी मतदान रिकार्ड हुआ। पहले चरण में 124 सीटों के लिए वोट डाले गए वहीं दूसरे चरण में 141, तीसरे में 107 और चौथे चरण में 85 सीटों पर वोट डाले गए। पहले चरण में सबसे ज्यादा मतदान लक्ष्यद्वीप में हुआ। यहां 86 फीसदी वोटरों ने मत डाले जबकि सबसे कम मतदान बिहार में हुआ। यहां 46 फीसदी वोटरों ने मत डाले। दूसरे चरण में अमस में सबसे ज्यादा 62 फीसदी मतदान हुए वहीं जम्मू-कश्मीर में सबसे कम 43 फीसदी वोट डाले गए। तीसरे फेज में सबसे ज्यादा मतदान सिक्किम में दर्ज हुआ जबकि सबसे कम मतदान जम्मू-कश्मीर में हुआ। सिक्किम में जहां 65 प्रतिशत मतदान हुआ वहीं जम्मू-कश्मीर में सिर्फ 30 फीसदी वोटर ही मतदान केन्द्रों तक पहुंचे। जबकि चौथे चरण में सबसे ज्यादा मतदान लेफ्ट के गढ़ पश्चिम बंगाल में हुआ। यहां करीब 75 फीसदी वोटरों ने अपने हक़ का इस्तेमाल किया जबकि सबसे कम मतदान एक बार फिर जम्मू कश्मीर में हुआ यहां सिर्फ 24 फीसदी वोट डाले गए। चौथे चरण में दिल्ली में भी मतदान संपन्न हुए यहां करीब 50 फीसदी लोगों ने वोट डाले और मुंबई को इस मामले में पीछे छोड़ा। छिटपुट हिंसा के बीच अब तक कुल मिलाकर मतदान शांतिपूर्ण ही रहा। चौथे फेज की वोटिंग के साथ ही सियासी घमासान तेज़ हो चला है और 16 मई को मतों की गिनती के बाद इसके पूरे उफान पर होने की संभावना है। नीतीश तो एनडीए के साथ है लेकिन उनको लेकर कांग्रेस और लेफ्ट में भिड़ंत मची है। लेकिन ये भी तय है कि नीतीश कहीं नहीं जा रहे है। बेचारे वीरप्पा मोइल्ली मुफ्त में ही निकाल दिए गए। नीतीश को हीरो नहीं बनने देना चाहते तो कांग्रेस के विलेन मन गए। लेकिन नीतीश कांग्रेस के इस कदम से शायद ही पिघले। हां शरद को लेकर कोई गारंटी नहीं दे सकता। लेकिन जॉर्ज की गति देखकर शायद ही शरद अभी ऐसा कुछ सोचे। अजित सिंह क्या करेंगे वो तो बाद में ही पता चलेगा। पीएम किसका होगा ये सबसे बड़ा सवाल है। एनडीटीवी की ख़बर को माने तो पीएम के लिए बंगला भी देखा जाने लगा है। ये बेहतर है। कौन जाने...अचानक घर खाली करना कोई आसान काम नहीं है...चाहे हो सामान्य लोग हो या फिर पीएम। पीएम इन वेटिंग का क्या होगा। आज नीतीश और मोदी गले लगे...राजनीति के बेहतरीन नज़ारों में से एक...आगे-आगे देखिए और ऐसे कितने नज़ारे देखने को मिलते है...भला हो लोकतंत्र का...भला हो जनता जनार्दन का...ये नज़ारा देखना भी किस्मत की बात...1947 में आजादी के समय के लोगों ने भी ऐसा नज़ारा नहीं देखा होगा....तभी तो लोग कहते है लोकतंत्र ज़िंदाबाद!
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