Wednesday, May 6, 2009

जया तेरा क्या होगा?

WHAT WILL HAPPEN TO JAYA IN RAMPUR? A MILLION DOLLAR QUESTION. रामपुर में वैसे तो त्रिकोणीय मुकाबला है लेकिन एसपी के दो गुटों के बीच भी यहां मुकाबला देखने को मिल रहा है। जयाप्रदा को लेकर पार्टी महासचिव अमर सिंह और आजम खान की तकरार क्या गुल खिलाएगी ये तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा लेकिन इससे जया की राह थोड़ी मुश्किल जरूर हो गई है।रामपुर में इस बार चुनावी घमासान चरम पर है। एसपी के लिए ये सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गयी है। एसपी के ही आजम खान अपने ही पार्टी की उम्मीदवार जयाप्रदा को यहां से हारते देखना चाहते है। अमर सिंह भी इस सियासी घमासान में कूद पड़े और उन्होने तो इस मुद्दे पर पार्टी छोड़ देने की धमकी तक दे डाली थी। इन सबके अलावा यहां चुनाव प्रचार का स्तर भी काफी घटिया रहा। वैसे आजम खान बनाम अमर सिंह मुकाबले के बाद पार्टी तो किसी ने नहीं छोड़ी लेकिन इसका सबसे ज्यादा नुकसान रामपुर से दूसरी बार चुनाव जीतने की चाह रखने वाली वॉलीवुड अदाकारा जयाप्रदा को ही उठाना पड़ रहा है। आजम-अमर के बीच तकरार ने मुलायम की भी मुश्किलें बढ़ा दी है। दोनों ही मुलायम के लिए खास है और वो किसी को भी नहीं छोड़ना चाहते। वैसे मुलायम ने आजम की काट के लिए अबु आजमी को मैदान में उतारा है। वो यहां लगातार कैंपेन कर रहे है और एसपी उम्मीदवार जयाप्रदा के लिए बेहतर माहौल तैयार करने की कोशिश कर रहे है। आजम के साथ-साथ कल्याण फैक्टर भी यहां जया के लिए मुशीबत का सबब है। मुलायम और कल्याण की दोस्ती का नुकसान इस सीट पर एसपी को साफ दिख रहा है। यहीं कम नहीं था अब तो आजम खान सीधे-सीधे वोटरों से जयाप्रदा को हराने की अपील कर रहे है। जयाप्रदा के सामने दो-दो मजबूत उम्मीदवार उनकी परेशानी को और ज्यादा बढ़ाने में लगे हुए है। दोनों ही यहां के पूर्व सांसद है। बीजेपी के मुख्तार अब्बास नकवी जो 1998 में यहां से सांसद चुने गए थे। बीजेपी के तेजतर्रार वक्ताओं में से एक माने जाते है नकवी। इसके अलावा कांग्रेस से नवाब खानदान की बेगम नूर बानो भी चुनाव मैदान में है। बानो 1996 और 99 में यहां से सांसद रह चुकी है। जबकि उनके पति जुल्फिकार अली खान यहां से पांच बार कांग्रेस टिकट पर सांसद चुने गए। कुल मिलाकर चौदह में से सात बार इस परिवार ने यहां से जीत दर्ज की है। जबकि कांग्रेस ने कुल मिलाकर नौ दफे इस सीट पर जीत का परचम लहराया है। कांग्रेस...एसपी में मचे इस घमासान का लाभ उठाने की पूरी कोशिश में है। फिलहाल मुख्य मुकाबला यहां एसपी बनाम कांग्रेस में दिख रहा है लेकिन बीजेपी के नकवी मुस्लिम वोटरों को कितना लुभा पाते है ये भी बड़ा सवाल बना हुआ है। करीब साढ़े ग्यारह लाख वोटर इन दिग्गजों की किस्मत का फ़ैसला करेंगे। जिनमें करीब 55 फीसदी मुस्लिम वोटर है।इनके अलावा बीएसपी ने घनश्याम सिंह लोधी को चुनाव मैदान में उतारा है। कुल पंद्रह उम्मीदवार यहां से अपनी किस्मत आजमां रहे है। कुल मिलाकर कल्याण फैक्टर और आजम फैक्टर यहां सब मुद्दों पर भारी है। इन्ही फैक्टर से हार जीत यहां तय होनी है। दिलचस्प बात ये है कि ना तो कल्याण औऱ ना ही आजम यहां से चुनाव मैदान में है लेकिन इस सीट पर मुख्य मुकाबला इन्ही दोनों में है..। AMAR IS ALSO PLAYING HIS PART AND SO A VERY GOOD MATCH GOING ON HERE AS WELL.

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