Sunday, May 17, 2009

मनमोहन ने मोहा मन

कौन बनेगा प्रधानंत्री...मनमोहन या आडवाणी। वोटों की गिनती के साथ ही कहीं खुशी और...ज्यादा जगह गम का आलम है। क्योंकि इस बार तो पीएम इन वेटिंग सहित दर्जनों प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे। पीएम इन वेटिंग...लालकृष्ण आडवाणी तो यहीं गाना गुनगुना रहे होंगे.....(इंतहा हो गई इंतज़ार की).....लेकिन मनमोहन तो जोर-जोर से ये गाना गा रहे होंगे.....(सिंह इज किंग)....औरों का क्या हाल होगा...आप ही सोचिए। पीएम पद के कौन दावेदार नहीं थे........ये बताना थोड़ा मुश्किल है...क्योंकि अधिकतर ही पीएम पद के दावेदार थे...आडवाणी तो इंतज़ार करते-करते थक गए....लेकिन शायद अब वो समझ रहे होंगे आडवाणी अटल नहीं हो सकते.....शरद पवार भी रेस में थे...लेकिन पवार का पावर गेम काम नहीं आया...कांग्रेस की देश भर में जीत ने पवार को बैकफुट पर आने को मजबूर कर दिया। लालू भी पीएम की रेस में चल रहे थे...शायद ही इसीलिए यूपीए को छोड़ चौथा मोर्चा खोल दिया था...खुद तो डूबे ही,,,पासवान भी कहीं के ना रहे...मुलायम बमुश्किल कुछ इज्जत बचा सके। मायावती का पीएम बनने का सपना....अधूरा रह गया....अपने ही राज्य में वो तीस तक नहीं पहुंच सकी. पचास होती तो बात कुछ और होती...परमाणु क़रार पर मनमोहन से हुई तकरार के बाद प्रकाश करात भी खुद को पीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे थे...पीएम बनना तो दूर ममता और कांग्रेस ने लेफ्ट की गढ़ में ही मात देकर उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। चुनाव सर्वेक्षण के बाद अचानक ही नीतीश सबके चहेते हो गए थे। पीएम पद के दावेदारों में नीतीश अचानक ही आगे चल रहे थे। कांग्रेस से भी कई नाम हवाओं में तैर रहे थे..लेकिन ऑफ द रिकार्ड। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद मनमोहन को छोड़ सारे के सपने टूट गए...इतने पीएम पद के दावेदार आज तक कभी नहीं हुए. लेकिन जीत तो किसी एक की होनी थी....लेकिन ये भी सच है कि अगर पीएम पद के इतने दावेदार नहीं होते तो इंडियन पॉलिटिकल लीग का मजा ही कहां रहता....यूपीए को बधाई और बाकियों को भी शानदार खेल दिखाने के लिए।

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