Sunday, May 10, 2009
शाहिद भरोसे माया
बिजनौर लोकसभा सीट पर बहनजी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। साइकिल से उतर कर हाथी पर सवार हुए शाहिद सिद्दीकी यहां से चुनाव मैदान में है। वहीं एसपी ने भी अजित सिंह का साथ छोड़ कर आए यशवीर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। 1989 में जब बहुत कम लोग मायावती को जानते थे तब बिजनौर के वोटरों ने माया को अपना सांसद चुना था। 2007 के विधानसभा चुनाव में भी यहां के वोटरों ने माया का साथ दिया। जिले की सभी सातों विधानसभा सीटों पर बीएसपी उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी और माया चौथी बार देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनी। इस लोकसभा चुनाव में मायावती प्रधानमंत्री पद की दावेदारों में शामिल है। माया जानती है कि इस बार एक-एक सांसद का कितना महत्व है। पहली दलित पीएम का उनका सपना पूरा हो इसके लिए जरूरी है कि उनके पास संख्या ज्यादा हो ताकि बेहतर मोल-भाव वो कर सकें। ऐसे में माया को एक बार फिर बिजनौर के वोटरों का भरोसा है। माया ने इस बार एसपी के पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी पर दांव लगाया है। एटमी करार मुद्दे पर सिद्दीकी मुलायम से नाराज हो गए थे और उन्होने बीएसपी का दामन थाम लिया था। एसपी ने भी आरएलडी का साथ छोड़ आए यशवीर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि आरएलडी की टिकट पर संजय चौहान चुनाव मैदान में है। वही कांग्रेस ने सईदुज्जमां को चुनाव मैदान में उतारकर मुक़ाबला दिलचस्प बना दिया है। वहीं एसपी का टिकट न मिलने से नाराज करतार सिंह भड़ाना एनसीपी टिकट पर चुनाव मैदान में है। इन उम्मीदवारों की किस्मत का फ़ैसला तेरह लाख से ज्यादा वोटर करेंगे। मुस्लिम वोटर यहां चार लाख से ज्यादा है। जिनके बंटने की पूरी संभावना है। गुर्जर वोटर यहां डेढ़ लाख से ज्यादा है जबकि दलित वोटर 2.5 लाख के करीब है। परिसीमन के बाद ये सीट सामान्य हो गई है। अब देखना होगा कि सीट सामान्य होने के बाद बहनजी की माया का क्या असर होता है।
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